तिरुपति के लड्डू में बीफ फैट और मछली का तेल, TTD के ईसाई अध्यक्ष पर भी हुआ था विवाद

तिरुपति के लड्डू प्रसादम में फिश ऑयल और बीफ मिलने की पुष्टि

अमरावती: करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केंद्र तिरुपति के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी मिलाने के आरोपों पर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) ने मुहर लगा दी है। एनडीडीबी ने लड्डू में बीफ फैट और मछली का तेल मिले होने की पुष्टि की है। बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक सैंपल जांच में पता चला है कि लड्डू बनाने में फिश ऑयल, बीफ और चर्बी का इस्तेमाल किया गया। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया था कि पिछली जगन रेड्डी सरकार के कार्यकाल में लड्डू प्रसादम तैयार करने के लिए घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया। इस आरोप से आंध्र प्रदेश की सियासत में हड़कंप मच गया। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के वेंकटेश्वर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को लड्डू का प्रसाद दिया जाता है।

एनडीडीबी के सैंपल टेस्ट में मिला फिश ऑयल-बीफ फैट

एनडीडीबी ने तिरुपति मंदिर के अन्नदानम और लड्डू के सैंपल की जांच की। बोर्ड की रिपोर्ट में सामने आया है कि लड्डू बनाने में फिश ऑयल (मछली का तेल) और बीफ चर्बी भी इस्तेमाल होती थी। रिपोर्ट के मुताबिक लड्डू में इस्तेमाल होने वाली गाय की घी में सोयाबीन, लोबिया, जैतून, गेहूं, मक्का, कपास, मछली का तेल, बीफ, ताड़ का तेल और सूअर की चर्बी है। तेलुगुदेशम पार्टी की ओर से जारी लैब रिपोर्ट में कहा गया है कि घी में मछली का तेल, पाम ऑयल और बीफ में पाए जाने वाले तत्व मिलाए गए हैं।

23 जुलाई को एनडीडीबी ने सैंपल टेस्ट की रिपोर्ट की जारी
सैंपल में मछली का तेल और बीफ फैट मिलने की पुष्टि

जगन के कार्यकाल में लड्डू में जानवरों की चर्बी: नायडू

आंध्र प्रदेश के सीएम नायडू ने अमरावती में विधायक दल की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘तिरुमला में वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर हमारा सबसे पवित्र मंदिर है। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जगन सरकार के दौरान तिरुपति प्रसादम में घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था। जगन और वाईएसआरसीपी सरकार पर शर्म आती है, जिन्होंने पिछले पांच साल में तिरुमला मंदिर की पवित्रता को धूमिल किया है। मंदिर के लड्डुओं में जानवरों की वसा मिलाने का काम किया है। वाईएसआरसीपी सरकार करोड़ों भक्तों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं कर सकी। हमारी सरकार शुद्ध घी का उपयोग कर रही है। मंदिर में हर चीज को सैनिटाइज किया गया है। हम तिरुमला तिरुपति की पवित्रता की रक्षा के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।‘

टीडीपी नेता पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने लड्डू प्रसादम विवाद में कहा, ‘सब लोग जानते हैं कि 2019 से 2024 के बीच मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने अपने ही चाचाओं को टीटीडी (तिरुमला तिरुपति देवस्थानम) ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया था। वाईवी सुब्बा रेड्डी और करुणाकर रेड्डी दोनों वाईएस जगन मोहन रेड्डी के करीबी पारिवारिक सदस्य हैं।‘

वेंकटेश्वर के सामने शपथ को तैयार: YSRCP

इस बीच वाईएसआरसीपी के राज्यसभा सांसद और टीटीडी ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेडी ने कहा, ‘नायडू राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति ऐसे शब्द नहीं बोलेगा या ऐसे आरोप नहीं लगाएगा। ऐसा करके मुख्यमंत्री ने दिव्य मंदिर की पवित्रता के साथ ही करोड़ों हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाई है। मैं वेंकटेश्वर के सामने अपने परिवार के साथ इस मुद्दे पर शपथ लेने के लिए तैयार हूं। क्या चंद्रबाबू नायडू ऐसा करेंगे?‘

करुणाकर रेड्डी के टीटीडी अध्यक्ष बनने पर हुआ था विवाद

10 अगस्त 2023 को भुमना करुणाकर रेड्डी ने टीटीडी ट्रस्ट के अध्यक्ष का पद संभाला था। करुणाकर रेड्डी के ईसाई होने की वजह से यह नियुक्ति विवादों में आ गई थी। तत्कालीन सीएम जगन मोहन रेड्डी ने ही उनकी नियुक्ति की थी। टीडीपी ने उस समय भी आरोप लगाया था कि करुणाकर रेड्डी की हिंदू धर्म में आस्था नहीं है। उनका ईसाई धर्म से संबंध है और उनकी बेटी की शादी भी ईसाई रिवाज से हुई थी। तब करुणाकर रेड्डी ने सफाई में कहा था कि उनका परिवार ईसाई धर्म का पालन करता है, लेकिन वे हिंदू धर्म को मानते हैं। जगन मोहन रेड्डी के पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी भी जब आंध्र के सीएम थे तो 2006 से 2008 के बीच करुणाकर को टीटीडी का अध्यक्ष बनाया गया था। टीडीपी ने यह भी आरोप लगाया था कि टीटीडी अध्यक्ष के अपने पहले कार्यकाल में करुणाकर ने घोषणा की थी कि तिरुमला में सात नहीं बल्कि पांच पहाड़ियां हैं। हिंदू संगठनों के विरोध के बाद उन्हें पीछे हटना पड़ा था।

2.8 लाख लड्डू का रोज निर्माण, प्रसादम का महत्व

श्री वेंकटेश्वर मंदिर में चढ़ाए जाने वाले लड्डू की विशेष धार्मिक मान्यता है। यह वेंकटेश्वर के लिए पवित्र प्रसाद माना जाता है। भगवान के आशीर्वाद और दैवीय कृपा का इसे प्रतीक माना जाता है। विशिष्ट निर्माण विधि और ऐतिहासिक परंपरा की वजह से यह लड्डू अद्वितीय है। बेसन, मूंगफली के आटे और कच्चे मैटेरियल को ऑटोमेटिक मशीनों में डालकर लड्डू बनाने की शुरुआत होती है। मशीन में सामग्री मिक्स होने के बाद इसमें गरम घी और मेवा मिलाया जाता है। लड्डू को आकार देने के लिए इसे दूसरी मशीन में डाल दिया जाता है। अब इसमें काजू, किशमिश, मिश्री और चीनी समेत कई सामग्री मिलाई जाती है। रोज दो लाख 80 हजार लड्डू इस तरह बनाए जाते हैं। इसमें करीब 10 टन बेसन भी इस्तेमाल होता है।

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