बांग्लादेश में ₹16000 करोड़ की डील, अमेरिका में ‘जादू की झप्पी’

बहुत कुछ कहती है बायडेन-यूनुस की ये तस्वीर

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन ने UNGA (संयुक्त राष्ट्र महासभा) की बैठक से इतर बांग्लादेश की अंतिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस से मुलाकात की। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इस मुलाकात के बाद प्रफुल्लित है। साथ ही जिस प्रकार से दोनों नेता झप्पी लेते हुए मिले हैं, उसकी भी जम कर चर्चा हो रही है। जो बायडेन को शायद ही इस तरह से किसी नेता से मिलते हुए देखा गया हो, जितने प्यार और गर्मजोशी से वो मुहम्मद यूनुस से मिल रहे हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि मुल्क की कूटनीति के लिए ये एक बहुत ही सफल दिन रहा।

आगे बढ़ने से पहले ये बताते चलें कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ सड़क पर उतरी भीड़ सत्ता-परिवर्तन का कारण बनी। जम कर हिंसा हुई, उपद्रव हुआ और प्रधानमंत्री आवास तक में घुस कर भीड़ ने उत्पात मचाया। प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को न केवल इस्तीफा देना पड़ा, बल्कि मुल्क छोड़ कर भागना पड़ा और भारत में शरण लेनी पड़ी। इसके बाद बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा शुरू हो गई, कइयों ने पलायन कर भारतीय सीमा पर शरण ली। वहाँ अंतरिम सरकार का गठन हुआ, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मुहमद यूनुस मुख्य सलाहकार बने। अलग-अलग मंत्रालयों में सलाहकारों की नियुक्ति हुई।

हालाँकि, इसके बाद भी हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा ने रुकने का नाम नहीं लिया। कई मंदिरों को जला दिया गया, हिन्दुओं के घरों में लूटपाट हुई। महिलाओं के साथ बलात्कार की ख़बरें आईं। भात में जो लोग बांग्लादेश की इस हिंसा को ‘युवा क्रांति’ और ‘छात्र आंदोलन’ बताते नहीं थक रहे थे, उन्होंने इस पर चूँ तक नहीं किया। व्हाइट हाउस ने अब अपने बयान में कहा है कि बांग्लादेश-अमेरिका का रिश्ता दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क और इनके साझा लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है। दोनों ने ‘करीबी साझेदारी’ की बात कही। 8 अगस्त, 2024 को मुहम्मद यूनुस ने शपथ ली थी, उसके बाद अब तक बांग्लादेश की स्थिति लगभग वही की वही है।

मुहम्मद यूनुस के साथ जो बायडेन के गर्मजोशी से मिलने का एक कारण ये भी है कि वो कई दशकों से अमेरिका के करीबी रहे हैं। मुहम्मद यूनुस के बांग्लादेश की सत्ता के शिखर पर बैठने के पीछे भी अमेरिका का किरदार बताया जाता है। इसमें डोनाल्ड लू का नाम सामने आया था, जिन्हें ‘Regime Change Master‘ कहा जाता है। वो दक्षिण एवं मध्य एशिया में अमेरिका के एसिस्टेंट सेक्रेटरी ऑफ स्टेट हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के समय उनके चेन्नई पहुँचने से भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों के भी कान खड़े हो गए थे। इससे पहले वो किर्गिस्तान और और अल्बानिया जैसे देशों में राजदूत रहे हैं और वहाँ भी उन पर सत्ता-परिवर्तन कराने के आरोप लगे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे इमरान खान अपना पद जाने का ठीकरा डोनाल्ड लू पर ही फोड़ते आ रहे हैं।

मुहम्मद यूनुस बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के संस्थापक रहे हैं। उन्हें माइक्रोफाइनेंस का विशेषज्ञ माना जाता है। 16 सितंबर, 2024 को भी एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने मुहम्मद यूनुस से मुलाकात की थी। इस प्रतिनिधिमंडल में डोनाल्ड लू भी शामिल थे। इतना ही नहीं, USAID (एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ 200 मिलियन डॉलर (16,726 करोड़ रुपए) के एक करार पर भी हस्ताक्षर किया। बताया गया कि विकास परियोजनाओं, सरकार के कामकाज को मजबूत करने, कारोबार बढ़ाने और बांग्लादेश के नागरिकों के लिए रोजगार के बेहतर अवसर पैदा करने के लिए अमेरिका ये मदद देगा।

जो लोग अमेरिका को जानते हैं, उन्हें पता होगा कि अमेरिका कभी मुफ्त में मदद नहीं करता। अमेरिका क्या, अधिकतर बड़े देश जो छोटे देशों की मदद करते हैं उसके पीछे उनका कोई न कोई उद्देश्य होता है। अमेरिका इस करार के लिए बांग्लादेश में चुनाव का इंतज़ार भी कर सकता था, नई लोकतांत्रिक सरकार के गठन का इंतज़ार भी कर सकता था। क्योंकि, ये जो अंतरिम सरकार है ये चुन कर तो आई नहीं है। इसका गठन कुछ प्रबुद्ध लोगों को लेकर किया गया है। इसमें खालिद आजम नाम का मौलाना भी शामिल है, जिसे इस्लामी संगठनों के कहने पर अंतरिम सरकार में शामिल किया गया।

जमात-ए-इस्लामी को बांग्लादेश में खुली छूट है। उधर अंसार-उल-बांग्ला टीम नामक आतंकी संगठन पर से प्रतिबंध हटा दिया गया है। ये ISIS के करीब है और भारत में कई आतंकी घटनाओं में इसका हाथ है। इसके संस्थापक मौलाना जसीमुद्दीन रहमानी को एक दशक से अधिक समय बाद रिहा किया गया। इन संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता कि बांग्लादेश में अपनी सरकार बिठा कर अमेरिका पड़ोस में भारत को भी दबाव में रखना चाह रहा है। यूनुस-बायडेन की झप्पी वाली जुगलबंदी भी यही कहती है कि ‘अंकल सैम’ ने बड़ा हाथ मार लिया है।

इतिहास में भी देखें तो मुहम्मद यूनुस और अमेरिका की नज़दीकी साफ़-साफ़ दिखती है। अमेरिका के राष्ट्रपति रहे बिल क्लिंटन की संस्था ‘ग्लोबल इनिशिएटिव’ के साथ मिल कर मुहम्मद यूनुस माइक्रोफाइनेंस पर काम कर चुके हैं। इस संस्था के कार्यक्रमों में दिख चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें ‘ब्रॉडबैंड कमीशन’ का कमिश्नर भी बनाया था। 2011 में अब मुहम्मद यूनुस को बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था, तब अमेरिका ने खुल कर उनका साथ दिया था। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन के अलावा हिलेरी क्लिंटन जैसे नेताओं ने शेख हसीना सरकार के इस कदम पर चिंता जाहिर की थी।

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