डिजिटल अटेंडेंस पर राजनीति करने वालों राज्य में शिक्षकों की यह लापरवाही भी तो दिखाओ….।

संभल में सामने आए एक मामले ने यह दिखा दिया कि शिक्षकों पर प्रशासन की सख्ती क्यों जरूरी है। और क्यों यह डिजिटल हाजिरी का फैसला भी जरूरी है।

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उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हाल ही में सरकारी शिक्षकों के लिए एक नया नियम लागू किया, जिसमें प्रत्येक शिक्षक को समय पर स्कूल में उपस्थित होकर डिजिटल हाजिरी लगानी अनिवार्य कर दी गई। इस नियम के लागू होते ही शिक्षकों में भारी नाराजगी फैल गई और उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया। विपक्ष ने भी इस मौके का फायदा उठाते हुए सरकार पर हमला बोला और शिक्षकों के समर्थन में उतर आया। हालांकि, शिक्षकों की दलीलों को समझते हुए सरकार ने बाद में डिजिटल हाजिरी के लिए उन्हें आधे घंटे का अतिरिक्त समय देने का निर्णय लिया।

शिक्षकों पर सख्ती का महत्व

सरकार के इस फैसले का शिक्षा के स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह एक अलग चर्चा का विषय है। लेकिन संभल जिले में सामने आए एक मामले ने यह स्पष्ट कर दिया कि शिक्षकों पर प्रशासन की सख्ती क्यों जरूरी है। संभल के एक सरकारी स्कूल में जिलाधिकारी (डीएम) ने औचक निरीक्षण के दौरान पाया कि एक शिक्षक स्कूल के समय में कैंडी क्रश गेम खेल रहे थे। जब डीएम ने शिक्षक के मोबाइल की जांच की, तो पता चला कि उन्होंने स्कूल के 5 घंटे 30 मिनट के समय में से 1 घंटे 17 मिनट तक कैंडी क्रश खेला था और शेष समय में सोशल मीडिया का उपयोग किया था। कुल मिलाकर उन्होंने लगभग ढाई घंटे का समय इन्हीं गतिविधियों में बर्बाद किया था। डीएम ने तुरंत इस शिक्षक, प्रेम गोयल, को ड्यूटी से निलंबित कर दिया।

निरीक्षण में मिली कमियां

जानकारी के अनुसार, यह घटना शरीफपुर ग्राम पंचायत के एक सरकारी स्कूल की है, जहाँ डीएम ने औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान, स्कूल में 101 छात्रों में से केवल 47 ही उपस्थित थे। डीएम ने शिक्षकों की कार्यशैली और बच्चों को पढ़ाने के तरीकों का मूल्यांकन किया। उन्होंने 6 छात्रों की कॉपियों के 6 पृष्ठों की जांच की और उनमें से 95 गलतियाँ पाईं। आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, पहले पृष्ठ पर 9 गलतियाँ, दूसरे पर 23, तीसरे पर 11, चौथे पर 21, पाँचवे पर 18 और छठे पृष्ठ पर 13 गलतियाँ थीं। डीएम ने छात्रों की कॉपियों की जांच करने के बाद उन्हें फटकार लगाई और केवल एक शिक्षक और एक शिक्षिका के पढ़ाने के तरीकों की प्रशंसा की।

शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव

इस घटना ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है। एक शिक्षक का इस प्रकार का व्यवहार न केवल उनकी जिम्मेदारियों की अवहेलना करता है, बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी करता है। डिजिटल हाजिरी की प्रणाली शिक्षकों की उपस्थिति और उनके कार्य के प्रति उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रणाली न केवल शिक्षकों को समय पर उपस्थित रहने के लिए प्रेरित करेगी, बल्कि उन्हें अपने कार्य के प्रति गंभीर रहने के लिए भी प्रोत्साहित करेगी।

डिजिटल हाजिरी के फायदे

डिजिटल हाजिरी प्रणाली के कई फायदे हैं। सबसे पहले, यह शिक्षकों की उपस्थिति को ट्रैक करने में मदद करती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि वे समय पर स्कूल में उपस्थित रहें। इसके अलावा, यह प्रणाली शिक्षकों की कार्यशैली में सुधार लाने के लिए भी प्रभावी है, क्योंकि इससे वे अपने कार्य के प्रति अधिक जिम्मेदार बनते हैं। शिक्षकों की उपस्थिति और उनके कार्य के प्रति प्रतिबद्धता शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

विपक्ष और शिक्षकों की प्रतिक्रिया

हालांकि, इस नई प्रणाली के लागू होने के बाद शिक्षकों और विपक्ष ने इसकी आलोचना की। शिक्षकों का कहना था कि यह नियम उनके अधिकारों का उल्लंघन करता है और उन्हें अनावश्यक दबाव में डालता है। विपक्ष ने भी इस मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए भुनाने का प्रयास किया। हालांकि, सरकार ने शिक्षकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें आधे घंटे का अतिरिक्त समय देने का निर्णय लिया, जिससे इस विवाद को कुछ हद तक शांत किया जा सका।

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश में सरकारी शिक्षकों के लिए डिजिटल हाजिरी प्रणाली का लागू होना शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रणाली के माध्यम से शिक्षकों की उपस्थिति और उनके कार्य के प्रति उत्तरदायित्व को सुनिश्चित किया जा सकता है। संभल की घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षकों पर प्रशासन की सख्ती कितनी जरूरी है। यह घटना शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता को भी उजागर करती है। अंततः, डिजिटल हाजिरी प्रणाली का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है, जिससे छात्रों का भविष्य उज्ज्वल हो सके।

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