राम मंदिर की जगह हॉस्पिटल खुलवाने की सोच रखने वालों के पेट में होगा दर्द! अमेरिका में स्थापित हुई हनुमान लला की विशालकाय मूर्ति. पूरी दुनिया में बज रहा हिंदुत्व का डंका.

धर्म विशेष के लोगों पर विशेष निगरानी रखने वाला संयुक्त राज्य अमेरिका उदारवादी सनातन धर्म और भारतवासियों के लिए बन रहा है उदार।

पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हिंदू धर्म के लोग भारत यानी हिंदुस्तान में रहते हैं, यहां लाखों छोटे बड़े मंदिर हैं, लेकिन तुष्टिकरण की अंधी दौड़ में शामिल राजनीतिक दल बहुसंख्यक हिंदू देश में भी दूसरे पक्ष को लुभाने के लिए हिंदू विरोधी बयान और कृत्य आए दिन करते रहते हैं। यह वही लोग हैं जो राम के अस्तित्व पर सवाल उठाते थे, राम मंदिर मसले का हल अस्पताल और स्कूल खुलवाकर करना चाहते थे, लेकिन आज यह खबर उनको भी हैरान कर देगी। हर सनातनी के लिए यह गर्व का विषय है कि हिंदू धर्म का पुराना गौरव ना सिर्फ हिंदुस्तान में बल्कि पूरी दुनिया में लौट रहा है। इसी क्रम में अमेरिका के ह्यूस्टन के टेक्सास इलाके में स्थित श्री अष्टलक्ष्मी मंदिर में राम जी के परम भक्त हनुमान लला की 90 फुट की विशालकाय मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा चिन्नाजीयार स्वामी जी की पहल पर की गई है। इस विशाल मूर्ति को ‘स्टैचू ऑफ यूनियन’ नाम दिया गया है। बताया गया कि बजरंगबली ने जिस तरह मां सीता और प्रभु राम को मिलाया था, इसलिए ही इस प्रतिमा को स्टैच्यू ऑफ यूनियन का नाम दिया गया है। प्राण प्रतिष्ठा करने वाली टीम का यह दावा है की यह हनुमान जी की मूर्ति अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी मूर्ति है, और दुनिया भर में स्थापित मूर्तियों में टॉप 10 में शामिल है। अमेरिका की हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन इस स्थल को अध्यात्म का बड़ा केंद्र बनाना चाहती है, जाहिर तौर पर हर सनातनी संकट मोचन हनुमान लला के दिव्य स्थान पर जाकर दर्शन करना ही चाहेगा। गौरतलब है कि अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में भारत के बड़ी संख्या में हिंदू धर्म के लोग रहते हैं, यही वजह है कि आज भारत से सात समंदर पार स्थित अमेरिका में सनातन धर्म से जुड़े हुए कई धार्मिक स्थल बन गए हैं। इससे ईसाई बाहुल्य इलाकों में भी हिंदुत्व का खूब प्रचार प्रसार हो रहा है। अमेरिकी सरकार जहां एक तरफ धर्म विशेष के लोगों पर कड़ी निगरानी रखती है वहीं उदारवादी सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में कोई रुकावट पैदा नहीं कर रही है। शायद अब विदेशी पृष्ठभूमि के लोग भी यह समझ चुके हैं कि सनातन धर्म का मूल मंत्र विश्व कल्याण की भावना है। भारत के जनमानस को यह उम्मीद है कि भारतीय राजनीतिक दल भी इस सच्चाई को तुष्टिकरण की चाशनी से बाहर निकल कर स्वीकार करेंगे।

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