घुसपैठ की समस्या: देश की सुरक्षा से ऊपर राजनीति को रखने वाले धृतराष्ट्र कौन कौन? ये तुष्टिकरण का नतीजा है या उदारीकरण का?

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू प्रताड़ित, फिर भी घुसपैठिये बहुसंख्यक मुस्लिम क्यों ?

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्ता पलट के बाद उथल-पुथल मची हुई है, वहां कार्यवाहक सरकार स्थिति को संभालने में नाकाम नजर आ रही है। कट्टरपंथी वहां के हिंदू समाज के लोगों पर हमला कर रहे हैं, लेकिन हमले का जवाब हिंसा से न देकर बांग्लादेशी हिंदू शांतिपूर्ण प्रदर्शन करके सिस्टम से, सरकार से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रताड़ित होने के बाद भी हिंदुओं ने हिंदुस्तान में घुसपैठ की एक भी कोशिश नहीं की, जबकि सीमा पर तैनात बीएसएफ और राज्य की पुलिस के आंकड़े यह बताते हैं की बांग्लादेशी मुस्लिम लगातार भारत में घुसपैठ की अवैध रूप से कोशिश कर रहे हैं।

गौरतलब है की पड़ोसी देश बांग्लादेश से भारत के पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय से मिलती है> हालांकि बांग्लादेश में सरकार के अस्थिर होने के बाद से गृह मंत्रालय ने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स को अलर्ट कर दिया था। सबसे ज्यादा मॉनिटरिंग पश्चिम बंगाल बॉर्डर पर की जा रही है, लेकिन बांग्लादेशी मुसलमानों की भारत में घुसपैठ की कोशिश की आधिकारिक पुष्टि तब हुई जब असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने यह आंकड़े प्रेस कांफ्रेंस करके जारी किए कि जितने भी बांग्लादेशी नागरिक घुसपैठ की कोशिश करते हुए पकड़े गए वह सभी मुस्लिम थे, इसमें एक भी हिंदू नहीं था।

बांग्लादेश में कपड़े बनाने के कारखाने बंद होने से यह मुस्लिम मजदूर असम बॉर्डर के जरिए तमिलनाडु जाना चाहते थे, लेकिन सुरक्षा वालों की सतर्कता की वजह से घुसपैठियों की कोशिश नाकाम हो गई।

आखिर गैर भाजपा शासित राज्यों शरण क्यों लेना चाहते हैं घुसपैठिए

अब सवाल यह है कि क्या घुसपैठिए पूरा होमवर्क करके आ रहे हैं? पश्चिम बंगाल और  तमिलनाडु जैसे प्रदेशों में ही क्यों पनाह लेना चाहते हैं? क्या उन्हें भी गैर भाजपा शासित सरकारों के मुस्लिम प्रेम और तुष्टिकरण की पराकाष्ठा की जानकारी है? क्योंकि अगर कपड़े बनाने के कारीगर हिंदुस्तान आकर काम करना चाहते हैं, तो उन्हें कानूनी नियमों का पालन करते हुये प्रवेश करने की कोशिश करनी चाहिए।  कपड़े से जुड़ा हुआ कारोबार गुजरात के सूरत, उड़ीसा के तिरूपुर, और राजस्थान के जयपुर में भी बड़े स्तर पर है, लेकिन वहां पर बीजेपी की सरकार होने की वजह से कारीगर अवैध रूप से वहां नहीं जाना चाहते?

यह आंकड़े सार्वजनिक है कि पहले लाखों घुसपैठिए,  रोहिंग्या पश्चिम बंगाल की सीमा के जरिए पश्चिम बंगाल सहित देश के तमाम हिस्सों में बस चुके हैं। जो लंबे समय से अवैध रूप से भारत में रहकर अवैध कामों में लिप्त हैं,  ऐसे में क्या भारत में बड़ी संख्या में होने वाली धर्म विशेष के लोगों की घुसपैठ भारत की आंतरिक सुरक्षा और विविधतापूर्ण संस्कृति के लिए खतरा नहीं होगी?

भारत में घुसपैठियों की अनुमानित संख्या और इतिहास?

जानकारी के अनुसार बांग्लादेश से प्रवेश करने वाले घुसपैठिए असम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और बिहार तक ही नहीं, बल्कि राजधानी दिल्ली के अलावा कई अन्य प्रमुख शहरों तक पहुँच गए हैं।  आज हालत यह है कि पूरे देश में घुसपैठियों की संख्या 3 करोड़ को पार कर चुकी है। भारत में बांग्लादेशी घुसपैठियों की शुरुआत 1971 से हुई, जब बांग्लादेश स्वतंत्र राष्ट्र ना होकर पूर्वी पाकिस्तान था। यहां आये दिन होने वाली हिंसा, बलात्कार, लूट के डर से लाखों लोगों नें अवैध रूप से भारत में घुसपैठ की थी, इनका सबसे आसान केंद्र पश्चिम और असम था। घुसपैठ का ये पैटर्न आज भी बरकरार है, हालांकि समय समय पर भारत सरकार नें इनकी पहचान करके इनके वापस भेजने के प्रयास किये, जो नाकाफी साबित हुये।

इस मसले पर तुष्टिकरण और उदारवाद को किनारे रखते हुए केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों, राजनीतिक दलों को भारतीय संप्रभुता को केंद्र में रखते हुए विचार करना चाहिए।

-अनुज शुक्ला

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