हिमाचल प्रदेश में ज़बरदस्त झटका खाने के बाद कांग्रेस आलाकमान अब अभिषेक मनु सिंघवी को किसी तरह फिर राज्यसभा में सेट करने की तैयारी में है। कांग्रेस ने उन्हें दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना से राज्यसभा में भेजने का फैसला कर लिया है और इसका ऐलान भी किया जा चुका है।
अभिषेक मनु सिंघवी को कांग्रेस ने इससे पहले हिमाचल प्रदेश की सेफ सीट से टिकट दिया था। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के पास 40 विधायक थे, यानी बहुमत से 5 ज्यादा। लेकिन अभिषेक मनु सिंघवी पर बाहरी का टैग कुछ ऐसा लगा कि स्पष्ट बहुमत के बावजूद सिंघवी अपनी सीट नहीं बचा सके और कांग्रेस के 6, तीन निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी प्रत्याशी को राज्यसभा पहुंचा दिया।
सिंघवी की राज्यसभा के लिए हुआ स्वाति मालीवाल प्रकरण ?
आम चुनाव से पहले ये कांग्रेस के लिए जबरदस्त झटका था, लेकिन इस झटके के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने फिर राज्यसभा जाने का प्रयास शुरू कर दिया। खबरें आईं कि इस बार आम आदमी पार्टी उन्हें अपने विधायकों के दम पर राज्यसभा पहुंचाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों की मानें तो आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल इसके लिए अपनी करीबी रहीं स्वाति मालीवाल की राज्यसभा सदस्यता की बलि चढ़ाने को भी तैयार हो गए थे। लेकिन स्वाति मालिवाल ने सिंघवी के लिए सीट छोड़ने से साफ इनकार कर दिया। इसके बाद जो हुआ, वो सार्वजनिक सुर्खियों का हिस्सा है।
तेलंगाना में भी सिंघवी के लिए सेट की गई फील्डिंग
बहरहाल अब कांग्रेस सिंघवी को एक साल के अंदर तीसरा मौका देने की तैयार में है। और अब उन्हें तेलंगाना के सेफ मैदान से राज्यसभा का टिकट दिया जाएगा। कांग्रेस अब उन्हे केशव राव की राज्यसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए मैदान में उतार रही है।
केशव राव बीआरएस से राज्यसभा सांसद चुने गए थे, लेकिन बाद में उन्होने कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही उन्होने अपनी राज्यसभा सदस्यता भी छोड़ दी थी और इसकी जगह उन्हें मुख्यमंत्री का सलाहकार बना दिया गया। यानी तेलंगाना में भी कांग्रेस ने बकायदा सिंघवी उनके लिए अच्छी खासी फील्डिंग सेट की है, ताकि किसी तरह उन्हें राज्यसभा पहुंचाया जा सके।
तेलंगाना में कांग्रेस के 64 विधायक हैं, यानी बहुमत से 4 ज्यादा। जबकि उसे AIMIMM के 7 और CPI के एक विधायक का साथ मिलने की भी उम्मीद है। ऐसे में अभिषेक मनु सिंघवी, तीसरे प्रयास में ही सही राज्यसभा की दहलीज पार कर सकते हैं।
लेकिन यहां ये सवाल भी उठता है कि आखिर कांग्रेस ही नहीं आम आदमी पार्टी के सिंघवी प्रेम के पीछे का कारण क्या है? और एक साल के अंदर ही हिमाचल के बाद उन्हे दिल्ली और फिर तेलंगाना से भी मौका देने की तैयारी क्यों की जा रही है।
इसकी वजह है सिंघवी का वरिष्ठ वकील होना। अलग अलग कानूनी चुनौतियों का सामना करने के लिए फिलहाल कांग्रेस में सिंघवी के कद का कोई दूसरा वकील नहीं है। कपिल सिब्बल पहले ही टिकट न मिलने से नाराज होकर समाजवादी पार्टी का दामन थाम चुके हैं। और फिलहाल कोर्ट में कांग्रेस के किसी भी मुकदमे से बचते नजर आते हैं। ऐसे में कांग्रेस की एक मात्र उम्मीद सिंघवी ही हैं। यही नहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी कथित शराब घोटाला केस में जेल में हैं, और उन पर ED के साथ-साथ CBI का भी एक्शन जारी है। ऐसे में सिंघवी दोनों ही पार्टियों की जरूरत बने हैं, ताकि उनके जरिए कानूनी पचड़ों में फंसी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को न्यायिक राहत मिल सके।