मोदी सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना: पुराने हाथों के लिए नई भूमिकाएं

मोदी 3.0 में राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत की गई यह नियुक्तियां एक स्पष्ट संकेत हैं कि भारत अपने दुश्मनों के खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए तैयार है।

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भारतीय राजनीति और सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल कई महत्वपूर्ण बदलावों का संकेत देता है। विशेष रूप से, राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन में हाल ही में किए गए कुछ निर्णयों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार अपने दुश्मनों के खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए तैयार है। 

3 जुलाई को, भारत सरकार ने पूर्व रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) प्रमुख और वर्तमान डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (डिप्टी NSA) राजिंदर खन्ना को अतिरिक्त राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एडिशनल NSA) के पद पर नियुक्त किया। यह पहली बार है जब इस पद पर किसी की नियुक्ति की गई है, जबकि यह पद हमेशा से मौजूद था लेकिन पहले कभी भरा नहीं गया।

महत्वपूर्ण नियुक्तियां और उनकी पृष्ठभूमि

राजिंदर खन्ना, जो 1978 बैच के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं, जनवरी 2018 से डिप्टी NSA के रूप में कार्यरत थे और उन्होंने प्रौद्योगिकी और खुफिया विभाग का नेतृत्व किया। खन्ना, जो पाकिस्तान और आतंकवाद के विशेषज्ञ माने जाते हैं, इससे पहले R&AW के प्रमुख के रूप में काम कर चुके हैं और उन्होंने इसकी ऑपरेशन्स विंग का नेतृत्व किया।

खन्ना के अलावा, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के विशेष निदेशक टी वी रविचंद्रन और भारतीय विदेश सेवा (IFS) के अधिकारी पवन कपूर को नए डिप्टी NSA के रूप में नियुक्त किया गया है। खन्ना द्वारा खाली किए गए डिप्टी NSA पद को टी वी रविचंद्रन द्वारा भरा जाएगा, जबकि विक्रम मिसरी द्वारा खाली किया जाने वाला पद पवन कपूर को सौंपा जाएगा। तीसरे डिप्टी NSA का पद सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी पंकज सिंह द्वारा भरा गया है, जो आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मामलों को संभालते हैं।

निरंतरता की नीति

इन नियुक्तियों के साथ, प्रधानमंत्री मोदी ने NSCS (राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय) में न्यूनतम बदलाव किए हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि पाकिस्तान से उत्पन्न इस्लामी आतंकवाद, खालिस्तानी उग्रवाद और अलगाववाद से निपटने की नीति में निरंतरता बनी रहे। वर्तमान NSA अजीत डोभाल के नेतृत्व में, यह टीम सभी आंतरिक और बाहरी सुरक्षा मामलों का प्रबंधन करेगी।

भारत के दुश्मनों के खिलाफ कठोर कदम

डिप्टी NSA के रूप में खन्ना और विक्रम मिसरी के कार्यकाल के दौरान, कई पाकिस्तानी मूल के आतंकवादी और खालिस्तानी उग्रवादियों को पाकिस्तान और कनाडा में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा मारा गया। पाकिस्तानी, अमेरिकी और कनाडाई सरकारों का आरोप है कि ये हत्याएं भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान द्वारा प्रायोजित हैं। 

कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय एजेंटों पर खालिस्तानी आतंकवादी और कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया। अमेरिकी सरकार ने भी एक अन्य खालिस्तानी आतंकवादी, गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश का दावा किया और भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान को इसमें शामिल बताया।

भविष्य की दिशा

इन आरोपों को ध्यान में रखते हुए, NSCS में समान अधिकारियों को बनाए रखना और अन्य पदों पर आंतरिक फेरबदल करना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत अपने दुश्मनों को जहां भी वे छिपे हों, वहां तक पहुंचने की मंशा रखता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अप्रैल में की गई चेतावनी भी इसी इरादे को दर्शाती है, जब उन्होंने कहा, “हम किसी भी आतंकवादी को नहीं बख्शेंगे… यदि आवश्यक हो तो उन्हें भारत के बाहर भी मार देंगे।”

सुरक्षा में कोई समझौता नहीं

मोदी 3.0 की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है, जहां चारों मंत्री — रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर और गृह मंत्री अमित शाह — अपने पद पर बने हुए हैं। यह निरंतरता दर्शाती है कि सरकार अपने सुरक्षा दृष्टिकोण में किसी भी तरह का समझौता नहीं करने वाली है।

निष्कर्ष

मोदी 3.0 के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा में किए गए ये बदलाव और नियुक्तियां एक स्पष्ट संकेत देती हैं कि भारत अपने दुश्मनों के खिलाफ कठोर और निर्णायक कदम उठाने के लिए पूरी तरह तैयार है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक मजबूत और एकजुट टीम का गठन करना, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक सुदृढ़ और दृढ़ निश्चयी रणनीति का प्रतीक है। ऐसे में, आने वाले समय में भारतीय सुरक्षा प्रबंधन के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं।

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