‘गायिकी से भी हो सकती है देशसेवा’: जब पशोपेश में फँसीं लता मंगेशकर को वीर सावरकर ने दिखाई राह

स्वर-कोकिला ने कहा था - आलोचक नहीं समझते उनका बलिदान

लता मंगेशकर, वीर सावरकर

समाजसेवा में जाने के लिए वीर सावरकर के साथ लता मंगेशकर ने की थी चर्चा

शनिवार (28 सितंबर, 2024) को, भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर की 95वीं जयंती मनाई जा रही है। संगीत की दुनिया में उनका योगदान अनमोल है, और उनकी आवाज़ ने दुनिया भर में लाखों दिलों को छुआ है। सात दशकों तक उन्होंने भारतीय सिनेमा और संगीत में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा। लेकिन संगीत के अलावा, लता मंगेशकर का जीवन कई अनसुनी कहानियों और संबंधों से भरा हुआ है। एक ऐसा ही संबंध स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी वीर सावरकर के साथ भी था। यह संबंध केवल पारिवारिक ही नहीं, बल्कि वैचारिक और भावनात्मक भी था, जिसने लता मंगेशकर के जीवन और करियर पर गहरा प्रभाव डाला।

वीर सावरकर और मंगेशकर परिवार का रिश्ता कई वर्षों पुराना था। लता मंगेशकर के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर, जो एक प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायक और रंगमंच कलाकार थे, वीर सावरकर के विचारों और उनकी देशभक्ति के गहराई से जुड़े थे। पंडित दीनानाथ मंगेशकर का न केवल सावरकर के प्रति सम्मान था, बल्कि उनके संघर्ष और क्रांतिकारी विचारधारा ने मंगेशकर परिवार को भी प्रेरित किया।

वीर सावरकर का लता मंगेशकर के परिवार से संबंध तब और मजबूत हुआ जब वे स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से शामिल थे। सावरकर एक महान क्रांतिकारी, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनका जीवन त्याग, बलिदान और संघर्ष से भरा हुआ था। मंगेशकर परिवार, विशेष रूप से लता जी, सावरकर के इन गुणों से प्रभावित थे। सावरकर के साथ इस संबंध ने लता मंगेशकर के जीवन में देशभक्ति और समाज सेवा की भावना को और मजबूत किया।

लता मंगेशकर ने अपने जीवन में सावरकर के विचारों को अपनाया और उन्हें अपनी गायकी के माध्यम से प्रस्तुत किया। वीर सावरकर केवल एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, बल्कि वे एक महान कवि, लेखक और समाज सुधारक भी थे। उनकी कविताओं और लेखों में देशभक्ति, त्याग और बलिदान की भावना भरी थी, और लता जी ने उनके इन विचारों को अपने जीवन और गायन में अभिव्यक्त किया।

लता मंगेशकर ने वीर सावरकर के लिखे कई गीतों को अपनी आवाज़ दी। ये गीत न केवल स्वतंत्रता संग्राम के समय में महत्वपूर्ण थे, बल्कि आज भी देशभक्ति की भावना को जाग्रत करने का काम करते हैं। लता जी की आवाज़ में गाए गए सावरकर के गीत लोगों को उन्हें देशभक्ति की भावना से प्रेरित किया।

लता मंगेशकर ने हमेशा वीर सावरकर के प्रति अपना सम्मान प्रकट किया। वह उन्हें केवल एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में नहीं देखती थीं, बल्कि एक महान विचारक और प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में मानती थीं। उन्होंने एक बार कहा था, “जो लोग वीर सावरकर की आलोचना करते हैं, वे उनके देशभक्ति और बलिदान को नहीं समझते।” उनके इस बयान से स्पष्ट होता है कि लता मंगेशकर के लिए सावरकर न केवल एक नेता थे, बल्कि उनके जीवन में एक आदर्श व्यक्ति भी थे।

वीर सावरकर ने कई देशभक्ति और क्रांतिकारी गीत लिखे, जिन्हें लता मंगेशकर ने अपनी आवाज़ दी। सावरकर के गीतों में उनके क्रांतिकारी विचार, देशप्रेम और बलिदान की भावना झलकती थी। लता जी की आवाज़ में इन गीतों ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम के समय लोगों को जागरूक किया, बल्कि उन्हें देश के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति भी प्रेरित किया।

