योग दिवस का ऐतिहासिक महत्व और उत्पत्ति

इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पीएम मोदी श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए।

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प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को योग के माध्यम से स्वस्थ और निरोगी जीवन के प्रति जागरूक करना है। हर साल इस दिन के लिए एक खास थीम निर्धारित की जाती है, और इस वर्ष की थीम ‘स्वयं और समाज के लिए योग’ है। यह थीम व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में योग के महत्व को रेखांकित करती है।

योग दिवस का इतिहास

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाने का श्रेय मोदी सरकार को जाता है। 27 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दुनिया के तमाम देशों से योग दिवस मनाने का आह्वान किया था। इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वीकार कर लिया, जिसके बाद पहली बार 21 जून 2015 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।

इस वर्ष का कार्यक्रम

इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां से उन्होंने देश और दुनिया को अपना संदेश दिया। इसके अतिरिक्त, इस साल कर्नाटक के मैसुरू पैलेस में लगभग 10 हजार लोग एक साथ योग किया। इसके अलावा, गुजरात के बनासकांठा में भारत-पाक सीमा से महज 20 किमी दूर नाडा बेट में भी 10 हजार लोग ने योगासन किया।

योग दिवस के लिए 21 जून की तारीख

21 जून को योग दिवस के रूप में चुनने के पीछे एक विशेष कारण है। यह दिन साल का सबसे बड़ा दिन होता है और ग्रीष्म संक्रांति के कारण इसे आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। भारतीय परंपरा के अनुसार, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है, जो आध्यात्मिक सिद्धियों के लिए अनुकूल समय माना जाता है। इस दिन को संक्रमण काल कहा जाता है, जो योग और आध्यात्म के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है।

योग का अर्थ और महत्व

योग शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है शामिल या एकजुट होना। यह एक शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है जो व्यक्ति को शांति, आत्मविश्वास और साहस प्रदान करता है। योग से व्यक्ति ताउम्र स्वस्थ रहता है और गंभीर बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्राप्त करता है।

पौराणिक कथाओं में योग

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पहली बार भगवान शिव ने अपने सात शिष्यों को योग सिखाया था। ऐसा कहा जाता है कि इन सात ऋषियों को ग्रीष्म संक्रांति के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा के दिन योग की दीक्षा दी गई थी। इसे भगवान शिव के अवतरण के तौर पर भी मनाया जाता है और माना जाता है कि इस दौरान आध्यात्मिक साधना करना अत्यधिक लाभकारी होता है।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स

वर्ष 2015 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम ‘सद्भाव और शांति के लिए योग’ थी। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ 84 देशों के प्रतिनिधियों समेत 35 हजार से ज्यादा लोगों ने दिल्ली में योग के 21 आसन किए थे। इस आयोजन में भारत के दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बने। पहला, दुनिया का सबसे बड़ा योग एक साथ करने का, जिसमें 35 हजार से अधिक लोगों ने एक साथ योग किया। दूसरा, 84 देशों के नेताओं की एक साथ भागीदारी के लिए।

चमत्कारिक फायदे

योग से होने वाले लाभ अनगिनत हैं। यह न केवल अच्छी सेहत बनाता है, बल्कि शरीर को भी तंदुरुस्त रखने में सहायक होता है। योगासन के नियमित अभ्यास से शरीर की सभी नाड़ियां शुद्ध और निरोग रहती हैं। सर्दी, जुकाम और दमे में भी योग से राहत मिलती है। फेफड़े मजबूत बनते हैं और एलर्जी एवं सभी प्रकार की चर्म समस्याएं खत्म हो जाती हैं। 

योग करने से शरीर में रक्त का संचार ठीक रहता है और ब्लड प्रेशर की समस्या हमेशा के लिए दूर हो जाती है। सर्दियों में शरीर का तापमान कम होने से सर्दी—जुखाम जैसी समस्याएं होती हैं, लेकिन योग से शरीर का तापमान संतुलित रहता है। वृद्धावस्था में अनुलोम विलोम करने से शरीर निरोग रहता है और गठिया और जोड़ों का दर्द भी ठीक हो जाता है। सायनस की समस्या भी योग से ठीक हो जाती है।

निष्कर्ष

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उद्देश्य योग के माध्यम से एक स्वस्थ और संतुलित जीवन शैली को बढ़ावा देना है। योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। हमें इस दिन को मनाने के पीछे के उद्देश्य को समझना चाहिए और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। 

योग एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जो आज भी प्रासंगिक और उपयोगी है। आइए, इस योग दिवस पर हम सभी योगासन करने का प्रण लें और बीमारियों को दूर भगाएं, साथ ही एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।

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