भोजशाला सर्वेक्षण: ASI ने 2,000 पृष्ठों की सर्वेक्षण रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंपी

ASI ने भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद को लेकर अपनी वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय को सौंपी है।

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मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का विवाद वर्षों से चला आ रहा है। इस ऐतिहासिक स्थल को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद की स्थिति बनी हुई है। हाल ही में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस विवादित स्थल पर वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंपी है। इस लेख में हम इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

वैज्ञानिक सर्वेक्षण की पृष्ठभूमि

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए ASI को भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। ASI ने 22 मार्च को सर्वेक्षण का कार्य शुरू किया और इसे पूरा करने के लिए उच्च न्यायालय से दो बार समय बढ़ाने का अनुरोध किया। अंततः, ASI ने 15 जुलाई को अपनी विस्तृत रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंप दी।

भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद विवाद

भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का विवाद सदियों पुराना है। हिंदू समुदाय इसे वाग्देवी (सरस्वती देवी) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद के रूप में पहचानता है। इस विवाद को सुलझाने के लिए ASI ने 7 अप्रैल, 2003 को एक आदेश जारी किया था, जिसके अनुसार हिंदुओं को मंगलवार को पूजा करने की अनुमति है और मुस्लिमों को शुक्रवार को नमाज पढ़ने की अनुमति है। इस आदेश को ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ ने चुनौती दी है।

उच्च न्यायालय का आदेश और वैज्ञानिक सर्वेक्षण

उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को ASI को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया और इसे पूरा करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया। ASI ने सर्वेक्षण शुरू किया लेकिन इसे पूरा करने के लिए समय बढ़ाने की आवश्यकता पड़ी। 29 अप्रैल को उच्च न्यायालय ने ASI को आठ और सप्ताह का समय दिया और 2 जुलाई तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। फिर भी, ASI ने चार सप्ताह की और समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया, जिसके बाद 4 जुलाई को उच्च न्यायालय ने 15 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल को भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण को रोकने से इंकार कर दिया, लेकिन यह भी कहा कि सर्वेक्षण के परिणामों पर बिना उसकी अनुमति के कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह आदेश मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी द्वारा दायर याचिका पर दिया गया था, जिसमें 11 मार्च के मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।

निष्कर्ष

भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद विवाद एक जटिल मुद्दा है जिसमें धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाएं जुड़ी हुई हैं। ASI द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट इस विवाद को सुलझाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अब उच्च न्यायालय को इस रिपोर्ट पर 22 जुलाई को सुनवाई करनी है, जिसके बाद इस विवाद का भविष्य तय होगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि न्यायालय का निर्णय क्या आता है और इससे दोनों समुदायों के बीच शांति और सद्भावना कैसे बनाए रखी जा सकती है।

विचार

इस विवाद का समाधान केवल कानूनी प्रक्रिया से ही संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए दोनों समुदायों के बीच संवाद और समझौते की आवश्यकता है। इतिहास और पुरातत्व के प्रमाणों के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक हितों को भी ध्यान में रखना होगा। आशा है कि न्यायालय का निर्णय न्यायपूर्ण और संतुलित होगा, जिससे समाज में शांति और सद्भावना की स्थापना हो सकेगी।

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