अरुंधति रॉय पर चलेगा UAPA के तहत केस, इस मामले में हुई कार्यवाही

विवादास्पद लेखिका अरुंधति रॉय के खिलाफ दिल्ली के उप-राज्यपाल ने UAPA मामले में केस चलाने की मंजूरी दे दी है।

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विवादास्पद लेखिका अरुंधति रॉय के खिलाफ दिल्ली के उप-राज्यपाल ने UAPA मामले में केस चलाने की मंजूरी दे दी है। यह मामला अरुंधति रॉय के 21 अक्टूबर 2010 को दिल्ली में ‘आजादी: द ओनली वे’ सेमिनार में दिए गए भाषण पर आधारित है।

इस सेमिनार में भारत विरोधी सैयद अली शाह गिलानी, शेख शौकत हुसैन, वरवर राव जैसे लोग भी शामिल थे। सेमिनार का आयोजन CRPP ने किया था और अरुंधति ने 15 मिनट के भाषण में भारत के खिलाफ विष उगला था। आज इस लेख हम आपको अरुंधति रॉय द्वारा दिए गए उन बयानों के बारे में बताएं जो उन्होंने अपने भाषण में दिए थे।

क्या दिया था अरुंधति रॉय ने बयान

अपने भाषण में अरुंधति ने दावा किया कि भारत सरकार गरीबों के खिलाफ जंग छेड़े हुए है। उन्होंने कहा, “मैं हफ्ते या 10 दिन पहले रांची में थी, जहां ऑपरेशन ग्रीन हंट के खिलाफ पीपल्स ट्रिब्यूनल चल रहा है। 

ऑपरेशन ग्रीन हंट देश के सबसे गरीब लोगों के खिलाफ भारत राज्य की लड़ाई है।” जब पत्रकारों ने जम्मू-कश्मीर पर उनके रुख को लेकर सवाल पूछा, तो अरुंधति ने कहा, “कश्मीर कभी भारत का आंतरिक हिस्सा नहीं रहा है।” यह वही लाइन है जो पाकिस्तान ने बार-बार दोहराई है।

भारत के कुछ हिस्सों में कब्जा करने का लगाया था आरोप

अरुंधति ने भारत सरकार पर सैन्य हस्तक्षेप के माध्यम से भारत के कुछ हिस्सों पर कब्जा करने का भी आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम, कश्मीर, तेलंगाना, नक्सलवाड़ी असंतोष, पंजाब, हैदराबाद, गोवा, जूनागढ़ में हस्तक्षेप किया है। उन्होंने भारत सरकार, भारत के अमीर वर्ग पर नक्सलियों के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया। 

अलपसंख्यों के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप

अरुंधति ने कहा कि भारत जैसे उच्च जाति के हिंदू राज्य ने हमेशा अल्पसंख्यों, जिनमें मुस्लिम, आदिवासी, ईसाई और दलित, वनवासी शामिल हैं, के खिलाफ युद्ध छेड़ा हुआ है। यही हमारे देश का आधुनिक इतिहास है। भारत के आंतरिक लोगों को भड़काने के बाद अरुंधति ने खुलेआम जम्मू-कश्मीर को भारत संघ से अलग करने की वकालत की। उन्होंने ‘आजादी’ के पाकिस्तानी नरेटिव को आगे बढ़ाया और कहा कि भारत ने कश्मीर और कश्मीरियों पर कब्जा किया हुआ है।

कश्मीर को लेकर भड़काऊ बयान

2007 की बातचीत को याद करते हुए अरुंधति ने कहा, “भारत को कश्मीर से आजादी की उतनी ही जरूरत है जितनी कश्मीर को भारत से आजादी की जरूरत है।” उन्होंने यह भी कहा कि 12 मिलियन लोगों की घाटी में 700,000 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं, जो दुनिया का सबसे अधिक सैन्यीकृत क्षेत्र है। अरुंधति ने कहा कि भारतीय लोगों के लिए उस कब्जे को बर्दाश्त करना नैतिक क्षरण को अनुमति देने जैसा है।

अपने भड़काऊ भाषण में अरुंधति ने कहा, “कश्मीरी बिना एक-47 की नाल से निकलते धुएं में सांस भी नहीं ले सकते। बहुत कुछ यहां किया गया है। हर बार एक चुनाव होता है। लोग वोट देते हैं और भारत सरकार वहां जाकर बोलती है, ‘तुम्हें रेफरेंडम क्यों चाहिए? यहां लोग भारत के लिए वोटिंग करते हैं।” अरुंधति ने कश्मीर में ‘आजादी’ की लड़ाई को भारत देश की औपनिवेशिक ताकत ब्रिटेन के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई के समान बताया था।

उन्होंने कहा, “औपनिवेशिक राज्य चाहे वो भारत में ब्रिटिश राज्य रहा हो या कश्मीर, नगालैंड या फिर छत्तीसगढ़ में भारतीय राज्य, उसके एलीट लोग इस कब्जे को मैनेज करते हैं। तुम्हें अपने दुश्मनों और उन्हें कैसे जवाब देना है, इस बारे में पता होना चाहिए। तुम होशियार हो, चाहे वो इंटरनेशनल लेवल पर राजनीति की बात हो या स्थानीय स्तर पर किसी भी स्तर पर, तुम्हें अपने साथी बनाने होंगे।”

2010 में हुआ था मामला दर्ज

अक्टूबर 2010 में विवादास्पद भाषण दिए जाने के तुरंत बाद, सोशल एक्टिविस्ट सुशील पंडित की शिकायत पर अरुंधति रॉय के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। 29 नवंबर 2010 को एफआईआर दर्ज की गई थी।

अरुंधति रॉय पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 124 ए (राजद्रोह), 153 ए (वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153 बी (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक दावे), 504 (शांति भंग करने के लिए उकसाना) और 505 (विद्रोह पैदा करने के इरादे से अफवाह फैलाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

UAPA के तहत चलाया जाएगा मुकदमा

लगभग 14 साल बाद, 14 जून 2024 को दिल्ली के उप-राज्यपाल ने अरुंधति रॉय के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 13 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी।

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