राजनीतिक शतरंज में किस मोहरे को कब चलना है? यह समय, स्थान और परिस्थितियों को देखकर तय किया जाता है। इसका मौजूदा उदाहरण है अखिलेश और राहुल की दोस्ती। अभी करीब 3 महीने पहले इन दोनों नेताओं की दोस्ती या यूं कहें राजनीतिक गठबंधन ने यूपी में बीजेपी को बैक फुट पर ला दिया था। लेकिन पड़ोसी राज्य हरियाणा का विधानसभा चुनाव आते-आते दोनों के और बदले हुए नजर आ रहे हैं, जहां अखिलेश यादव यूपी में 37 लोकसभा सीटें जीतने के बाद नवऊर्जा से लबरेज होकर अपने संगठन का यूपी के बाहर विस्तार चाहते हैं। इंडिया गठबंधन फार्मूले के तहत अखिलेश हरियाणा में कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग में मजबूत हिस्सेदारी चाहते हैं, तो वही फिलहाल हरियाणा में मजबूत कांग्रेस प्रादेशिक स्तर पर अपेक्षाकृत नई पार्टी सपा को सीट नहीं देना चाहती है। बस यही से बीजेपी विरोधी गुट के दो बड़े जनाधार वाले नेताओं के बीच बात बिगड़ती जा रही है। जानकारी के मुताबिक अखिलेश यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को लिखित में हरियाणा में पांच विधानसभा सीट देने का पत्र भेज दिया है, साथ ही यह हिदायत भी दी है की अगर गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी को सीट नहीं मिलती है तो अखिलेश यूपी में एकला चलो की राह अपना सकते हैं।
कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अपने महत्वपूर्ण सहयोगी की इस डिमांड पर गंभीरता से विचार कर रहा है, क्योंकि मौजूदा वक्त में पीडीए की सियासत के मुखिया अखिलेश की नाराजगी को कांग्रेस नजर अंदाज करने की स्थिति में नहीं है और कांग्रेस दोबारा से मध्य प्रदेश चुनाव के वक्त हुए कमलनाथ अखिलेश एपिसोड को नहीं दोहराना चाहती है। कांग्रेस के साथ दूसरे मोर्चे पर समस्या यह है कि अगर हरियाणा में कांग्रेस सपा सुप्रीमो की बात को नहीं मानती है तो अखिलेश यूपी में 10 विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस को नजर अंदाज कर सकते हैं। इस मांग के बाद हरियाणा में राजनीतिक रूप से सक्रिय लोगों की नजरें यूपी के दो लड़कों में जारी कशमकश से निकले फैसले के इंतजार में टिक गई है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में जीत से उत्साहित अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव के पूरे देश में संगठन विस्तार करने की लाइन पर आगे बढ़ गए हैं। उन्होंने न सिर्फ हरियाणा बल्कि आने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी करीब 12 सीट गठबंधन के तहत मांगी हैं। पिछले महाराष्ट्र चुनाव में सपा ने तीन विधानसभा सीटों पर लड़कर दो में जीत हासिल की थी। इस बार पार्टी के हौसले बुलंद हैं, सीट शेयरिंग फॉर्मूले को अंतिम रूप देने के लिए महाराष्ट्र के सपा के प्रमुख नेता अबू आजमी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने लखनऊ आए थे।
हरियाणा की बात करें तो सपा अपने कैडर वोट बैंक मुस्लिम और यादव बाहुल्य सीटों पर फोकस कर रही है, आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा में 11 सीट मुस्लिम बाहुल्य और सात विधानसभा सीट यादव बाहुल्य हैं, सपा इन्हीं में से पांच सीट कांग्रेस से मांग रही है। सपा को उम्मीद है कि कम से कम दो-तीन सीट गठबंधन के तहत पार्टी को मिल जायेंगी। लेकिन हरियाणा कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व नें यह कहकर सपा के सपनों पर पानी फेर दिया है कि हरियाणा में कांग्रेस इंडिया गठबंधन के दल आम आदमी पार्टी और सपा का सहारा नहीं लेगी। कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन किया है, और वह अकेले लड़ने में सक्षम है।
हालांकि कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व खास तौर पर राहुल गांधी अपने दोस्त अखिलेश को नाराज नहीं करना चाहते हैं, इसलिए कांग्रेस को इस मामले में न तो खाते बन रहा है और ना ही निगलते। इसलिये पहले से ही प्रादेशिक स्तर पर गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस की हरियाणा को लेकर चुनावी रणनीति के लिहाज से अगले 2-3 दिन बेहद अहम होने वाले हैं।
-अनुज शुक्ला