नई दिल्ली ब्यूरो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सत्ता संभालने के बाद यूं तो कई बड़े कार्य किए, लेकिन एक जबर्दस्त कार्य की बहुत कम चर्चा होती है। यह कार्य है लुटियंस के पावर कॉरीडोर में टहलने वाले दलालों के साम्राज्य को ध्वस्त कर देने का। एक वक्त था, जब शास्त्री भवन से लेकर अन्य भवनों में चलने वाले मंत्रालयों से कैबिनेट के नोट तक लीक होकर बिक जाते थे। केंद्र सरकार के बड़े-बड़े फैसलों की जानकारी कैबिनेट मीटिंग से पहले ही देश के बड़े-बड़े बिजनेस घरानों को पता चल जाती थी। बड़े-बड़े बिजनेस घरानों से जुड़े लाइजनिंग अफसर कर्मचारियों को मोटा पैसा देकर सरकारी फाइलों की कॉपी खरीद लेते थे और सरकार की योजना शुरू होने से पहले ही कमाई का पूरा खाका तैयार कर लेते थे। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रालयों की विजिलेंस बढ़ाकर इन बिचौलियों को करारी चोट पहुंचाई। पीएम मोदी के 74 वें जन्मदिन पर उनकी इस पहल के बारे में जानिए।
जब पेट्रोलिम मंत्रालय में छापेमारी में पकड़े गए थे कई दलाल
2015 में पेट्रोलियम मंत्रालय में पड़े छापे के दौरान एक पत्रकार, एक निजी कंपनी के स्टाफ सहित कुछ अफसर और कर्मचारी समेत सात लोगों को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में सामने आया था कि ये सभी फर्जी कागजात और डुप्लिकेट चाबी बनाकर अंदर घुसते थे। इस घटना के बाद से मंत्रालयों में एंट्री सिस्टम को सख्त किया गया। जिससे मंत्रियों से लेकर अफसरों के कार्यालय तक संदिग्ध लोगों की पहुंच कम हुई है। बिचौलियों के मंत्रालयों में मंडराने पर भी काफी हद तक अंकुश लगा।
अधिकारी बताते हैं कि यूपीए सरकार में मंत्रालयों में आने-जाने का सिस्टम कुछ ज्यादा ही उदार था। PIB पास वाले पत्रकार ज्वाइंट सेक्रेटरी और सेक्रेटरी तक आसानी से वहां अपनी पहुंच बना लेते थे। यहां तक कि दस्तावेजों तक भी पत्रकारों की पहुंच रहती थी। लेकिन, अब सिस्टम बदल गया है। PIB अधिकारियों के चेंबर तक ही पत्रकारों की पहुंच रहती है। अप्वाइंटमेंट होने पर ही पत्रकार बड़े अफसरों के दरवाजे तक पहुंच सकते हैं। दरअसल, पत्रकारिता के जरिए भी लाइजनिंग के कई मामले सामने आने पर अब पहले से कहीं ज्यादा सख्ती है।
यूपीए सरकार में सीबीआई बनाती थी दलालों की सूची
देश में 2014 से पहले सीबीआई की अनडिजायरेबल कांटैक्ट मेन (यूसीएम) चर्चा में रहा करती थी। इस सूची में ऐसे पावर ब्रोकर्स के नाम होते थे जो सत्ता के गलियारों में घूमकर ठेके, पोस्टिंग से सरकारी फाइलों लीक कराने जैसे तमाम तरह की डीलिंग करते थे।
लुटियंस जोन की इमारतों में मंडराने वाले इन बिचौलियों की लिस्ट जारी कर सीबीआई सभी मंत्रालयों को अलर्ट करती थी। मंत्रालयों के सूत्रों का कहना है कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने इन बिचौलियों पर प्रहार कर उनकी पकड़ ढीली कर दी। पहले की तरह अब सत्ता के गलियारों में बिचौलियों का मंडराना बंद हुआ है। मोदी को यह पता था कि बिचौलियों पर अंकुश नहीं लगा तो फिर सरकार की फजीहत तय है।
2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से फिलहाल तक सीबीआई की कोई यूसीएम लिस्ट सुर्खियों में नहीं आई है। माना जा रहा है कि मंत्रालयों में पावर ब्रोकर्स की घुसपैठ के खिलाफ चले अभियान के कारण ऐसा हुआ है। 2012 में तैयार हुई सीबीआई की यूसीएम लिस्ट में तब एक चर्चित आर्म्स डीलर सहित कुल 23 पावर ब्रोकर के नाम थे।
सरकारी खरीद में कमीशन खोरी रोकने की पहल
सरकारी विभागों क खरीद में कमीशनखोरी रोकने के लिए भी प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ी पहल की। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रालयों, PSU से लेकर अन्य सरकारी विभागों में होने वाली खरीद में तकनीक के जरिए कमीशनखोरी रोकने की योजना बनाई। सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता के लिए के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने अगस्त 2016 में GEM पोर्टल शुरू किया। इस प्लेटफॉर्म पर 3.24 लाख से अधिक वेंडर्स पंजीकृत हैं। GEM पोर्टल पर फर्नीचर से लेकर सभी तरह के सामानों की खरीद हो रही है। इससे मनमाने रेट पर सरकारी स्तर से सामान खरीदने को रोकने में सफलता हासिल हुई है। इस सरकारी पोर्टल ‘जेम’ से अब तक 50 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की खरीद हुई है।
लाभार्थियों के खाते में सीधे पहुंच रहा पैसा
गांव और गरीबों के लिए संचालित योजनाओं में लीकेज रोकने के लिए भी प्रधानमंत्री मोदी ने जनधन-आधार-मोबाइल(जाम ट्रिनिटी) योजना चलाई। ताकि केंद्र सरकार रीलीज होने वाला 100 का 100 पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंचे। इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए पहले 38 करोड़ से अधिक जनधन खाते खोले गए, जिससे सरकार को पैसा भेजने में सुविधा हुई। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर DBT पर जोर देकर मोदी सरकार ने कमीशनखोरी को खत्म करने की कोशिश की है।