मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की कुल 40 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने 39 पर जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है। मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटें जीत कर भाजपा ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया, जबकि छत्तीसगढ़ की 11 में से 10 सीटें हासिल कर कांग्रेस को एक सीट पर समेट दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम, काम और साख तथा संगठन की कुशल रणनीति और कार्यकर्ताओं की जमीनी सक्रियता भाजपा की इस सफलता का आधार बनी।
विधानसभा से लोकसभा तक की यात्रा
2018 के विधानसभा चुनाव में दोनों राज्य भाजपा के हाथ से निकल गए थे, लेकिन कुछ माह बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मध्य प्रदेश की 29 में से 28 और छत्तीसगढ़ में 11 में से 9 सीटों पर विजय प्राप्त की। तब कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में एकमात्र सीट छिदवाड़ा और छत्तीसगढ़ में कांकेर और बस्तर में जीत दर्ज की थी।
इस बार भाजपा इन दोनों राज्यों की सभी सीटें जीतने के संकल्प के साथ मैदान में थी और इसकी तैयारी विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने के साथ ही शुरू कर दी थी। दोनों राज्यों में सीटों के साथ भाजपा के मत प्रतिशत में भी वृद्धि हुई है।
भाजपा की रणनीति
भाजपा की इस प्रचंड जीत के पीछे चार प्रमुख कारण हैं:
- राष्ट्रीय रणनीति और प्रधानमंत्री मोदी की साख: प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों और संकल्पनाओं को पूरे देश के सामने रख कर भाजपा ने चुनाव लड़ा।
- भ्रामक प्रचार का जवाब: प्रदेश संगठन ने विपक्ष के भ्रामक प्रचार से मतदाताओं को सावधान रखा। इंडी गठबंधन ने संविधान पर संकट, आरक्षण समाप्त करने जैसे भ्रामक मुद्दे उठाए थे, जिनका तत्काल पलटवार करने के लिए भाजपा संगठन ने एक टीम तैयार रखी थी।
- सीधे मतदाताओं से जुड़ाव: भाजपा के कार्यकर्ता सीधे मतदाताओं से जुड़े रहे, जिससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति नहीं बनी।
- कांग्रेस में असमंजस: भाजपा की एक टीम कांग्रेस छोड़ने वालों को ससम्मान भाजपा की सदस्यता दिलाने में जुटी रही, जिससे कांग्रेस में असमंजस पैदा हुआ, जिसका लाभ भाजपा ने उठाया।
वोट का कीर्तिमान
भाजपा को मध्य प्रदेश में 2019 लोकसभा चुनाव में 58.5 प्रतिशत वोट मिले थे, जो इस बार एक प्रतिशत बढ़कर 59.5 प्रतिशत हो गया है। वहीं, कांग्रेस को 2019 की तुलना में 2.6 प्रतिशत कम वोट मिले हैं। कांग्रेस को पिछली बार 34.8 प्रतिशत वोट मिले थे, जो इस बार घटकर 32.19 प्रतिशत हो गया।
प्रमुख जीतें और मतों का अंतर
- इंदौर: भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी ने देश में सर्वाधिक मतों से जीतने का कीर्तिमान बनाया है। लालवानी को 12,26,751 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी बसपा प्रत्याशी को 5,16,59 वोट ही मिले। लालवानी ने 11,75,092 वोट से जीतकर कीर्तिमान बनाया है। इस सीट पर 2,18,674 मतदाताओं की पसंद नोटा रहा, जो अपने आप में कीर्तिमान है।
- विदिशा: शिवराज सिंह चौहान को 11,16,460 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के भानु प्रताप शर्मा को 2,95,52 वोट मिले। शिवराज ने 8,21,408 वोटों के अंतर से यह सीट जीती, जो पूरे देश में तीसरा सर्वाधिक अंतर है।
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की हार
2014 से चली मोदी लहर का ही परिणाम है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सीटों और वोट प्रतिशत, दोनों में गिरावट आ रही है। इस बार कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया हारने वाले दिग्गज नेताओं में शामिल हैं।
- राजगढ़: दिग्विजय सिंह को भाजपा के साधारण कार्यकर्ता रोडमल नागर ने 1 लाख 86 हजार मतों से हराया।
- झाबुआ: अनिता नागर सिंह ने कांतिलाल भूरिया को दो लाख 7 हजार मतों से हराया।
- छिंदवाड़ा: नकुल नाथ को भाजपा के बंटी साहू ने लगभग एक लाख तेरह हजार मतों से हराया।
छत्तीसगढ़ में जीत का सफर
छत्तीसगढ़ में मतदाता खामोश रहे, लेकिन मतदान प्रतिशत ने सबको चकित कर दिया। राज्य में पहली बार सर्वाधिक 72.8 प्रतिशत मतदान हुआ, जो पिछली बार की तुलना में 1.31 प्रतिशत अधिक है। इस बार प्रधानमंत्री मोदी ने जिन 10 लोकसभा क्षेत्रों में रैलियां की थीं, वहां भाजपा ने विजय हासिल की है।
चुनाव प्रचार और नई रणनीति
- प्रधानमंत्री मोदी की सभाओं का असर: जांजगीर लोकसभा क्षेत्र की सभी आठ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने कुछ माह पहले जीत दर्ज की थी, लेकिन इस सीट पर प्रधानमंत्री मोदी की सभा का ऐसा जादू चला कि यहां भाजपा को जीत मिली।
- राहुल गांधी की सभाओं का प्रभाव: राहुल गांधी ने बस्तर और बिलासपुर में सभाएं कीं, लेकिन कांग्रेस दोनों जगह हार गई। प्रियंका गांधी वाड्रा, मल्लिकार्जुन खरगे और भूपेश बघेल की सभाओं का भी कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा।
नए प्रत्याशियों का प्रदर्शन
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों में भाजपा ने अधिकांश सीटों पर नए प्रत्याशी उतारे थे। इनमें बस्तर से महेश कश्यप, महासमंद से रूपकुमारी चौधरी और सरगुजा में कांग्रेस से आए चिंतामणि महाराज शामिल थे। पार्टी ने राधेश्याम राठिया को राजपरिवार की मेनका सिंह के खिलाफ और जांजगीर से कमलेश जांगड़े को उतारा था।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की ऐतिहासिक जीत, पार्टी की कुशल रणनीति, प्रधानमंत्री मोदी की साख, और कार्यकर्ताओं की जमीनी सक्रियता का प्रतिफल है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की हार और वोट प्रतिशत में कमी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा ने अपनी योजनाओं और नीतियों के माध्यम से मतदाताओं का विश्वास अर्जित किया है। इन परिणामों से दोनों राज्यों में भाजपा का भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है, जबकि कांग्रेस को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना आवश्यक हो गया है।
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