पावर स्टार पवन कल्याण: फिल्मी सितारे से राज्य के उप मुख्यमंत्री तक

पीएम मोदी ने पवन कल्याण के लिए कहा था, “यह पवन नहीं है, आंधी है।” और यह “आंधी” आंध्र प्रदेश की राजनीति में अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार है।

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आंध्र प्रदेश को एक नई सरकार मिल गई है। तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार (12 जून) को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। TDP, जन सेना पार्टी (JSP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के गठबंधन ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में जोरदार जीत हासिल की। इस गठबंधन की सफलता में JSP के अध्यक्ष कोनिदेला पवन कल्याण की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पवन कल्याण ने आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है और राज्य की राजनीति में एक नई धारा की शुरुआत की है।

पवन कल्याण: फिल्म स्टार से राजनेता

पवन कल्याण, जो ‘पावर स्टार’ के नाम से प्रसिद्ध हैं, एक जाने-माने तेलुगू अभिनेता और मेगास्टार चिरंजीवी के छोटे भाई हैं। उन्होंने 1996 में फिल्म “अक्कड़ा अम्मायी इक्कड़ा अब्बायी” से अभिनय की शुरुआत की और कई व्यावसायिक सफल फिल्मों में काम किया। वह कराटे में ब्लैक बेल्ट है और वह अपने अधिकांश स्टंट खुद ही करते हैं।

2008 में, पवन ने अपने भाई चिरंजीवी की प्रजा राज्यम पार्टी (PRP) के साथ राजनीति में प्रवेश किया। हालांकि, PRP एक असफल प्रयोग साबित हुई और अंततः कांग्रेस में विलीन हो गई।

जन सेना पार्टी की स्थापना और चुनावी संघर्ष

2014 में, पवन ने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी, जन सेना पार्टी (JSP) की स्थापना की। उन्होंने TDP-BJP गठबंधन का समर्थन किया। 2019 में JSP ने आंध्र प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा।

कल्याण ने इस चुनावी पराजय से हिम्मत नहीं हारी और सत्तारूढ़ YSR कांग्रेस पार्टी (YSRCP) और मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ विभिन्न मुद्दों पर आवाज उठाई। उन्होंने ‘जना वाणी’ लॉन्च किया, जिसमें उन्होंने लोगों की शिकायतें सुनने के लिए छोटे सार्वजनिक सभाओं का आयोजन किया।

गठबंधन की राजनीति और TDP-JSP-BJP की जीत

कल्याण ने TDP प्रमुख नायडू और BJP नेताओं के साथ मिलकर गठबंधन बनाया, जिसने इस मार्च में पूर्व-चुनाव गठबंधन की घोषणा की। पवन कल्याण ने अपने रुख पर दृढ़ रहते हुए कहा कि वह YSRCP विरोधी वोट को विभाजित नहीं होने देंगे।

उन्होंने राज्य का व्यापक दौरा किया, भले ही जगन रेड्डी और उनके YSRCP नेताओं ने उनके व्यक्तिगत जीवन पर आलोचना की। यह आलोचना उल्टी पड़ गई, क्योंकि JSP नेताओं का मानना है कि इससे कल्याण को अधिक लोकप्रियता और सहानुभूति मिली।

चुनाव परिणाम और पवन कल्याण की जीत

गठबंधन ने राज्य में जोरदार जनादेश प्राप्त किया, जिसमें TDP ने 175 विधानसभा सीटों में से 135 सीटें जीतीं। पवन कल्याण की JSP ने सभी 21 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की। BJP ने आठ सीटें जीतीं। YSRCP को 11 विधानसभा सीटों पर सीमित कर दिया गया।

लोकसभा चुनावों में, TDP ने आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से 16 सीटें जीतीं, जबकि YSRCP ने केवल चार सीटें हासिल कीं। BJP ने तीन और JSP ने शेष दो सीटें जीतीं। JSP की 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट कल्याण के लिए और भी मधुर थी, खासकर 2019 की चुनावी हार के बाद। उन्होंने TDP और BJP के साथ गठबंधन के माध्यम से YSRCP विरोधी वोटों में विभाजन को रोक दिया। साथ ही, कल्याण, जो कापू समुदाय से आते हैं, ने “अपने जातिगत पहचान को पार कर” सभी का समर्थन हासिल किया।

पवन कल्याण की राजनीति में विशेषता

पवन कल्याण की राजनीति की एक प्रमुख विशेषता उनकी सक्रियता और जनता के साथ सीधा संवाद है। वह जनता के मुद्दों को समझते हैं और उनके समाधान के लिए संघर्षरत रहते हैं। यह उनकी लोकप्रियता का एक महत्वपूर्ण कारण है।

कल्याण ने TDP और BJP के साथ गठबंधन के माध्यम से एक मजबूत राजनीतिक धारा बनाई है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि YSRCP विरोधी वोट एकजुट रहें और इसका फायदा गठबंधन को मिले।

राज्य की नई सरकार में पवन कल्याण की भूमिका

हालांकि TDP ने अपने दम पर बहुमत हासिल कर लिया है, लेकिन कल्याण की पार्टी नई सरकार और इसकी नीतियों में बड़ी भूमिका निभाने की उम्मीद है। TDP की मजबूत कैडर और पवन कल्याण की लोकप्रियता का मेल आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक नई दिशा निर्धारित कर सकता है।

जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते पवन कल्याण के लिए कहा था, “यह पवन नहीं है, आंधी है।” और यह “आंधी” आंध्र प्रदेश की राजनीति में अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार है। पवन कल्याण की नेतृत्व क्षमता और उनकी जनसेवा की भावना राज्य की राजनीति में एक नई ऊर्जा ला सकती है।

निष्कर्ष

पवन कल्याण का उप मुख्यमंत्री बनना न केवल उनके लिए बल्कि आंध्र प्रदेश के लिए भी एक महत्वपूर्ण घटना है। उनकी राजनीतिक यात्रा और संघर्ष यह दिखाता है कि एक अभिनेता भी राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। उनके नेतृत्व में, आंध्र प्रदेश एक नई दिशा में आगे बढ़ सकता है और जनता के मुद्दों का समाधान कर सकता है। पवन कल्याण की ‘आंधी’ ने राज्य को झकझोर दिया है और अब सभी की नजरें उनके आगामी कदमों पर हैं।

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