बिहार: प्रशांत किशोर की रणनीति से हिला राजद का किला।

आरजेडी की चिंता इस डर में निहित है कि प्रशांत किशोर उसकी सबसे बड़ी ताकत, उसके समर्पित कैडर आधार को खत्म कर देंगे।

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बिहार की राजनीति में हालिया घटनाक्रमों ने एक नई दिशा पकड़ ली है। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में खलबली मचा दी है। राजद के भीतर एक आंतरिक पत्र ने पार्टी की चिंता को उजागर किया है, जिसमें तेजस्वी यादव की नींद हराम होती दिख रही है। यह पत्र राजद बिहार के प्रमुख जगदानंद सिंह द्वारा लिखा गया है जिसमें पार्टी के कैडर को संबोधित किया गया है।

राजद की चिंता

  1. प्रशांत किशोर का उदय: राजद की चिंता का मुख्य कारण प्रशांत किशोर का 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी करना है। किशोर की जन सुराज पार्टी ने राजद के कैडर को अपने पक्ष में करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं, जिससे राजद नेतृत्व में हलचल मच गई है।
  2. जाति का मुद्दा: जगदानंद सिंह के पत्र में किशोर के उपनाम को लेकर एक व्यक्तिगत हमला किया गया है। बिहार में जातिगत पहचान महत्वपूर्ण है, और किशोर के उपनाम ‘पांडे’ को लेकर राजद ने उनके खिलाफ जातिगत भावना भड़काने का प्रयास किया है। सिंह ने किशोर को ‘प्रशांत किशोर या प्रशांत किशोर पांडे’ के रूप में उल्लेखित किया, जिससे राजद समर्थकों को सतर्क किया जा सके।
  3. भाजपा का संबंध: पत्र में जन सुराज पार्टी को भाजपा की बी टीम कहा गया है। सिंह ने दावा किया कि जन सुराज भाजपा और उसके धार्मिक नेताओं द्वारा नियंत्रित और वित्तपोषित है। यह आरोप राजद समर्थकों को किशोर के खिलाफ करने के लिए एक रणनीति के रूप में देखा जा सकता है।

राजद का कैडर और उसका महत्व

  1. कैडर का निर्माण: राजद के प्रारंभिक वर्षों में, पार्टी ने मजबूत व्यक्तियों जैसे मोहम्मद शहाबुद्दीन, पप्पू यादव, सुभाष यादव आदि पर निर्भर किया। ये नेता अपनी अपनी क्षेत्रों में प्रभावी थे और पार्टी के लिए वोट बैंक सुनिश्चित करते थे।
  2. निष्ठावान कैडर: राजद के सत्ता में आने के बाद, पार्टी का कैडर आधार मजबूत हुआ। लोगों ने लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में सामाजिक न्याय के नाम पर पार्टी में शामिल होकर निष्ठावान कैडर का निर्माण किया।
  3. चुनाव प्रबंधन: प्री-ईवीएम युग में, कैडर की निष्ठा ने कई बार बूथ कैप्चरिंग के आरोपों को जन्म दिया। हालांकि ये आरोप कभी साबित नहीं हुए, लेकिन जंगल राज के दौरान बूथ लूटने की घटनाओं का हवाला दिया जाता है।

प्रशांत किशोर का प्रभाव

  1. जन सुराज की रणनीति: प्रशांत किशोर की यात्रा तीन मुख्य पहलुओं पर केंद्रित है: समस्याएं, समाधान, और वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था की प्रभावशीलता। किशोर और उनकी टीम लोगों को अपने राज्य के लिए किशोर की दृष्टि के इर्द-गिर्द जुटा रहे हैं।
  2. वोटिंग पैटर्न पर कटाक्ष: किशोर ने लोगों को उनके वोटिंग पैटर्न के लिए खुलकर फटकार लगाई है, जो मुख्य रूप से पार्टी, धर्म और जाति पर आधारित हैं। उनकी टीम स्थानीय समस्याओं के समाधान के ब्लूप्रिंट प्रदान कर रही है, जिससे लोग उनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।
  3. राजनीतिक डायनेमिक्स में बदलाव: बिहार की राजनीतिक गतिशीलता पिछले तीन दशकों से अधिकतर स्थिर रही है, जिसमें जाति और धर्म का प्रमुखता रही है। किशोर का आंदोलन यह संदेश दे रहा है कि केवल विकास की बात करना अब वोट हासिल करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

निष्कर्ष

राजद की चिंता प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के बढ़ते प्रभाव के कारण है। किशोर की रणनीति और उनकी पार्टी का सामाजिक न्याय के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना राजद के लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। बिहार की राजनीति में यह नया मोड़ आगामी विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

किशोर का उदय और उनकी पार्टी का प्रभाव बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को कैसे बदलता है, यह देखने वाली बात होगी। राजद को अपने कैडर को मजबूत रखने और किशोर के प्रभाव को कम करने के लिए नई रणनीतियों पर विचार करना होगा।

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