लता मंगेशकर का सबसे प्रसिद्ध देशभक्ति गीत ‘ए मेरे वतन के लोगों’ है, जो 1963 में भारत-चीन युद्ध के बलिदानियों को समर्पित था। इस गीत ने लता दीदी को देश की स्वर कोकिला बना दिया और उन्होंने अपनी आवाज़ के माध्यम से करोड़ों भारतीयों के दिलों में देशभक्ति की भावना को जगाया। यह गीत वीर सावरकर के विचारों का प्रतीक था, जिसमें त्याग और बलिदान की भावना भरी थी।

लता मंगेशकर और सावरकर का देशभक्ति में योगदान

लता मंगेशकर के लिए संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं था। उन्होंने संगीत को देशभक्ति और समाज सेवा का एक माध्यम बनाया। उनके गाए हुए देशभक्ति गीत आज भी स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और अन्य राष्ट्रीय त्योहारों पर बजाए जाते हैं। लता जी की आवाज़ में गाए गए गीतों ने न केवल भारतीय जनता को प्रेरित किया, बल्कि दुनिया भर में भारतीय संगीत और संस्कृति को भी एक नई पहचान दी।

वीर सावरकर के विचारों से प्रभावित होकर लता मंगेशकर ने हमेशा समाज सेवा और देशभक्ति को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाए रखा। सावरकर के साथ उनके इस भावनात्मक और वैचारिक संबंध ने उनकी गायकी में गहराई को और बढ़ा दिया। उन्होंने न केवल अपने संगीत के माध्यम से, बल्कि अपने जीवन के हर पहलू में सावरकर के आदर्शों को अपनाया।

एक समय ऐसा भी आया था जब लता मंगेशकर गायिकी और संगीत की दुनिया को छोड़ कर देशसेवा में लगना चाहती थीं और कई दिनों तक वीर सावरकर के साथ इस संबंध में उनका विचार-विमर्श चला। इस दौरान वीर विनायक दामोदर सावरकर ने उन्हें समझाया कि देशसेवा संगीत के माध्यम से भी की जा सकती है। इससे उनके मन में स्पष्टता आई और उन्होंने संगीत में अपने करियर को आगे बढ़ाया।

लता मंगेशकर की 95वीं जयंती पर विशेष आयोजन

लता मंगेशकर की 95वीं जयंती के अवसर पर देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उनकी याद में संगीत समारोह, श्रद्धांजलि सभा और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं। विभिन्न शहरों में संगीत प्रेमी और कलाकार उनके गीतों को गाकर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। लता जी की आवाज़ भारतीय संगीत और संस्कृति का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, और उनकी जयंती पर उन्हें याद करना उनके योगदान को सम्मानित करने का एक अवसर है।

सोशल मीडिया पर भी लता मंगेशकर के प्रशंसक और संगीत प्रेमी उनके गीतों को साझा कर रहे हैं। उनके द्वारा गाए गए प्रसिद्ध गीतों को फिर से सुनकर लोग उनकी यादें ताजा कर रहे हैं। लता जी की आवाज़ और उनके गाए गए गीत हमेशा भारतीय समाज का महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहेंगे।

लता मंगेशकर का संगीत सफर सात दशकों तक चला । उनके द्वारा गाए गए गीतों में प्रेम, दुख, खुशी, देशभक्ति और जीवन के विभिन्न पहलुओं की झलक मिलती है। उनका योगदान केवल संगीत तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने समाज और राष्ट्र की सेवा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी गायकी ने लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना को जगाया और उन्हें अपने देश के प्रति समर्पित होने का संदेश दिया।

लता मंगेशकर की 95वीं जयंती पर हमें न केवल उनके संगीत को याद करना चाहिए, बल्कि वीर सावरकर के साथ उनके उस अनोखे और प्रेरणादायक संबंध को भी समझना चाहिए, जिसने उन्हें और उनके संगीत को एक नई दिशा दी।

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