महाराष्ट्र की राजनीति इस समय पेंडुलम बनी हुई है, राज्य में पक्ष और विपक्ष दोनों में शामिल राजनैतिक दल डगमगा रहे हैं। दोनों गठबंधन में राजनैतिक तनाव है, ऐसे समय में महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे अनुभवी चेहरे शरद पवार फिर से चर्चा में हैं, हाल में ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और एनसीपी (पवार) के मुखिया शरद पवार की मुलाकात ने कयासबाजी का दौर शुरू कर दिया। हालांकि दोनों नेताओं ने मुलाकात के पीछे की वजह कुछ और बताई जरूर है, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में कब कौन-सी मुलाकात किस पर भारी पड़ जाए, इसका अंदाजा लगाने में नेताओं के और राजनैतिक विश्लेषकों के पसीने छूट रहे हैं।
शिवसेना(शिंदे) प्रमुख और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पिछले 20 दिनों में शरद पवार से दो बार मुलाकात कर चुके हैं, जबकि इससे पहले वह एनसीपी पर कई तरह के आरोप लगा चुके थे, लेकिन अचानक ही शरद पवार और शिंदे के बीच गलबहियाँ सबको चौंका रही है। इस मुलाकात से लगता है कि शिंदे भविष्य के राजनीतिक परिदृश्य में अपनी भूमिका को और अधिक महत्वपूर्ण बनाने के लिए खुद को स्थापित कर रहे हैं, ज़ाहिर है कि बीजेपी को भी इसका अंदाजा है.
सबसे बड़ा दल बीजेपी हमलावर तो शिंदे का पवार के प्रति प्रेम क्यों उमड़ रहा है ?
एक ओर जहां बीजेपी शरद पवार पर राजनैतिक हमले कर रही है, तो दूसरी तरफ सीएम एकनाथ शिंदे, शरद पवार से मुलाकात कर रहे हैं। यहां ये भी ध्यान में रखना जरूरी है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एकनाथ शिंदे ने अपने डिप्टी सीएम अजित पवार से भी दूरी बना ली है, साथ ही शिंदे महाराष्ट्र सरकार के बड़े फैसलों का ऐलान खुद करके पूरा क्रेडिट भी अपने पास रखने का मौका नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में चर्चा है कि लोकसभा चुनाव में बहुमत के आंकड़े से पिछड़ी बीजेपी को शिंदे पॉलिटिक्स ने बैकफुट पर धकेल दिया है।
क्या नीतीश कुमार की राह पर चलेंगे एकनाथ शिंदे ?
राजनीति वक्त का खेल है, और वक्त कभी भी गठबंधन धर्म, दोस्ती-दुश्मनी और सिद्धांतों की परवाह नहीं करती। बीजेपी भी ऐसी राजनीतिक अवसरवादिता से अपरिचित तो नहीं है। बिहार में अपने सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) का साथ और अलगाव का अनुभव बीजेपी को बखूबी है। कम से कम चार ऐसे मौके आए हैं जब नीतीश कुमार ने पाला बदल कर सत्ता हासिल की। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र में इसी राह पर चल सकते हैं?
अब जरा महाराष्ट्र के राजनैतिक इतिहास और वर्तमान सरकार के आंकड़ों पर नज़र डालें तो उद्धव ठाकरे से अलग होकर एकनाथ शिंदे सीएम बने, जबकि उनके पास सिर्फ 38 विधायक हैं। वहीं डिप्टी सीएम का पद बीजेपी के पास है, जिसके 102 विधायक हैं। महायुति सरकार की एक और सहयोगी पार्टी एनसीपी के पास 40 विधायक हैं। एनसीपी के अध्यक्ष अजित पवार को भी डिप्टी सीएम पद ही मिल पाया। ऐसे में सबसे कम सीट वाले शिंदे पर हमेशा ही सीएम की कुर्सी छोड़ने का दबाव बना रहता है और इस पॉलिटिकल प्रेशर को दूर करने के लिए लगता है कि शिंदे ने नीतीश कुमार का रास्ता अपनाने की तैयारी कर ली है।
शिंदे-पवार की मुलाकातों का सिलसिला और अटकलों का दौर
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की हाल ही में शरद पवार के साथ हुई मुलाकातों ने इन अटकलों को और हवा दी है। सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं के बीच चर्चा का केंद्र विवादास्पद मराठा आरक्षण मुद्दा था, राजनीतिक गलियारों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिंदे शायद बिहार के नीतीश कुमार की तरह एक रणनीति अपना रहे हैं।
लेखक- अनुज शुक्ला
पेशे से पत्रकार, फिलहाल स्वतंत्र लेखन