बांग्‍लादेश में हिंदुओं पर अत्‍याचार के खिलाफ लामबंद हुए देश व दुनिया के हिंदुवादी संगठन

बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हो रही हिंसा के खिलाफ दुनिया भर में जहां प्रदर्शन हो रहे हैं वहीं भारत में भी तमाम हिन्दुवादी संगठनों ने पड़ोसी मुल्क पर दबाव बनाने के लिए व्यापक मोर्चा खोल दिया है।

दिल्ली के मंडी हाउस से बाराखंभा रोड होते हुए शिवाजी स्‍टेडियम पहुंची इस ‘नारी शक्ति’ रैली में महिलाओं ने अपना रोष प्रकट करते हुए बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ उत्पीड़न तत्काल बंद करने की मांग की।

शेख हसीना के अपदस्थ किए जाने के साथ ही बांग्लादेश में हिन्दुओं पर लगातार हिंसा हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक हिंसा की विभिन्न घटनाओं में अब तक 200 के करीब हिंदुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इस दौरान उनके घरों, मंदिरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को लूटा गया और उन्हें आग के हवाले कर दिया गया।

इन हमलों की पूरी दुनिया में हो रही निंदा के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस से बात की और वहां हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रही हिंसा के खिलाफ सख्त आपत्ति जताई।

इसका असर यह हुआ कि यूनुस को खुद मैदान में उतरना पड़ा और उन्हें मंदिर-मंदिर दौड़ लगानी पड़ी। यूनुस ने शुक्रवार को स्वंय प्रधानमंत्री को फोन लगाकर वस्तुस्थिति की जानकारी दी और हिंदुओं की सुरक्षा का आश्वासन दिया।

हिंसा की घटनाओं के खिलाफ जहां बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं ने इस सप्ताह ढाका और चटगांव में बड़े पैमाने पर रैलियां निकाली और देशभर में हुई बर्बरता के बीच सुरक्षा की मांग की वहीं अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और संयुक्त राष्ट्र संघ तक में भी हिंदू संगठनों ने आवाज उठाई।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है। आरएसएस के शीर्ष पदाधिकारियों ने सरकार के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग रखी है। इसके बाद राजनयिक व कूटनीतिक स्तर पर भी प्रयास किए गए।

जंतर-मंतर पर एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि देश व दुनिया में हो रहे प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश की सरकार दबाव में है। उन्होंने कहा कि हमारी मांगों के अनुरूप बांग्लादेश को अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए विशेष न्यायाधिकरणों की स्थापना, अल्पसंख्यकों के लिए 10 प्रतिशत संसदीय सीटों का आवंटन और अल्पसंख्यक संरक्षण कानून लागू करने के लिए कदम उठाने ही होंगे।

विश्व नाथ झा।

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