भारतीय सेना को नागस्त्र-1 की पहली खेप हुई प्राप्त

हाल ही में भारतीय सेना ने आत्मघाती ड्रोन नागस्त्र-1 की पहली खेप प्राप्त की है। फिलहार 480 में से 120 की डिलीवरी की जा चुकी है।

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हाल ही में भारतीय सेना ने आत्मघाती ड्रोन नागस्त्र-1 की पहली खेप प्राप्त की है। नागपुर स्थित कंपनी सोलर इंडस्ट्रीज की इकाई, इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव लिमिटेड द्वारा निर्मित इन ड्रोन्स की आपूर्ति सेना को की गई है। कुल मिलाकर 480 लॉइटरिंग म्यूनिशन (आत्मघाती ड्रोन) का ऑर्डर दिया गया था, जिनमें से 120 की डिलीवरी पहले ही की जा चुकी है।

नागस्त्र-1 की विशेषताएं

  1. रेंज: नागस्त्र-1 ड्रोन की रेंज 30 किलोमीटर तक है।
  2. वजन और क्षमता: इसका एडवांस वर्जन दो किलो से अधिक गोला-बारूद ले जाने में सक्षम है।
  3. उपयोग: दुश्मनों के ट्रेनिंग कैंप, ठिकानों और लॉन्च पैड पर हमला करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि सैनिकों का जोखिम कम किया जा सके।

आत्मघाती ड्रोन: नागस्त्र-1 का कार्यप्रणाली

लॉइटरिंग म्यूनिशन, जिसे आत्मघाती ड्रोन या कामिकेज ड्रोन भी कहा जाता है, एक एरियल वेपन सिस्टम है। ये ड्रोन हवा में टारगेट के आसपास घूमते रहते हैं और हमला करते हैं।

  1. सटीकता: सटीक हमला इसके सेंसर पर निर्भर करता है।
  2. ऑपरेशन मोड: आत्मघाती ड्रोन को साइलेंट मोड में और 1,200 मीटर की ऊँचाई पर ऑपरेट किया जाता है, जिससे इसे पहचानना मुश्किल हो जाता है।
  3. वजन और वारहेड: इसका वजन 12 किलोग्राम है और यह 2 किलोग्राम का वारहेड ले जा सकता है।
  4. उड़ान अवधि: ये ड्रोन एक उड़ान में 60 मिनट तक हवा में रह सकते हैं। अगर टारगेट न मिले तो यह वापस भी आ सकता है। पैराशूट के जरिए इसकी सॉफ्ट लैंडिंग करा सकते हैं।

अमेरिका से MQ-9B ड्रोन्स की डील

चार महीने पहले अमेरिका ने भारत को 31 MQ-9B ड्रोन्स देने का फैसला किया था, जिनकी कीमत लगभग 3.99 अरब डॉलर है। इन ड्रोन्स का उपयोग चीन के साथ लगने वाली लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) और भारत की समुद्री सीमा में सर्विलांस और सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया जाएगा।

  1. उड़ान अवधि: यह ड्रोन करीब 35 घंटे तक हवा में रह सकता है।
  2. रिमोट कंट्रोल: यह फुली रिमोट कंट्रोल है।
  3. डील की घोषणा: पिछले साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान इस डील का ऐलान किया गया था।

LAC बॉर्डर पर MQ-9B की भूमिका

भारत थल, जल और वायु तीनों सेनाओं के बेड़े में MQ-9B ड्रोन को तैनात करना चाहता है। यह ड्रोन जनरल एटॉमिक्स द्वारा निर्मित है, जो इसके मल्टीटैलेंटेड होने का दावा करती है। कंपनी का कहना है कि इसका उपयोग जासूसी, सर्विलांस, इन्फॉर्मेशन कलेक्शन, एयर सपोर्ट बंद करने, राहत-बचाव अभियान और हमला करने के लिए किया जा सकता है।

  1. वैरिएंट्स: इस ड्रोन के दो वैरिएंट्स हैं – स्काई गार्डियन और सिबलिंग सी गार्डियन।
  2. भारत के उद्देश्य: भारत दो मुख्य कारणों से यह ड्रोन खरीदना चाह रहा है। पहला, LAC से लगे एरिया में चीन की निगरानी बिना किसी भनक के करना। दूसरा, साउथ चाइना सी में चीन की घुसपैठ को रोकना।

निष्कर्ष

नागस्त्र-1 और MQ-9B ड्रोन्स की उपलब्धता भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण विकास है। नागस्त्र-1 का उपयोग दुश्मनों के ठिकानों पर सटीक हमलों के लिए किया जाएगा, जबकि MQ-9B का उपयोग सीमा निगरानी और सुरक्षा बढ़ाने के लिए होगा। ये ड्रोन्स भारतीय सेना की सामरिक क्षमताओं को मजबूती प्रदान करेंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा को अधिक प्रभावी बनाएंगे।

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