अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रम्प पर हाल ही में पेंसिलवानिया के बटलर में आयोजित एक रैली के दौरान हमला हुआ। इस हमले में वो बाल-बाल बच गए, लेकिन उनके दाएँ कान में चोट लग गई और खून बहने लगा। इस हमले में हमलावर समेत दो लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प के जल्द स्वस्थ होने की कामना की। इस घटना ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी, लेकिन एक और दिलचस्प तथ्य है जो इस घटना से जुड़ा है और वो है डोनाल्ड ट्रम्प का भारत के जगन्नाथ यात्रा से संबंध।
भारत में इस समय जगन्नाथ महाप्रभु की रथयात्रा चल रही है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाओं को मंदिर से निकालकर जनसामान्य के बीच लाया जाता है। ओडिशा के पुरी में होने वाली इस यात्रा में लाखों लोग हिस्सा लेते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं। यह रथयात्रा न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी आयोजित की जाती है। इसी प्रकार की एक रथयात्रा का डोनाल्ड ट्रम्प से भी संबंध है।
न्यूयॉर्क में रथयात्रा का आयोजन
यह घटना 1976 की है जब इस्कॉन (अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ) ने न्यूयॉर्क शहर में तीन भव्य रथों के साथ भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकालने का निर्णय लिया। उस समय मैनहटन में ‘वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ स्थित था, जिसे बाद में 2001 में आतंकियों ने ध्वस्त कर दिया। इस्कॉन को मैनहटन में एक बड़ी जगह चाहिए थी जहाँ रथों का निर्माण हो सके और उन्हें यात्रा वाले मार्ग पर ले जाया जा सके।
मैनहटन में संपत्ति होना बेहद महंगा और मुश्किल काम था, लेकिन टोसन कृष्णा दास ने पेंसिलवानिया रेलरोड यार्ड्स को इस काम के लिए चुना। यह जगह इस्कॉन को उपलब्ध कराने के लिए उस समय की एकमात्र विकल्प थी। टोसन ने उस कॉर्पोरेट कंपनी से संपर्क किया जिसके पास उस संपत्ति का स्वामित्व था और उनसे निवेदन किया कि वे रथों के निर्माण के लिए कुछ दिन के लिए यह एरिया इस्कॉन को उपलब्ध कराएं।
हालांकि, उस समय कंपनी ने बताया कि यह जमीन बिकने वाली है और अब इसके नए मालिकों के ऊपर है कि वे यह जमीन देंगे या नहीं। उस जमीन के नए मालिक कोई और नहीं बल्कि डोनाल्ड जे. ट्रम्प थे, जो 41 वर्षों बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बनने वाले थे।
डोनाल्ड ट्रम्प का निर्णय
टोसन ने एक प्रस्ताव लिखा और ट्रम्प को भेजा। ट्रम्प ने टोसन को ‘फॉर सीजंस रेस्टॉरेंट’ बुलाया जहाँ उस जमीन की खरीद-बेच संबंधित प्रक्रियाओं के अलावा दस्तावेजों का आदान-प्रदान होना था। डोनाल्ड ट्रम्प ने लिखित में इस्कॉन को उस जमीन के इस्तेमाल की अनुमति दी। उन्होंने इस प्रस्ताव को रद्द कर सकते थे, लेकिन उन्होंने रथयात्रा के लिए इस जगह को देने का निर्णय लिया। किसी को नहीं पता कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, लेकिन आज इस घटना को दैवीय हस्तक्षेप के रूप में देखा जा रहा है।
इस्कॉन के दृष्टिकोण से
इस्कॉन के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास इस घटना को दैवीय हस्तक्षेप के रूप में देखते हैं। जब यह घटना हुई तब डोनाल्ड ट्रम्प मात्र 30 वर्ष के थे और इस्कॉन अपना 10वां स्थापना दिवस मना रहा था। इस तरह यह न्यूयॉर्क में पहली रथयात्रा बनी। इस्कॉन के लोग जब डोनाल्ड ट्रम्प के पास प्रस्ताव लेकर गए थे, तब वे महाप्रसाद भी साथ लेकर गए थे। उनके सेक्रेटरी ने इस्कॉन के प्रतिनिधियों को बताया कि वे इस तरह के प्रस्तावों को स्वीकार नहीं करते, लेकिन ट्रम्प ने पत्र पढ़ा, प्रसाद खाया और इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इसके बाद किसी तरह पुलिस से भी अनुमति ली गई और रथयात्रा का आयोजन संभव हो सका।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में
डोनाल्ड ट्रम्प के इस निर्णय ने उन्हें इस्कॉन और जगन्नाथ यात्रा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। यह शायद भगवान जगन्नाथ के पुण्यकार्य में सहभागी बनने का ही प्रतिफल है कि वे एक खतरनाक हमले में भी जीवित बच गए हैं। इस घटना ने यह भी दिखाया कि कैसे एक छोटे से निर्णय का प्रभाव दीर्घकालिक हो सकता है और कैसे धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का वैश्विक महत्व हो सकता है।
इस प्रकार, डोनाल्ड ट्रम्प और जगन्नाथ यात्रा के बीच का यह कनेक्शन एक अद्भुत और रोचक प्रसंग है, जो न केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज है बल्कि वर्तमान घटनाओं में भी इसका प्रभाव देखा जा सकता है।