कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर से सैम पित्रोदा को अपनी ओवरसीज शाखा, ‘इंडियन ओवरसीज कांग्रेस’, के अध्यक्ष के पद पर बहाल कर दिया है। यह फैसला 26 जून, 2024 को घोषित किया गया। पिछले लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार अभियान के दौरान उनके विवादास्पद बयानों के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। लेकिन अब उन्हें पुनः इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया गया है। इस निर्णय के पीछे की संभावनाओं और इसके राजनीतिक प्रभावों पर गंभीर समीक्षा आवश्यक है।
विवादास्पद बयान और उनकी प्रतिक्रिया
सैम पित्रोदा ने भारत के नागरिकों के प्रति नस्लवादी टिप्पणी की थी, जिससे उनकी खूब आलोचना हुई थी। उन्होंने विविधता और लोकतंत्र की बात करते हुए भारतीय नागरिकों की तुलना चीन, अरब, श्वेत और अफ़्रीका के लोगों से की थी। उन्होंने कहा था कि पूर्वी भारत के लोग चीनी जैसे दिखते हैं, पश्चिमी भारत के लोग अरबी जैसे, उत्तर भारतीय श्वेत जैसे और दक्षिण भारतीय अफ़्रीकी जैसे दिखते हैं। इस बयान ने देशभर में काफी आक्रोश उत्पन्न किया और पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया।
इनहेरिटन्स टैक्स पर समर्थन
पित्रोदा ने इनहेरिटन्स टैक्स लगाए जाने का भी समर्थन किया था, जिसमें किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति के एक बड़े हिस्से पर सरकार का कब्जा होना चाहिए। यह बयान भी विवादित रहा और इसे जनता के व्यापक हिस्सों ने नकारात्मक रूप से लिया।
1984 सिख नरसंहार पर टिप्पणियां
1984 के सिख नरसंहार को लेकर भी सैम पित्रोदा का बयान ‘हुआ तो हुआ’ काफी विवादित रहा। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिखों पर हुए अत्याचार को कांग्रेस नेताओं ने जायज ठहराया था, जिसमें सैम पित्रोदा का बयान एक बड़ा उदाहरण था।
सैम पित्रोदा की कांग्रेस में भूमिका
सैम पित्रोदा का इतिहास कांग्रेस पार्टी के साथ लंबे समय से जुड़ा हुआ है। 1989 में राजीव गांधी के काल में उन्हें ‘टेलीकॉम कमीशन’ का पहला अध्यक्ष बनाया गया था। 2005 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें ‘नेशनल नॉलेज कमीशन’ का मुखिया नियुक्त किया था। 2009 में उन्हें कैबिनेट मंत्री के रैंक के साथ ‘इन्फॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर’ के क्षेत्र में प्रधानमंत्री का सलाहकार बनाया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भविष्यवाणी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही सैम पित्रोदा को पुनः स्थापित किए जाने की भविष्यवाणी कर दी थी। उन्होंने सैम पित्रोदा को अमेरिका में राहुल गांधी का गुरु बताते हुए कहा था कि उनसे इस्तीफा दिलवा दिया गया है, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें फिर से वापस ले लिया जाएगा। पीएम मोदी ने इसे सोची-समझी रणनीति बताते हुए कहा था कि वो देश में भ्रम का वातावरण फैलाते हैं और चालाकियां करते रहते हैं।
राजनीतिक परिणाम और संभावनाएं
कांग्रेस पार्टी का यह निर्णय कई प्रश्न उठाता है। पार्टी ने सैम पित्रोदा को वापस लाकर क्या संदेश देना चाहती है? क्या यह पार्टी की आंतरिक राजनीति और नेतृत्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है? या फिर यह केवल एक व्यक्ति के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता का उदाहरण है?
निष्कर्ष
सैम पित्रोदा की पुनः नियुक्ति कांग्रेस पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद निर्णय है। यह फैसला पार्टी के लिए न केवल एक रणनीतिक दांव है, बल्कि इससे जनता के बीच पार्टी की छवि और विश्वास पर भी प्रभाव पड़ेगा।
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