मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला का जरिया बनती ऑनलाइन सट्टेबाजी, भारत में ₹8 लाख करोड़ का कारोबार

ठगे जाने के बाद केस भी नहीं कर सकते पीड़ित

भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी का बाजार लगातार बढ़ता ही चला जा रहा है, और साथ ही इस दलदल में फँसने वाले युवाओं के अवसाद में जाने की घटनाएँ भी। इस तरफ लोगों का ध्यान तब गया, जब हाल ही में एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में एक युवक ने रोते हुए बताया कि वो ऑनलाइन सट्टेबाजी की वजह से 96 लाख रुपए के कर्ज में है, यहाँ तक कि उसके परिवार वालों ने भी उससे संपर्क तोड़ दिया है। उक्त युवक ने टीवी पर सेलेब्रिटीज को इन सट्टेबाजी एप्स का प्रचार करते हुए देखा था, वो भी इसे खेलने लग गया। इन एप्स के जंजाल में एक बार फँसने के बाद शायद ही कोई निकल पाता है।

युवा ही नहीं, बल्कि हर आयुवर्ग के लोग इसमें फँस रहे हैं। कई ऐसी घटनाएँ सामने आई हैं जहाँ बच्चों ने गेमिंग एप्स पर अपने माँ-बाप के खाते से हजारों रुपए कटवा दिए। जल्दी अमीर बनने के चक्कर में गाँवों तक के लोग भी ये रास्ता आजमा रहे हैं। क्रिकेट से लेकर क्रिप्टोकरेंसी तक, ऐसे कई एप्स मार्केट में आ गए हैं। लाइव टीवी पर रोने वाला वो युवक तो सिर्फ इसका एक पीड़ित है जो सामने आ गया, सोचिए कितने ऐसे युवा होंगे जो अवसाद में चले गए होंगे। भारत सरकार ने समय-समय पर चायनीज एप्स को बैन किया है, जिसमें से कई लोन वाले भी हैं।

सट्टेबाजी के लिए पहले लोग अपना पैसा लगाते हैं, फिर माँ-बाप से माँगते हैं, अंत में दोस्तों से उधार लेने लगते हैं। फिर वो चायनीज लोन एप्स के जंजाल में फँस जाते हैं। इस तरह उनका पूरा जीवन बर्बाद हो जाता है। ‘दैनिक जागरण’ की रिपोर्ट के अनुसार, अकेले अलवर में 400 से अधिक छात्रों के बैंक खाते रडार पर हैं। इनमें ऑनलाइन सट्टेबाजी के पैसे जमा किए गए हैं। उन्हें एक एप डाउनलोड करने की एवज में ढाई-तीन हजार रुपए दिए जाने का वादा किया गया था। ये मनी लॉन्ड्रिंग का भी मामला है।

मुंबई में ED की जाँच के बाद पता चला कि केवल 1 साल में ही 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक की कमाई सट्टेबाजों ने की और इन पैसों को वो विदेश ले जाने की फिराक में थे। यानी, ये मनी लॉन्ड्रिंग के साथ-साथ हवाला कारोबार का भी मामला है। बड़ी बात ये है कि पीड़ित लोग ठगे जाने के बाद अदालत का दरवाजा भी नहीं खटखटा पाते हैं। देश में ऑनलाइन सट्टेबाजी का कारोबार 10 लाख करोड़ रुपए का हो गया है, जिसमें 90& हिस्सा सिर्फ क्रिकेट सट्टेबाजी का है।

‘थिंक चेंज फोरम’ नामक संस्था ने इन आँकड़ों का अनुमान लगाया है। वहीं डेटा रिसर्च एजेंसी स्टेटिस्टिका का कहना है कि 2030 तक ये कारोबार 50 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। ‘यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑफ ड्रग्स एन्ड क्राइम’ (UNODC) के आँकड़ों की मनाने तो दुनिया भर में ये कारोबार 136 लाख करोड़ रुपए का हो गया है। इनमें से 8 लाख करोड़ रुपए का अवैध स्टेबाजी कारोबार अकेले भारत का है। ये कारोबार 30% तक की रफ़्तार से बढ़ रहा है। टेलीग्राम एप पर चैनल बना कर सट्टेबाजी का कारोबार चल रहा है। करोड़ों रुपए बाहर ले जाए जा रहे हैं।IPL के दौरान सट्टेबाजी का कारोबार चरम पर होता है।

ये गेम्स कौशल पर नहीं, बल्कि किस्मत पर आधारित होते हैं। ये एप्स भ्रामक विज्ञापन देकर यूजर्स को लुभाते हैं। इसके लिए क्रिकेटरों और फ़िल्मी हस्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। उनके चेहरे देख कर फैंस झाँसे में आ जाते हैं। कुछ महीनों पहले ही ‘महादेव’ बेटिंग एप का मामला सामने आया था। इस मामले में साहिल खान नामक अभिनेता को गिरफ्तार किया गया। छत्तीसगढ़ से इसका कनेक्शन सामने आया था, तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक को 508 करोड़ रुपए बतौर घूस पहुँचाए जाने के आरोप लगे। दुबई में बैठ कर सारा कारोबार चलाया जा रहा था।

‘Statista’ के आँकड़ों के अनुसार, 2029 तक ऑनलाइन खेल सट्टेबाजी एप्स का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 1.89 करोड़ के पार हो जाएगी। इस वेबसाइट पर सबसे चौंकाने वाली जानकारी ये दी गई है कि इससे होने वाले राजस्व का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका में जाएगा। यानी, अमेरिका में बैठे लोग कमाएँगे। भारत के अलावा कनाडा में ये बाजार 49% की दर से आगे बढ़ रहा है। IAMRC के आँकड़ों की मानें तो 2032 तक भारत में ये बाजार 5.49 बिलियन डॉलर का होगा, यानी अभी से लगभग दोगुना।

रणबीर कपूर, श्रद्धा कपूर और तमन्ना भाटिया के अलावा रैपर बादशाह तक का नाम इसमें सामने आया। टीवी सेलेब्रिटीज का चेहरा देख कर लोग इन विज्ञापनों को सही मान लेते हैं और इस मकड़जाल में उलझ जाते हैं। शॉर्टकट के लालच में युवाओं की ज़िंदगी बर्बाद हो रही है, बच्चों का दिमाग दूषित हो रहा है और लोग अपनी मेहनत की कमाई खो दे रहे हैं।

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