तिरुपति लड्डू विवाद: एनिमल फैट की मिलावट हुई? एक रिपोर्ट क्यों काफी नहीं, जानिए

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि कोई यह सोच नहीं सकता कि तिरुमला लड्डू को ऐसे अपवित्र किया जाएगा। पांच साल के शासन के दौरान वाईएसआरसीपी ने तिरुमला की पवित्रता को अपवित्र कर दिया है।

तिरुपति के लड्डू में एनिमल फैट मिलाने का आरोप

अमरावती: तिरुपति मंदिर के लड्डू बनाने में इस्तेमाल होने वाले घी में एनमिल फैट मिलाने का आरोप देश में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने सबसे पहले यह आरोप लगाए। टीटीडी (तिरुमला तिरुपति देवस्थानम) के कार्यकारी अधिकारी श्यामला राव ने 23 जुलाई को मीडिया से बातचीत में कहा कि घी में वनस्पति तेल की मिलावट हुई है। वहीं 19 सितंबर को उन्होंने कहा कि घी में एनिमल फैट  की मौजूदगी है। टीटीडी ने घी के नमूनों को जांच के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की काफ लैब को भेजा था। लैब रिपोर्ट के मुताबिक एस वैल्यू के आधार पर घी के सैंपल सभी पांच पैमानों पर फेल रहे। रिपोर्ट में एनिमल फैट और वनस्पति तेल दोनों की मिलावट की बात सामने आ रही है। अब सवाल यह है कि क्या एक रिपोर्ट यह तय करने के लिए काफी है कि एनिमल फैट की मिलावट हुई या नहीं?

इन वजहों से भी एनिमल फैट की मिलावट संभव

घी से बनने वाले प्रसाद की गुणवत्ता श्रद्धालुओं के लिए एक भावनात्मक मुद्दा है। कुछ एक्सपर्ट कहते हैं कि सिर्फ एक रिपोर्ट के नतीजों को आधार बनाकर नहीं कहा जा सकता कि एनिमल फैट मिलाया गया है। टेस्ट रिपोर्ट में कई वजहों से एनिमल फैट की मिलावट का परिणाम मिल सकता है। भारत में घी में मिलावट के लिए आम तौर पर पाम ऑयल का इस्तेमाल होता है। मिसाल के तौर पर अगर किसी एक गाय को कपास के तेल या पाम ऑयल मिला चारा खाने को दिया जाता है, तो उसके दूध में ये तत्व मिल सकते हैं। इसके साथ ही अगर गाय कुपोषित है तो भी उसके दूध में ऐसे तत्व पाए जा सकते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक गाय को ज्यादा पोषण वाला चारा दिए जाने पर भी उसके दूध से बनने वाले घी में एनिमल फैट जैसे तत्व मिल सकते हैं।

जगन मोहन रेड्डी ने क्या कहा

आंध्र के पूर्व सीएम और वाईएसआरसीपी के नेता जगन मोहन रेड्डी का कहना है कि चंद्रबाबू नायडू ने जनता का ध्यान हटाने के लिए इस मुद्दे को उठाया है। उनके 100 दिनों का काम अच्छा नहीं रहा है। टीटीडी में तीन जांच के बाद ही घी का इस्तेमाल किया जाता है। 23 जुलाई की रिपोर्ट जारी करने में दो महीने का वक्त क्यों लग गया? टीटीडी की बजाए टीडीपी के दफ्तर से इस रिपोर्ट को क्यों जारी किया गया? खराब घी को टीटीडी वापस कर देता है। नायडू के कार्यकाल में 14-15 टैंकर और मेरे कार्यकाल में 18 टैंकर घी वापस किया जा चुका है।‘

जगन ने यह बयान उस आरोप पर दिया, जिसमें कहा गया है टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी श्यामला राव का कहना है कि तमिलनाडु की एआर डेयरी फूड्स कंपनी से आए घी के 10 टैंकरों में से 6 का इस्तेमाल हो चुका था। चार टैंकरों को वापस भेजा गया। उनके सैंपल टेस्ट से मिलावट की बात सामने आई। राव ने कहा है कि कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर विचार हो रहा है।

कम पैसे का टेंडर जारी होने से मिलावट?

12 मार्च 2024 को घी के लिए टेंडर जारी हुआ था। एआर डेयरी फूड्स कंपनी की ओर से 15 मई को घी की आपूर्ति शुरू की गई। कंपनी ने 319 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से घी की आपूर्ति पर सहमति जताई। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कीमत पर गाय का घी मुहैया करा पाना संभव नहीं है। अभी नंदिनी कंपनी 475 रुपये प्रति किलो की दर से घी की आपूर्ति कर रही है। दूसरी कंपनियों से भी घी मंगाया जा रहा है।

घी की सैंपल रिपोर्ट में क्या मिला?

टीडीपी ने जो सैंपल टेस्ट रिपोर्ट दिखाई है, उसमें सूरजमुखी, सोयाबीन, नारियल और कपास का बीज मिलने की बात है। इसके साथ ही लॉर्ड, बीफ टेलो  और फिश ऑयल भी मिला है। बीफ की चर्बी को गर्म करने के बाद निकाले जाने वाले तेल को बीफ टेलो कहते हैं। चर्बी को पिघलाने पर जो सफेद पदार्थ निकलता है, उसे लार्ड कहते हैं।

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