अनंत अंबानी की शादी के प्रति विदेशी मीडिया का दोगलापन।

अनंत अंबानी का विवाह एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक घटना थी, लेकिन विदेशी मीडिया यहां भी भारत को बदनाम करने का मौका नहीं छोड़ा।

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भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक मुकेश अंबानी के सबसे छोटे बेटे अनंत अंबानी का विवाह राधिका मर्चेंट के साथ हाल ही में सम्पन्न हुआ। यह विवाह समारोह भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है, जिसमें परंपरा, आधुनिकता, और वैश्विक प्रतिष्ठा शामिल हैं। यह आयोजन न केवल परिवार के लिए बल्कि देश और विदेश के लोगों के लिए भी चर्चा का विषय बना।

आयोजन की भव्यता

इस विवाह की तैयारियां कई महीनों पहले शुरू हो गई थीं। पहला प्रमुख आयोजन गुजरात के जामनगर में हुआ, जो तीन दिनों तक चला। इस कार्यक्रम में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप, कतर के प्रधानमंत्री, बिल गेट्स, मार्क जुकरबर्ग, गौतम अडानी, अदार पूनावाला, आनंद महिंद्रा, सचिन तेंदुलकर, रिहाना सहित कई प्रमुख व्यक्ति शामिल हुए थे। 

दूसरा बड़ा आयोजन इटली में हुआ, यहां भी उच्च प्रतिष्ठित अतिथियों ने भाग लिया। अंततः जुलाई में मुंबई में एक अत्यंत भव्य विवाह समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट विवाह सूत्र में बंधे। इस समारोह में राजनीतिक विरोधी भी शामिल हुए, जो कभी अंबानी परिवार के खिलाफ तीव्र आलोचना करते थे। यह दर्शाता है कि अंबानी परिवार की प्रतिष्ठा और उनकी सामाजिक स्वीकार्यता कितनी व्यापक है।

औपनिवेशिक मीडिया का नकारात्मक दृष्टिकोण

इस भव्य आयोजन की चर्चा न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी हुई। विदेशी मीडिया ने इस विवाह समारोह को लेकर भारत की छवि को नीचा दिखाने की कोशिश की। बीबीसी ने शोभा डे के हवाले से लिखा, “हमारे अरबपति नए भारतीय महाराज हैं।” रिपोर्ट में यह भी बार-बार उल्लेख किया गया कि इस भव्य आयोजन से मुंबई की आम जनता को परेशानी हुई। Reuters ने भी अपनी रिपोर्ट में लिखा कि इस विवाह के कारण मुंबई के एक मुख्य इलाके में चार दिनों तक यातायात पर प्रतिबंध रहा, जिसके कारण लोगों में गुस्सा भरा।

वहीं, द वाशिंगटन पोस्ट द्वारा लिखी गई रिपोर्ट में मुंबई में जलभराव की स्थिति से उपजे असंतोष को अंबानी की शादी के साथ जोड़ा गया। उन्होंने एक मध्यवर्गीय मैकेनिक नौशाद अहमद के हवाले से लिखा कि नौशाद को इस बात पर हैरानी है कि कैसे शहर अंबानी के लिए संसाधनों की व्यवस्था तो कर लेता है, मगर बुनियादी ढांचे पर काम नहीं करता है।

भारतीय परंपराओं और आधुनिकता का संगम

भारतीय समाज में विवाह समारोह विशेष महत्व रखता है। यह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं होता, बल्कि दो परिवारों, संस्कृतियों और परंपराओं का मिलन होता है। अंबानी परिवार के इस विवाह समारोह में भारतीय परंपराओं का विशेष ध्यान रखा गया। शादी की विभिन्न रस्में और धार्मिक अनुष्ठान इस बात का प्रमाण हैं कि आधुनिकता के बावजूद भारतीय परंपराएं अभी भी महत्वपूर्ण हैं।

सामाजिक और आर्थिक असमानता का प्रश्न

औपनिवेशिक मीडिया ने अंबानी के विवाह के बहाने भारत की गरीबी और आर्थिक असमानता को उभारा। अल जजीरा ने एक वीडियो बनाकर दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में अमीरों और गरीबों के बीच का अंतर बढ़ रहा है और यह भी कहा कि भारत में यह अंतर अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन से भी अधिक है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत में आर्थिक असमानता एक गंभीर मुद्दा है। लेकिन अंबानी परिवार के निजी आयोजन को इस तरह से उभारा जाना, जैसे कि यह पूरे देश की समस्या का प्रतीक हो, गलत है। हर समाज में ऐसे आयोजन होते हैं और इनका व्यक्तिगत जीवन में महत्व होता है।

औपनिवेशिक मानसिकता का प्रभाव

औपनिवेशिक मीडिया की मानसिकता हमेशा भारत को एक गरीब और पिछड़े देश के रूप में प्रस्तुत करने की रही है। जब ब्रिटेन में प्रिंस चार्ल्स का राज्याभिषेक हुआ था, तो उस समय वहां पर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के प्रति मीडिया मौन रही थी। वर्ष 2023 में ब्रिटेन में किंग चार्ल्स की ताजपोशी में हजारों करोड़ रुपए खर्च हुए थे, लेकिन मीडिया ने इस पर कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं की।

निष्कर्ष

मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी का विवाह एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक घटना थी, जिसने भारतीय समाज की परंपराओं और आधुनिकता का अद्वितीय संगम प्रस्तुत किया। हालांकि, औपनिवेशिक मीडिया ने इस आयोजन का उपयोग भारत की गरीबी और आर्थिक असमानता को उभारने के लिए किया, जो एक पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण को दर्शाता है।

इस आयोजन को केवल एक निजी समारोह के रूप में देखना चाहिए, जिसमें भारतीय परंपराओं और आधुनिकता का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया गया। भारतीय समाज में ऐसे आयोजन हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं और इन्हें उसी संदर्भ में देखना उचित है। औपनिवेशिक मानसिकता से प्रेरित मीडिया को भारत को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है, ताकि भारतीय समाज और संस्कृति की सच्ची तस्वीर सामने आ सके।

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