जम्मू कश्मीर की बुनाई, महाराष्ट्र की धातुकला… PM मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को दिए अनोखे उपहार

दिखाई भारतीय हस्तकला की समृद्ध विरासत

QUAD सम्मेलन 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति जो बिडेन को चांदी का हाथ से बना एक ट्रेन का मॉडल गिफ्ट किया। यह हाथ से बनाई गई विंटेज सिल्वर ट्रेन मॉडल शिल्पकला का एक अनोखा उदाहरण है जिसे महाराष्ट्र के कारीगरों द्वारा तैयार किया गया है – जो चांदी की शिल्पकला में अपनी समृद्ध विरासत के लिए प्रसिद्ध है। 92.5% चांदी से बना यह मॉडल भारतीय धातुकर्म कला की भव्यता को दर्शाता है, जिसमें Engraving (पत्थर-लकड़ी इत्यादि को गढ़ने की कला), नक्काशी और Filigree (सोने-चाँदी की धातु का महीन काम) जैसी पारंपरिक तकनीकों के माध्यम से तैयार किया गया है। इसे भाप इंजन युग की स्मृति में तैयार किया गया है। साथ ही ये ऐतिहासिक कलाकारी का नमूना भी है।

भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों को दर्शाते हुए, अंग्रेजी और हिंदी में मुख्य डिब्बे के दोनों ओर ‘दिल्ली-डेलावेयर’ और इंजन के दोनों ओर ‘भारतीय रेलवे’ लिखा गया है।

PM मोदी का यह उपहार ना केवल इसे बनाने वाले कारीगरों की काबिलियत दर्शाता है बल्कि प्राचीन भारत की संस्कृति और भारतीय रेलवे के इतिहास को भी दर्शाता है।

वही PM नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की फर्स्ट लेडी जिल बिडेन को पश्मीना शॉल कागज़ के मैशे बॉक्स में करके भेंट दिया, बेहतरीन क्वालिटी का यह शॉल दिखने में भी उतना ही खूबसूरत है। कुशल कारीगर पीढ़ियों से चली आ रही पारंपरिक हस्तकला तकनीकों का उपयोग करके पश्मीना से सूत बनाते हैं। इस शॉल की कहानी लद्दाख के ऊंचे इलाकों में पाई जाने वाली चंगथांगी बकरी से शुरू होती है। इसी के ऊन से इसे बनाया जाता है, इसे पश्म कहते हैं। इसका महीन और मुलायम रेशा हाथ से कंघी करके बनाया जाता है। कारीगर पश्म को अक्सर पीढ़ियों से चली आ रही पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके हाथ से बनाते है।

पश्मीना शॉल में प्राकृतिक रंगों का जादू है, इसमें पौधों और पत्थरों से निकाले गए रंगों का उपयोग किया जाता है, जो इसे और खूबसूरत बनाता है। पश्मीना शॉल जम्मू कश्मीर की पीढ़ियों से चली आ रही विरासत है, जो अपने धागों में यादें और भावनाएं समेटे हुए है। मॉडर्न डिज़ाइनर पश्मीना को नए रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसमें नए रंगों का प्रयोग, खेलने -कूदने वाले पैटर्न, और फ्यूजन स्टाइल्स का मेल है, इससे पश्मीना की परंपरा नए जमाने के हिसाब से बदलती रहती है और यह हर पीढ़ी और संस्कृति के लोगों को आकर्षित करती है।

कश्मीर के पश्मीना शॉल अक्सर खूबसूरत पेपर मैशे बॉक्स में आते हैं। ये बॉक्स हाथ से बनाए जाते हैं और कश्मीर की कला और संस्कृति का प्रतीक हैं। वे न केवल शॉल को सुरक्षित रखते हैं, बल्कि सजावट के लिए भी उपयोग किए जा सकते हैं।

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