उत्तराखंड के चारधाम तीर्थ यात्रा का देश की सबसे पुरानी और महत्त्वपूर्ण तीर्थ यात्राओं में से एक होना कोई संयोग नहीं है। यह यात्रा, जो छह माह तक चलती है, उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के आर्थिक चक्र को गतिमान रखती है। इस यात्रा का धार्मिक और आर्थिक महत्व अत्यंत गहरा है, जो इसे एक अनूठा धार्मिक पर्यटन बनाता है।
चारधाम का धार्मिक महत्व
चारधाम यात्रा में बदरीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री शामिल हैं, जिन्हें हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। सिखों के तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब को भी इस यात्रा का हिस्सा माना जाता है। मान्यता है कि इस यात्रा की शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी, जिन्होंने धार्मिक यात्राओं की परंपराएं स्थापित कीं और सनातन धर्म के तीर्थ यात्रियों को देव दर्शन के लिए प्रेरित किया।
बदरीनाथ धाम में भगवान विष्णु की पूजा होती है, जबकि केदारनाथ में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित है। जोशीमठ (बद्रीकाश्रम) आदि शंकराचार्य के मठ के रूप में स्थापित है। यहां के धर्माचार्य दक्षिण भारत के रावल होते हैं और स्थानीय ब्राह्मण जैसे बहुगुणा, डिमरी, नौटियाल, जोशी आदि पूजा-अर्चना और भोग-प्रसाद की व्यवस्था करते हैं।
चारधाम यात्रा का आर्थिक प्रभाव
चारधाम यात्रा के विकास के साथ-साथ तीर्थ यात्रियों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में किए गए विकास कार्यों के कारण यह यात्रा पहले से अधिक सुगम हो गई है। सड़कों की मरम्मत और निर्माण, रेल प्रोजेक्ट, और रोपवे की योजनाओं ने इस यात्रा को अत्यंत सुविधाजनक बना दिया है।
घोड़े और खच्चरों से जुड़ा कारोबार
केदारनाथ, यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब की पैदल यात्रा के लिए हजारों घोड़े-खच्चर पंजीकृत हैं। केवल केदारनाथ में ही 9,096 घोड़े-खच्चर पंजीकृत थे, जो तीर्थ यात्रियों और सामान को ढोने का कार्य करते हैं। इससे 200 करोड़ रुपये तक का कारोबार होता है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
हवाई यात्रा का व्यापार
2022 में केदारनाथ से हेलीकॉप्टर सेवा शुरू होने के बाद इसका कारोबार भी बढ़ता गया। 2023 में यह आंकड़ा 91.41 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। हवाई किराए में वृद्धि और यात्रियों की संख्या को देखकर 2024 में यह 100 करोड़ रुपये से अधिक पहुंचने की संभावना है।
होटल और होम स्टे व्यवसाय
चारधाम यात्रा मार्ग पर होटलों और होम स्टे का व्यवसाय चरम पर है। गंगोत्री घाटी में 400 से अधिक होटल और होम स्टे हैं, यमुनोत्री घाटी में 300 से अधिक, और बदरीनाथ-केदारनाथ मार्ग में 850 से अधिक होम स्टे और होटल हैं। इनका कारोबार अरबों रुपये में है। 2024 के प्रारंभिक दो हफ्तों में ही इनका कारोबार 200 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
पर्यटन कंपनियों का योगदान
पर्यटन कंपनियों का भी इस यात्रा में बड़ा योगदान है। एक यात्री औसतन पांच हजार रुपये हरिद्वार से चारों धाम तक आने-जाने पर खर्च करता है। 50 लाख यात्रियों से यह कारोबार 25 अरब रुपये का होता है। यह राशि गढ़वाल क्षेत्र के आर्थिक चक्र को सक्रिय रखती है।
यात्रा मार्ग पर छोटे कारोबार
चारधाम यात्रा मार्ग पर छोटी दुकानों और ढाबों का कारोबार भी खूब फलता-फूलता है। तीर्थ यात्री अपनी यात्रा के दौरान दिन में कम से कम तीन बार चाय-ढाबों का रुख करते हैं, जिससे उनकी रोजाना खर्च कम से कम दो सौ रुपये तक पहुंचता है। एक हफ्ते में यह खर्च हरिद्वार से तीर्थ यात्री के लिए 1400-1500 रुपये तक हो जाता है।
अन्य फलते-फूलते कारोबार
यात्रा के दौरान स्थानीय उत्पादों की भी जमकर बिक्री होती है। हरिद्वार और ऋषिकेश के बाजार तीर्थ यात्रियों से भरे रहते हैं। 2024 की यात्रा में तीर्थ यात्री केवल केदारनाथ से ही एक लाख से अधिक प्रतीक चिन्ह खरीद चुके हैं। बदरीनाथ से आगे माणा गांव में प्रधानमंत्री मोदी के स्थानीय उत्पादों की खरीद के आह्वान के बाद से यहां बुनकरों और काष्ठ कारीगरों के उत्पादों की बिक्री में भी जबरदस्त उछाल आया है।
सरकार की आय
चारधाम यात्रा से उत्तराखंड सरकार को जीएसटी, राज्य कर, परिवहन कर आदि से करोड़ों रुपये की आय होती है। कारोबारियों के बढ़ते व्यवसाय से आयकर और नेशनल हाइवे पर टोल टैक्स से भी आय में वृद्धि होती है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड की चारधाम तीर्थ यात्रा धार्मिक और आर्थिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव है, बल्कि गढ़वाल क्षेत्र की आर्थिक धारा को भी सक्रिय बनाए रखती है। सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों और स्थानीय लोगों की मेहनत से यह यात्रा एक सफल धार्मिक पर्यटन के रूप में उभर कर सामने आई है। चारधाम यात्रा की धार्मिक और आर्थिक महत्वता को समझते हुए, इसे और भी सुगम और सुरक्षित बनाने के प्रयास लगातार जारी हैं।
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