रायबरेली छोड़ के प्रियंका गांधी ने चुना वायनाड, ये है असली कारण

राहुल गांधी ने अपने पास रायबरेली की सीट रखी है, जिसके बाद कांग्रेस ने वायनाड की रिक्त सीट पर प्रियंका वाड्रा को चुनाव लड़ाने का फैसला किया है।

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लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों में राहुल गांधी ने केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के रायबरेली दोनों सीटों पर विजय प्राप्त की। लेकिन अब उन्होंने निर्णय लिया है कि वे वायनाड सीट छोड़ देंगे और रायबरेली अपने पास रखेंगे। कांग्रेस पार्टी ने फैसला किया है कि वायनाड की रिक्त सीट पर प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ेंगी। यह निर्णय क्यों लिया गया, इसके पीछे के कारण को समझने के लिए हमें चुनावी गणित और कांग्रेस की रणनीति को समझना होगा।

वायनाड: कांग्रेस का मजबूत गढ़

वायनाड कांग्रेस के लिए एक मजबूत गढ़ है। यह क्षेत्र कांग्रेस के लिए एक अभेद्य किला माना जाता है। वायनाड की जनसंख्या में मुस्लिम समुदाय का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो कांग्रेस का विश्वसनीय समर्थक है। इस कारण से वहां भाजपा के लिए जीत दर्ज करना अत्यंत कठिन हो जाता है। हालांकि यह मुस्लिम आबादी का समर्थन तब तक कांग्रेस के पक्ष में रहेगा, जब तक कांग्रेस के सामने कोई मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा नहीं होता। इस स्थिर समर्थन के कारण, कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को वायनाड से चुनाव लड़ने के लिए चुना है, जहां जीत की संभावना अधिक है।

रायबरेली: कठिन चुनौती

वहीं, रायबरेली की स्थिति अलग है। भले ही 2024 के चुनावों में भाजपा को उत्तर प्रदेश में नुकसान हुआ हो, लेकिन कांग्रेस जानती है कि यह स्थायी नहीं है। उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणामों ने स्पष्ट किया कि भाजपा की हार का मुख्य कारण उनकी गलत रणनीतियां और वोटरों की निष्क्रियता थी, जिन्होंने यह मान लिया था कि भाजपा की जीत सुनिश्चित है और इस कारण वे मतदान करने नहीं गए।

राहुल गांधी का निर्णय

कांग्रेस जानती है कि यदि राहुल गांधी रायबरेली की बजाय वायनाड को चुनते, तो रायबरेली में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ सकता था। ऐसा इसलिए क्योंकि रायबरेली एक हिंदू बहुल क्षेत्र है और कांग्रेस को यहां विशेष चुनौती का सामना करना पड़ता है। इस संदर्भ में, राहुल गांधी का रायबरेली में बने रहना पार्टी के लिए आवश्यक था।

प्रियंका गांधी का प्रभाव

रायबरेली में प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की संभावना पर भी विचार किया गया था, लेकिन यह निर्णय इसलिए नहीं लिया गया क्योंकि वहां भाजपा की जीत की संभावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। प्रियंका गांधी को वायनाड से चुनाव लड़ाने का निर्णय उनके प्रभाव और कांग्रेस की जीत को सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।

कांग्रेस की दीर्घकालिक रणनीति

इस निर्णय का एक और महत्वपूर्ण कारण है, और वह है कांग्रेस की दीर्घकालिक रणनीति। प्रियंका गांधी को राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख भूमिका में स्थापित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। वायनाड सीट से उनकी उम्मीदवारी न केवल कांग्रेस के लिए जीत सुनिश्चित करेगी, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत करेगी।

सामरिक महत्व

वायनाड और रायबरेली के इस निर्णय का सामरिक महत्व भी है। कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ें मजबूत करने की जरूरत है, और राहुल गांधी का रायबरेली में बने रहना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वहीं, प्रियंका गांधी का वायनाड से चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए दक्षिण भारत में अपनी स्थिति को मजबूत करने का एक प्रयास है।

प्रियंका गांधी की भूमिका

प्रियंका गांधी की भूमिका अब केवल एक राज्य या क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगी। वायनाड से उनकी उम्मीदवारी राष्ट्रीय राजनीति में उनके महत्व को बढ़ाएगी। कांग्रेस की यह रणनीति उनके नेतृत्व में पार्टी को नए आयामों तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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