हरियाणा में कांग्रेस की चुनावी नैय्या पार लगाने का जिम्मा संभाल रहे रणनीतिकार पार्टी के बजाय हुड़्डा परिवार की चमक बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। दल के बजाय उनपर दोस्ती का फैक्टर ज्यादा हावी है। इसलिए वे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और सांसद दीपेंद्र हुड्डा की छवि संवारने के साथ-साथ उनके समर्थक उम्मीदवारों की सर्वे में मदद कर उनका PR ठीक कर रहे हैं। दरअसल कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक और तेलंगाना में जीत दिलाने वाले चुनावी रणनीतिकार सुनील काणुगोलू और उनकी टीम को हरियाणा विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के चयन और चुनावी रणनीति की जिम्मेदारी सौंपी है। मगर दीपेंद्र हुड्डा के साथ गहरी दोस्ती के कारण वे निष्पक्ष कार्य नहीं कर पा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुडडा के विरोधी खेमे को इस बात की चिंता सता रही है कि लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी भूपेंद्र हुड्डा अपने ज्यादातर उम्मीदवारों को टिकट दिलाकर फिर से बाजी न मार लें। दरअसल लोकसभा चुनाव में सिरसा को छोडकर बाकी सभी 9 लोकसभा सीटों पर हुड्डा के पसंदीदा उम्मीदवारों को ही कांग्रेस की टिकट मिली थी। अब जिस तरह से सुनील काणुगोलू दोस्ती निभाते हुए कांग्रेस हित के बजाय हुड्डा हित देख रहे हैं उससे पार्टी में हुड्डा विरोधी नेताओं की नींदें उड़ी हुई हैं।
सर्वे को प्रभावित कर पक्षपात के मामले आए सामने!
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार काणुगोलू के सर्वे में से जुड़े कई बड़े खुलासे दबी जुबान में सामने आ रहे है, जोकि हुड्डा परिवार के करीबियों से जुड़े बताए जा रहे हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि सुनील काणुगोलू हुड्डा के करीबियों को सर्वे में बढ़त पेश करते हुए पार्टी नेतृत्व के सामने अपनी रिपोर्ट सौंप रहे हैं। उक्त नेता ने बताया कि लोकसभा चुनाव में भी भूपेंद्र हुड्डा ने अधिकांश सीटों पर अपने करीबियों को टिकट दिलाने का काम किया था, तो वहीं विधानसभा चुनाव में भी बाप-बेटे कुछ ऐसी ही रणनीति पर काम कर रहे हैं।
अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कांग्रेस के उक्त बड़े नेता ने बताया कि भूपेंद्र- दीपेंद्र ने सुनील काणुगोलू के साथ मिलकर कांग्रेस आलाकमान के सामने अपनी मतमुताबिक रिपोर्ट भिजवा रहे हैं। ताकि वे अपने समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिलवा सकें। उनकी यह कवायद भविष्य की रणनीति के मद्देनजर है, ताकि मुख्यमंत्री की लॉबिंग के समय राह आसान बन सके।
कांग्रेस का प्रत्याशी चयन का काम शुरू
दरअसल हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के साथ कांग्रेस पार्टी ने भी प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पार्टी ने उम्मीदवारों की भीड़ देखते हुए आवेदन की तिथि 31 जुलाई से आगे बढ़ाकर 10 अगस्त कर दी है। ताकि अधिक से अधिक नेता उम्मीदारी की शर्तों के साथ विधानसभा चुनाव के लिए अपनी दावेदारी पेश कर सकें। लेकिन गुटों में बटी कांग्रेस में अब प्रत्याशियों को लेकर भी रार देखने को मिल रही है। एक तरफ कांग्रेस पार्टी ने टिकट के दावेदारों से आवेदन मांगे है। तो दूसरी ओर कांग्रेस महासचिव एवं लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा ने अलग से अपने दावेदारों से आवेदन मांगे है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि हरियाणा में चुनावी बिगुल बजने से पहले ही कांग्रेस में टिकट के लिए आपस में जूतम पैजार चल रही है।
दीपेंद्र हुड़्डा का क्या है काणुगोलू कनेक्शन!
चुनावी रणनीतिकार सुनील काणुगोलू ने कर्नाटक में सिद्धारमैया और तेलंगाना में रेवंत रेड्डी के साथ मिलकर कांग्रेस के लिए चुनाव रणनीति बनाने का काम किया था। उनकी सफल चुनावी रणनीति से प्रभावित होकर कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें हरियाणा में कांग्रेस को सत्ता में लाने की रणनीति का जिम्मा सौंपा है। लेकिन हरियाणा की रणनीति बनाने में उनपर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी का फैक्टर हावी होता दिख रहा है। तेलंगाना में चुनावी रणनीतिकार के रूप में कार्य करते हुए रेवंत रेडडी के साथ उनकी व्यक्तिगत दोस्ती हो गई। दोनों की दोस्ती की प्रगाढ़ता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि रेवंत रेडडी जब भी दिल्ली आते हैं तब-तब लुटियन दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में काणुगोलू उनके साथ देखे जाते हैं और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के साथ कांग्रेस सासंद दीपेंद्र हुड्डा की दोस्ती भी जगजाहिर है। सूत्रों के अनुसार इसी दोस्ती की खातिर रेवंत रेड्डी ने दीपेंद्र हुड्डा की सुनील काणुगोलू से मुलाकात करवाई थी। रेवंत रेडडी द्वारा दीपेंद्र से काणुगोलू की मित्रवत मुलाकात कराने के बाद से कांग्रेस रणनीतिकार हुड्डा परिवार के प्रभाव में हैं। वे कांग्रेस की छवि चमकाने के बजाय हुड्डा की छवि चमकाने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। और सर्वे में भी हुडडा समर्थकों का फेवर लेने का उन पर आरोप लग रहा है और वो भी कांग्रेस के अंदर ही। वैसे सुनील काणुगोलू कनार्टक और तेलंगाना विधानसभा चुनाव के अलावा राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और बीते लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के लिए रणनीति बनाने का कार्य कर चुके हैं और शायद इसीलिए उन्हें टीम राहुल गांधी का भरोसेमंद सदस्य माना जाता है, लेकिन हरियाणा में उनकी कार्यशैली को लेकर कांग्रेस के भीतर ही आवाज उठने लगी है।