झारखंड में “कमल” की आदिवासी वोटों पर नज़र, सोरेन परिवार के दुलारे बीजेपी का दामन थामने को तैयार!

आदिवासी बाहुल्य राज्य झारखंड में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं. भारतीय जनता पार्टी इस समय राज्य में विपक्ष की भूमिका निभाते हुए हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतार कर सत्ता में वापसी की मजबूत तैयारी करती हुई नजर आ रही है. भारतीय जनता पार्टी के थिंक टैंक को पता है कि अगर आदिवासी मुख्यमंत्री को हटाना है और झारखंड में कमल खिलाना है, तो पार्टी के कोर वोट के साथ आदिवासी वोट भी चाहिए। ऐसे में बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व तुरुप का इक्का फेंकने की तैयारी कर रहा है झारखंड से जुड़े विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, सोरेन परिवार के खास चंपई सोरेन जल्दी ही भगवा रंग में रंगने वाले हैं।

गौरतलब है कि मौजूदा मुख्यमंत्री को इस साल की शुरुआत में एक मनी लॉंड्रिंग के मामले में ईडी नें जेल भेजा था, जेल जाने से पहले हेमंत सोरेन नें इस्तीफा देकर चंपई सोरेन को राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया था। लेकिन कुछ दिन पहले जमानत पर जेल से बाहर आये हेमंत चंपई सोरेन को कुर्सी से हटाकर फिर से सीएम बन गये। राज्य की राजनीति पर नज़र रखने वाले बताते हैं कि यही बात चंपई सोरेन के गले नहीं उतरी थी, वो उसके बाद से ही लगातार देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के संपर्क में हैं, बस सही समय का इंतजार किया जा रहा है।

बीजेपी को क्षेत्रीय दलों की मजबूती का बेहतर अंदाजा है।पार्टी की ये रणनीति रही है कि खुद की पार्टी का विस्तार करने के साथ साथ विरोधियों को कमजोर करने से ही चुनावी फतह हासिल की जा सकती है, यूपी में जैसे मुलायम परिवार की बहू को अपनी पार्टी में शामिल कराया, ठीक उसी तरह सोरेन परिवार की बहू विधायक सीता सोरेन पहले ही सोरेन परिवार और पार्टी पर आरोप लगाकर कमल का दामन थाम चुकी हैं। इस बात की संभावना है कि आने वाले दिनों में बीजेपी में विरोधी पार्टियों के और भी बड़े नेता चुनाव से पहले शामिल हो सकते हैं।

चंपई सोरेन बीजेपी के लिये क्यों जरूरी?

बीजेपी की 2019 में विधानसभा का रण हारकर राज्य की सत्ता से विदाई हुई थी, इसके पीछे बड़ी वजह आदिवासियों के एकतरफा सोरेन परिवार को समर्थन देना बताई गई थी।आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में 26.2% आदिवासी हैं, जिसमें 32 जनजातियों में 8 आदिम जनजातियां हैं। हेमंत सोरेन ने जेल जाने का ठीकरा भी केंद्र सरकार पर फोड़ते हुये इसे आदिवासियों के अपमान से जोड़ा है, इसकी भरपाई के तौर पर चंपई सोरेन की संभावित ज्वाइनिंग को देखा जा रहा है।

– Anuj shukla

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