बेरोजगारी पर राहुल के दावे गलत, देश से माफी मांगेंगे गांधी?

राहुल ने गलत दावों के आधार पर चीन को भारत से बेहतर बता दिया !

नई दिल्ली। भारत की राजनीति में नेताओं के बयानों का महत्व और प्रभाव बेहद व्यापक होता है। इसलिए नेताओं को भी बयान देते वक्त सजगता बरतनी चाहिए। मगर लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी अक्सर अपने विचारों और बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं। वे जब कभी भी विदेश यात्रा पर जाते हैं तब भारत की गरिमा को धूल- धूसरित करना नहीं भूलते। इस बार भी जब वे चार दिवसीय अमेरिकी यात्रा पर गए तो हमेशा की तरह भारत को बदनाम किया। वे इस बात को भूल जाते हैं कि विदेशों में ऐसे बयानों से विदेशी ताकतों को हवा मिलती है। चीन की चापलूसी या भारत की सत्ताधारी सरकार को बदनाम करने की साजिश में उन्होंने भारत की बेरोजगारी और चीन की प्रोडक्शन नीति पर गलत दावे पेश कर दिए। अब सवाल ये उठता है कि हर चीज को खटाखट समझने की भूल करने वाले राहुल गांधी भारत में बेरोजगारी पर गलत दावा पेश करने के बाद देश से माफी मागेंगे?
विश्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि बेरोजगारी के मामले में भारत की स्थिति चीन से बेहतर है। जबकि राहुल ने अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि चीन ने अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर रोजगार के अवसर पैदा किए हैं, जिससे वहां बेरोजगारी की समस्या नहीं है।
मगर विश्व बैंक के आंकड़े राहुल के बयान के उलट हैं। विश्व बैंक के अनुसार वर्ष 2023 में भारत में बेरोजगारी की दर 4.2 प्रतिशत थी जबकि चीन में 4.7 प्रतिशत थी, यानी भारत से ज्यादा। वहीं वर्ष 2022 में भी भारत में बेरोजगारी की दर 4.8 प्रतिशत थी, जबकि चीन में 5 प्रतिशत थी।

अगर राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस के शासन काल की बात करें तो वर्ष 2010 में, यानी जब यूपीए-2 का शासनकाल था, तब भारत में बेरोजगारी दर 8.3% और चीन में 4.5% थी। तो वहीं 2011 में भारत में बेरोजगारी दर 8.2 % और चीन में 4.5% थी। वर्ष 2012 में भी भारत में बेरोजगारी दर 8.2 % रही और चीन में 4.6 % थी। वर्ष 2013 में भारत में यह दर 8.1 और चीन में 4.6 प्रतिशत रही थी। यानी कांग्रेस काल में भारत में चीन की तुलना में दोगुनी बेरोजगारी थी। कम से कम आंकड़े तो यही बताते हैं और राहुल गांधी को इन आंकड़ो को जानने के बाद आईना देखना चाहिये।

इन आकड़ों से स्पष्ट है कि राहुल गांधी का विदेशी धरती पर ये बताना कि भारत में चीन की तुलना में ज्यादा बेरोजगारी है, पूरी तरह गलत है। दरअसल वो गलत आकड़ों की बदौलत देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं। राहुल गांधी मोदी विरोध में इस बात को भूल जाते हैं कि विदशों में उनके इस तरह के बयानों से विदेशी ताकतों को हवा मिलती है। आश्चर्य की बात है कि राहुल गांधी के इन बयानों का उनकी पार्टी भी बचाव करती नजर आ रही है, जबकि राहुल गांधी और उनकी पार्टी को विदेश में जाकर गलत आंकडे पेश करने के लिए देश से माफी मांगनी चाहिये। और अगर ऐसा नहीं है, तो इससे कांग्रेस के देश विरोधी बयानों की मंशा एकदम स्पष्ट नजर आती है।

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