उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए ऑनलाइन अटेंडेंस दर्ज करने का आदेश दिया है। इस आदेश का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और अनुशासन सुनिश्चित करना है। यह आदेश 8 जुलाई से लागू किया गया है, जबकि पहले इसे 15 जुलाई से लागू करने की योजना थी। लेकिन, पहले ही दिन मात्र 2 प्रतिशत 6.09 लाख सरकारी शिक्षक और ‘शिक्षा मित्र’ ऑनलाइन अटेंडेंस दर्ज कर सके।
आदेश का विरोध और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस आदेश के विरोध में हजारों शिक्षक सड़कों पर उतर आए। मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस विरोध का समर्थन किया। उन्होंने दावा किया कि शिक्षकों के देर से स्कूल पहुंचने के कई कारण हो सकते हैं और नया सिस्टम उन पर अनावश्यक दबाव डालता है, जिससे कई हादसे हो सकते हैं। यादव ने यह भी मांग की कि पहले यह प्रणाली प्रशासनिक अधिकारियों पर लागू की जानी चाहिए और सरकार की शिक्षकों पर अविश्वास की नीति उनकी शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी।
प्रदर्शनकारियों के तर्क
विरोध कर रहे शिक्षकों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित स्कूलों में पहुंचना समय पर मुश्किल है, क्योंकि वहाँ आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं है। कुछ शिक्षकों ने कहा कि अगर उनकी अन्य मांगें जैसे कैशलेस मेडिकल सुविधाएं और अवकाश की व्यवस्थाएं पूरी हो जाती हैं, तो वे ऑनलाइन अटेंडेंस प्रणाली में सहयोग करेंगे। सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिनमें शिक्षक काले बैंड बांधकर विरोध दर्ज कर रहे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया और समायोजन
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षक संघ और बेसिक शिक्षा विभाग के बीच चर्चा के बाद ऑनलाइन अटेंडेंस के निर्णय को वापस लिया जा सकता है। पहले दिन के विरोध के बाद, सरकार ने शिक्षकों को 30 मिनट की छूट दी है। अब शिक्षकों को 8 बजे के बजाय 8:30 बजे तक उपस्थिति दर्ज करने की अनुमति दी गई है।
ऑनलाइन अटेंडेंस प्रणाली की आवश्यकता
सरकारी शिक्षकों का ऑनलाइन अटेंडेंस प्रणाली के प्रति विरोध के बावजूद, यह मानना होगा कि यह अधिकांश निजी क्षेत्र की नौकरियों में एक सामान्य प्रक्रिया है। ऑनलाइन अटेंडेंस प्रणाली न केवल पारदर्शिता बढ़ाती है, बल्कि समय की पाबंदी भी सुनिश्चित करती है। सरकारी शिक्षा प्रणाली में इस प्रकार की प्रणाली का लागू होना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इससे शिक्षकों की उपस्थिति और समय पर स्कूल में आने की प्रवृत्ति बढ़ेगी। इससे छात्रों को भी समय पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।
राजनीति और शिक्षकों की जिम्मेदारी
राजनीतिक दलों का शिक्षकों के विरोध का समर्थन करना और इसे एक राजनीतिक मुद्दा बनाना गलत है। शिक्षा का क्षेत्र राजनीति से ऊपर होना चाहिए और इसका उद्देश्य केवल छात्रों की भलाई और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना होना चाहिए। शिक्षकों को भी यह समझना चाहिए कि उनकी जिम्मेदारी केवल पढ़ाना ही नहीं, बल्कि एक आदर्श प्रस्तुत करना भी है। ऑनलाइन अटेंडेंस प्रणाली को अपनाने से वे अपनी जिम्मेदारी को और अधिक गंभीरता से ले सकते हैं।
निष्कर्ष
ऑनलाइन अटेंडेंस प्रणाली का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में अनुशासन और पारदर्शिता बढ़ाना है। शिक्षकों का इसका विरोध करना और इसे राजनीतिक मुद्दा बनाना उचित नहीं है। शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए और छात्रों के हित में इस प्रणाली को अपनाना चाहिए। सरकार को भी शिक्षकों की अन्य मांगों पर विचार करना चाहिए, जिससे शिक्षकों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें और वे अपने कर्तव्यों का पालन और भी अच्छे से कर सकें।
और पढ़ें:- उत्तर प्रदेश में पेपर लीक करने वालों के लिए योगी का गिफ्ट