रूस-यूक्रेन जंग : बुद्ध की धरती से दुनिया में शांति स्थापित करने जा रहे मोदी. अमेरिका भी मान रहा भारत का लोहा.

भारतीय जनता पार्टी, मोदी सरकार के मंत्री और मोदी समर्थक जब यह कहते हैं कि मोदी विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता हैं, तो देश के अंदर मोदी विरोधी लॉबी इस पर सवाल उठाती है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो छवि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बन रही है, वह वाकई उन्हें वैश्विक नेता साबित करती है.

हालिया मामला रूस-यूक्रेन के बीच लंबे समय से चल रहे युद्ध में मध्यस्थता का है, आज अमेरिका सहित पूरी दुनिया ये मान रही है कि रूस-यूक्रेन की जंग खत्म कराने में भारत अहम भूमिका निभा सकता है. इस मामले को समझने के लिए पिछले दो महीने के घटनाक्रम को जानते हैं, पहले मोदी नें जुलाई में रूस का दौरा किया, इस दौरान उन्होंनें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से जंग रोकने को लेकर बात की, उसके बाद अगस्त में यूक्रेन भी गये और वहां भी यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से शांति स्थापित करने की बात की. यूक्रेन दौरे के बाद मोदी नें फिर से रूस के राष्ट्रपति और अमेरिका के राष्ट्रपति से बात करके शांति स्थापित करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया, मोदी के यूक्रेन दौरे के बाद जेलेंस्की का बयान भी आया था कि भारत उनके और रूस के बीच चल रहे युद्ध को समाप्त कराने के वैश्विक कूटनीतिक प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. ये सभी घटनाक्रम और मोदी की दोनों देशों की यात्रा का सुखद परिणाम आया है, अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नें भी ये माना है कि पीएम मोदी मध्यस्थता की भूमिका निभा सकते हैं, और यह ढंग आगे ना बढ़ें, इसके लिये मोदी की तरफ से प्रयास किये गये हैं.

आखिर मोदी पर इतना क्यों है भरोसा?

पिछले कुछ महीनों में सिर्फ अमेरिका ही नहीं यूक्रेन समेत दुनिया के कई देश ये कह चुके हैं कि नरेंद्र मोदी के नेत्रत्व वाला भारत इस जंग को रुकवाने में अहम भूमिका अदा कर सकता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि भारत विस्तारवाद की नहीं बल्कि विकास की नीति का समर्थन करता है, मोदी के दोनों युद्ध प्रभावित देशों के दौरे की दुनिया भर में चर्चा हुई थी, विदेशी मामलों के जानकार बताते हैं कि पुतिन की तरफ से भारत के प्रधानमंत्री मोदी के लिये सकारात्मक बयान ऐसे ही नहीं आया है, उन्हें भारत पर, मोदी की रणनीति पर पूरा विश्वास है.इसके पीछे ठोस कारण है, अमेरिका समेत कई दूसरे देश ऐसे हैं कि वो चीन पर आसानी से भरोसा नहीं करते हैं, साथ ही प्रधानमंत्री मोदी नें 2022 में जब से ढंग शुरू हुई थी, तब से अपने इस स्टैंड पर कायम हैं कि दुनिया में शांति स्थापित होनी चाहिए. दोनों देशों के दौरे के दौरान मोदी एक ही बात दोहराते रहे कि यूक्रेन और रूस दोनों को युद्ध समाप्त करने के तरीके खोजने के लिये बिना समय बर्बाद किये एक साथ बैठना चाहिए. मोदी एकमात्र ऐसे वैश्विक नेता हैं, जिन्होंने शांति के लिये लगातार प्रयास किये हैं, इसी तटस्थ रणनीति के तहत पहले रूस और फिर यूक्रेन गये, संयुक्त राष्ट्र संघ, अमेरिका और अन्य देशों का समर्थन भी शांति के लिए जुटाया, इसीलिये आज सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं.

अमेरिका क्यों कर रहा भारत पर भरोसा?

अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने कहा है कि अमेरिका ऐसे किसी भी देश का स्वागत करता है जो यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने में मदद करने का प्रयास करना चाहता है. किर्बी से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि भारत युद्ध को समाप्त करने में भूमिका निभा सकता है? किर्बी ने कहा, ऐसा कोई भी देश जो इस युद्ध को समाप्त करने में मदद करने के लिए तैयार है और राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के विशेषाधिकारों, यूक्रेनी लोगों के विशेषाधिकारों, न्यायपूर्ण शांति स्थापना की उनकी योजना को ध्यान में रखते हुए ऐसा करता है, हम उसकी भूमिका का निश्चित ही स्वागत करेंगे. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि भारत शांति कायम करने में भूमिका निभा सकता है, व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा, हम निश्चित रूप से ऐसी उम्मीद करते हैं. ये बयान वैश्विक स्तर पर मोदी के बढ़ते हुए कद की तरफ इशारा करता है, यूक्रेन दौरे के बाद मोदी नें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बात करके अपने यूक्रेन दौरे की जानकारी साझा की थी और बातचीत, कूटनीति के जरिए क्षेत्र में जल्द शांति बहाल करने के लिए भारत का पूरा समर्थन जताया था. ये बात सब जानते हैं अमेरिका यूक्रेन के साथ है, और जब मोदी में रूस का दौरा किया था तब कई पश्चिमी देशों नें सवाल उठाया था, लेकिन तब भी भारत का स्टैंड नहीं बदला, भारत के प्रधानमंत्री नें दोनों प्रभावित देशों में जाकर जंग की आलोचना की, तब भारत पर अमेरिका सहित तमाम देशों का वैश्विक पटल पर विश्वास और अधिक बढ़ गया.
अब चूंकि जंग में शामिल दोनों देशों की तरफ से भारत की मध्यस्थता को लेकर सकारात्मक बयान आया है, तो उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्दी ही अपने शांति की स्थापना के स्टैंड पर कायम रहते हुये मध्यस्थता की तरफ कदम आगे बढ़ायेंगे, और इसकी संभावना बढ़ गई है कि लंबे अर्से बाद विनाश के प्रतीक युद्ध का विराम होगा.
महात्मा बुद्ध नें भारत की भूमि से दुनिया को शांति का संदेश दिया था, आज इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दुनिया शांति स्थापित करने के लिए भरोसा कर रही है.

-Anuj shukla

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