डसॉल्ट एविएशन की भारतीय वायु सेना के लिए बड़ी पहल।

जेवर में डसॉल्ट द्वारा स्थापित होने वाली इस नई MRO सुविधा के साथ, देश में राफेल और उनके घटकों के उत्पादन की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी।

डसॉल्ट एविएशन, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, मिराज-2000 जेट्स, राफेल, भारतीय वायु सेना,

फ्रांस की प्रसिद्ध विमान निर्माता कंपनी डसॉल्ट एविएशन भारत में भारतीय वायु सेना (IAF) के राफेल और मिराज-2000 लड़ाकू विमानों की मरम्मत, रिपेयर और ओवरहॉल (MRO) सुविधा स्थापित करने की योजना बना रही है। यह कदम भारतीय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और रक्षा उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव को स्थानीय स्तर पर सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है। इस लेख में हम इस महत्वपूर्ण परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

भारतीय वायु सेना की आवश्यकता

भारतीय वायु सेना के पास वर्तमान में 36 राफेल जेट विमान हैं, जिन्हें 2016 में खरीदा गया था। ये विमान तकनीकी रूप से सबसे उन्नत और आधुनिक हैं, जिनसे भारतीय वायु सेना की मारक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके अलावा, भारतीय नौसेना भी 26 राफेल-एम जेट खरीदने पर विचार कर रही है, जिसकी कीमत लगभग 5 बिलियन डॉलर होगी। इस खरीद के लिए एक वार्ता टीम पहले ही भारत में आ चुकी है।

यह परियोजना कहां स्थापित की जाएगी?

डसॉल्ट एविएशन की यह MRO सुविधा उत्तर प्रदेश के नोएडा के पास जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट स्थापित की जाएगी। कंपनी इस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में है। यह स्थान रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के विमानों की मरम्मत और रखरखाव में समय और संसाधनों की बचत होगी।

मिराज-2000 जेट्स का ओवरहाल

डसॉल्ट एविएशन की इस MRO सुविधा में पुराने मिराज-2000 जेट्स का भी ओवरहाल किया जाएगा। भारतीय वायु सेना इन पुराने एयरफ्रेम्स के लिए विभिन्न देशों से उन्हें अधिग्रहण कर रही है ताकि उनका उपयोग आवश्यक पुर्जों के लिए किया जा सके। इससे भारतीय वायु सेना को अपने मिराज-2000 बेड़े को लंबे समय तक सेवा में बनाए रखने में मदद मिलेगी।

सैफ्रान का योगदान

राफेल विमानों के लिए M-88 इंजन बनाने वाली कंपनी सैफ्रान भी हैदराबाद में एक और MRO सुविधा स्थापित करने की योजना बना रही है, जो 2025 तक संचालन में आ जाएगी। सैफ्रान ने भी बड़े पैमाने पर राफेल विमानों के ऑर्डर मिलने पर इन इंजनों का उत्पादन पूरी तरह से भारत में करने का वादा किया है। 

इसके अलावा, सैफ्रान हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ मिलकर भारतीय मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर (IMRH) और डेक-बेस्ड मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर (DB-MRH) को शक्ति देने के लिए एक टर्बोशाफ्ट इंजन के डिज़ाइन, विकास और निर्माण पर भी काम कर रही है।

भविष्य की संभावनाएं

जेवर में स्थापित होने वाली इस नई MRO सुविधा के साथ, भारत में राफेल लड़ाकू विमानों और उनके घटकों के उत्पादन की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी, खासकर यदि डसॉल्ट MRFA प्रतियोगिता में जीतता है। यह परियोजना न केवल भारतीय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी, बल्कि देश में उच्च तकनीक रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास और उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगी।

निष्कर्ष

डसॉल्ट एविएशन द्वारा भारत में MRO सुविधा की स्थापना भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण विकास है। इससे भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना को अपने अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की मरम्मत और रखरखाव में सुविधा होगी, और देश में रक्षा उपकरणों के उत्पादन और विकास के नए अवसर पैदा होंगे। यह परियोजना न केवल भारतीय रक्षा क्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि देश की आत्मनिर्भरता और तकनीकी प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।

और पढ़ें:- भारतीय सेना को नागस्त्र-1 की पहली खेप हुई प्राप्त

Exit mobile version