अग्निपथ योजना में सेना चाहती है ये पांच बड़े बदलाव।

भारतीय सेना ने अग्निपथ योजना के कुछ प्रावधानों में बदलाव की इच्छा व्यक्त की है, और संभावित सुधारों के लिए समीक्षा और सर्वेक्षण का आयोजन किया।

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भारतीय सेना ने 2022 में अग्निवीर भर्ती योजना को लागू किया, जिसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा जैसे राज्यों में इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध हुआ। इस योजना का मुख्य विवाद सेवा अवधि और 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थायी रूप से बनाए रखने तथा शेष 75 प्रतिशत को चार साल की सेवा के बाद मुक्त करने के निर्णय को लेकर है। इससे चार साल की सेवा पूरी करने के बाद अग्निवीरों के भविष्य पर सवाल उठाए गए हैं।

अग्निवीर योजना: एक चुनावी मुद्दा

2024 के आम चुनावों में अग्निवीर योजना एक प्रमुख मुद्दा बनी, विशेष रूप से उन राज्यों में जहां नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार को सीटों में कमी का सामना करना पड़ा। इसके सहयोगी दल, विशेष रूप से नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड), ने इस योजना पर असंतोष जताया और कुछ बदलावों का सुझाव दिया।

भारतीय सेना ने भी इस योजना के कुछ प्रावधानों में बदलाव की इच्छा व्यक्त की और संभावित सुधारों के लिए समीक्षा और सर्वेक्षण का आयोजन किया। यहां हम उन पांच प्रमुख बदलावों पर चर्चा करेंगे, जिन्हें भारतीय सेना इस योजना में शामिल करना चाहती है:

अग्निवीरों का प्रतिशत बढ़ाना जो बनाए जाएंगे

भारतीय सेना चाहती है कि चार साल की सेवा की समाप्ति के बाद बनाए जाने वाले अग्निवीरों की संख्या 60-70 प्रतिशत तक बढ़ाई जाए। वर्तमान में केवल 25 प्रतिशत अग्निवीर बनाए जाते हैं, जबकि शेष 75 प्रतिशत को लगभग 12 लाख रुपये की एकमुश्त भुगतान के साथ मुक्त कर दिया जाता है। सेना का मानना है कि अधिक संख्या में अग्निवीरों को बनाए रखने से उनकी विशेषज्ञता और प्रशिक्षण का बेहतर उपयोग हो सकेगा।

सेवा अवधि बढ़ाना

सेना चार साल की सेवा अवधि को बढ़ाकर सात से आठ साल करना चाहती है। कई सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सेना और इसकी रेजिमेंट प्रणाली के अनुसार पूरी तरह से प्रशिक्षित सैनिक बनने में कम से कम छह से सात साल लगते हैं।

वर्तमान अग्निवीर प्रणाली में चार साल की अवधि में औपचारिक बुनियादी प्रशिक्षण केवल नौ महीने की अवधि के लिए होता है, जबकि शेष प्रशिक्षण तब होता है, जब अग्निवीर को इकाई के साथ तैनात किया जाता है। सेवानिवृत्त अधिकारी तर्क देते हैं कि जैसे ही अग्निवीर रेजिमेंट के साथ किसी विशिष्ट क्षेत्र में कुछ विशेषज्ञता विकसित करता है, चार साल की अवधि समाप्त हो जाती है और उसे मुक्त कर दिया जाता है। इससे भविष्य में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

तकनीकी क्षेत्रों में भर्ती की आयु बढ़ाना

वर्तमान में अग्निवीरों को 17 से 21.5 साल की उम्र के बीच भर्ती किया जाता है। सेना तकनीकी शाखाओं जैसे सिग्नल, एयर डिफेंस, और इंजीनियरों में भर्ती के लिए आयु को 23 साल तक बढ़ाने का प्रस्ताव कर रही है। इन शाखाओं में उनके तकनीकी स्वभाव के कारण अधिक प्रशिक्षण अवधि की आवश्यकता होती है। सेना का मानना है कि आयु सीमा बढ़ाने से इन क्षेत्रों में अग्निवीरों की विशेषज्ञता और दक्षता में वृद्धि होगी।

सेवा अवधि की समाप्ति के बाद विकलांगता भुगतान और नौकरी खोजने में सहायता

सेना उन अग्निवीरों के लिए अनुग्रह भुगतान चाहती है, जो प्रशिक्षण के दौरान विकलांग हो जाते हैं। इसके अलावा, एक पेशेवर एजेंसी की स्थापना की जानी चाहिए जो सेवा अवधि समाप्त होने के बाद अग्निवीरों को भविष्य की नौकरियां खोजने में मार्गदर्शन प्रदान करे। यह कदम अग्निवीरों को एक सुरक्षित और स्थिर भविष्य सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

निर्वाह भत्ता

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, योजना में युद्ध में मृत्यु होने पर अग्निवीर के परिवार के सदस्यों को निर्वाह भत्ता देने का प्रावधान भी शामिल होना चाहिए। यह भत्ता उन परिवारों के लिए आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा, जिन्होंने देश की सेवा में अपने प्रियजनों को खो दिया है।

निष्कर्ष

अग्निवीर योजना में प्रस्तावित ये बदलाव भारतीय सेना की आवश्यकताओं और अग्निवीरों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। इन सुधारों से न केवल सेना की दक्षता में वृद्धि होगी, बल्कि अग्निवीरों को भी एक स्थिर और सुरक्षित भविष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी। भारतीय सेना और सरकार को मिलकर इन सुझावों पर विचार करना चाहिए और इस योजना को और अधिक प्रभावी और संतुलित बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

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