केजरीवाल राज में अवैध नियुक्तियों की भरमार।

आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान पर दिल्ली वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष रहते हुए अवैध नियुक्तियों करने का आरोप है।

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केजरीवाल सरकार में अपने चहेते लोगों को नौकरियों पर रखा गया है। आप के विधायक अमानतुल्ला खान पर दिल्ली वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष रहते हुए अवैध तरीके से नियुक्तियों का आरोप है। वहीं ताजा मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली महिला आयोग में बिना नियमों-कायदों के रखे गए 223 कर्मचारियों को निकाल दिया है।

दिल्ली वक्फ बोर्ड में हुई अवैध नियुक्तियां

अमानतुल्ला पर दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में 32 लोगों को अवैध रूप से भर्ती करवाने का आरोप है। इसके साथ ही अवैध रूप से दिल्ली वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियों को किराए पर देने और वक्फ बोर्ड के फंड का गलत इस्तेमाल करने का भी आरोप है।

जांच के दौरान अमानतुल्ला के करीबियों के ठिकानों से नकदी बरामद हुई थी। अमानतुल्ला के करीबियों के घर पर छापे के दौरान एक डायरी भी मिली थी, जिसमें अमानतुल्लाह का देश-विदेश में करोड़ों रुपए के लेन-देन का जिक्र भी था। 

दिल्ली वफ्फ बोर्ड मामले से जुड़े भ्रष्ट्राचार मामले में ईडी ने पिछले साल 12 नवंबर को तीन आरोपियों जीशान हैदर, जावेद इमाम, दाऊद नसीर को गिरफ्तार किया था। सभी अमानतुल्ला खान के करीबी बताए गए थे। इसके अलावा अमानतुल्ला के करीबियों के ठिकानों से नकदी भी बरामद हुई थी।

एंटी करप्शन ब्यूरो ने सितंबर 2022 में अमानतुल्ला से पूछताछ कर चार जगहों पर छापेमारी की थी और करीब 24 लाख रुपए कैश बरामद किया था। छानबीन के दौरान दो अवैध पिस्टल और कारतूस बरामद हुए थे। इस मामले में अमानतुल्ला को गिरफ्तार किया गया था। 28 दिसंबर 2022 को अमानतुल्ला को जमानत पर रिहा कर दिया गया। इस मामले में जांच अभी जारी है।

महिला आयोग में भी अवैध नियुक्तियां

इसी तरह दिल्ली महिला आयोग में मनमाने तरीके से लोगों की भर्तियां की गईं। आयोग के लिए 40 ही पद स्वीकृत हैं, इसके अलावा आयोग को संविदा पर कर्मचारी रखने का अधिकार नहीं है। बावजूद इसके ये नियुक्तियां की गई थीं। इस मामले में कार्रवाई करते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आयोग में बिना नियमों-कायदों के रखे गए 223 कर्मचारियों को निकाल दिया।

जारी आदेश में दिल्ली महिला आयोग अधिनियम का हवाला देते हुए कहा गया है कि पैनल में 40 कर्मचारियों की स्वीकृत संख्या है और 223 नए पद उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना बनाए गए। उपराज्यपाल कार्यालय से जारी आदेश में कहा गया कि आयोग को संविदा पर कर्मचारी रखने का अधिकार नहीं है।

महिला आयोग को पहले ही सूचित किया गया था कि वे वित्त विभाग की मंजूरी के बिना कोई भी कदम नहीं उठाएंगे, जिससे सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय भार आए। इसके बाद भी मनमाने तरीके से नियुक्तियां की गईं। 

महिला आयोग के लिए बस 40 पद ही स्वीकृत हैं जबकि मनमाने तरीके से यहां पर 223 नियुक्तियां की गई थीं। बता दें कि वर्तमान में राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल सांसद बनने से पहले दिल्ली महिला आयोग की 9 वर्षों तक अध्यक्ष रह चुकी हैं।

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