चीन की घटती जन्म दर…क्या मानव सभ्यता की तबाही का संकेत है!

अगस्त 2022 में अमेरिकी बिजनेस टाइकून एलन मस्क ने ‘X’ पर एक पोस्ट कर लिखा था, “(मानव) सभ्यता के लिए कम जन्म दर के कारण जनसंख्या में गिरावट ग्लोबल वार्मिंग से कहीं ज्यादा बड़ा खतरा है।” मस्क के इस दावा का कोई आधार तब उन्होंने नहीं दिया था और तब बढ़ती आबादी को बड़ा संकट मानने वाले लोगों ने मस्क की आलोचना की थी। यह संकट वाकई कितना गंभीर हो सकता है इसका अनुमान अब चीन के शिक्षा विभाग की हालिया रिपोर्ट से लग रहा है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में जन्म दर में गिरावट एवं बच्चों के नामांकन में गिरावट के मद्देनजर हजारों नामी किंडरगार्टन बंद हो गए हैं। चीन की आबादी बूढ़ी हो रही है और इसके चलते कई किंडरगार्टन को वृद्धाश्रम में भी तबदील किया जा रहा है। विशेषज्ञ दावा कर रहे हैं कि चीन की घटती जन्म दर के चलते भविष्य के आर्थिक विकास के लिए भी गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।

क्या कहती है शिक्षा विभाग की रिपोर्ट?

हांगकांग से प्रकाशित होने वाले ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ ने शिक्षा विभाग की इस रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि चीन में किंडरगार्टन की संख्या में 2023 में 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। चीन में 2023 में किंडरगार्टन की संख्या 2,74,400 हो गई है जो पिछले वर्ष के मुकाबले 14,808 कम है और यह लगातार दूसरी वार्षिक गिरावट है। इसके अलावा रिपोर्ट में बताया गया है कि किंडरगार्टन में नामांकित बच्चों की संख्या में लगातार तीसरे साल गिरावट दर्ज की गई है और यह आंकड़ा 11.55 प्रतिशत या 53.5 लाख की कमी के चलते 4.09 करोड़ रह गया है। इसके साथ ही, प्राथमिक विद्यालयों की संख्या भी 2023 में 5,645 घटकर 143,500 रह गई है और यह करीब 3.8 प्रतिशत की गिरावट है।

चीन में घटती जन्म दर से गहराता संकट

किसी देश में जनसंख्या को स्थिर रहने के लिए प्रजनन दर 2.1 होनी चाहिए जो चीन में 2022 में 1.09 रह गई थी। 2023 में चीनी आबादी में लगातार दूसरे वर्ष गिरावट दर्ज की गई थी और इस दौरान केवल 90 लाख बच्चों का जन्म हुआ था। यह आंकड़ा 1949 में रिकॉर्ड रखने की शुरुआत के बाद से सबसे कम है। चीन ने इस गिरावट को कम करने के लिए कई नीतियां लागू की हैं जिनमें अधिक बच्चों वाले परिवारों के लिए नकद सब्सिडी, मातृत्व और पितृत्व अवकाश, कर छूट जैसी नीतियां थीं लेकिन इनका ज्यादा असर नहीं दिख रहा है और जन्म दर में लगातार गिरावट जारी है।

‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ ने बताया है कि आवास और बच्चे के पालन-पोषण की लागत बढ़ती लागत, अच्छे स्कूलों व यूनिवर्सिटीज़ में दाखिले का संकट और नौकरियों के लिए गलाकाट प्रतिस्पर्धा की चलते चीन में परिवार बच्चे पैदा करने में हिचक रहे हैं। चीन के एक शहर में हुए हालिया सर्वे में पाया गया है कि चीन की करीब 80% महिलाएं बिना बच्चे के रहना चाहती हैं या अधिकतम एक बच्चा पैदा करना चाहती हैं।

जापान और दक्षिण कोरिया में आबादी का संकट

आंकड़ों के मुताबिक, जापान में 2023 में लगातार आठवें साल जन्म दर में गिरावट दर्ज की गई। 2023 में जापान में केवल 7,58,631 बच्चे पैदा हुए जो कि 2022 की तुलना में 5.1% की गिरावट है और 1899 में आंकड़े जुटाए जाने के बाद से बच्चों के जन्म की सबसे कम संख्या है। पिछले वर्ष तक, जापान की प्रजनन दर 1.3 थी और यह पिछले कुछ वर्षों से लगभग स्थिर है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जापान अपनी प्रजनन दर को तुरंत बढ़ाने में कामयाब हो जाता है तब भी इसकी जनसंख्या कई दशकों तक घटती ही रहेगी।

वहीं, दक्षिण कोरिया में घटती जन्म दर का संकट कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता कि राष्ट्रपति ने इसकी तुलना ‘राष्ट्रीय आपदा’ से की और इसके समाधान के लिए नया मंत्रालय गठन किए जाने का एलान कर चुके हैं। दक्षिण कोरिया में प्रजनन दर दुनिया में सबसे कम है, 2022 में प्रजनन दर 0.78 थी जो 2023 में और घटकर 0.72 रह गई थी।

2100 तक घटेगी हर देश की आबादी

कुछ समय पहले ‘द लैंसेट’ पत्रिका में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के ‘इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स ऐंड एवोल्यूशन’ का एक अध्ययन प्रकाशित हुआ था जिसमें दावा किया गया था कि इस सदी के अंत तक लगभग हर देश में प्रजनन दर उनकी आबादी को स्थिर बनाए रखने के लिए बहुत कम हो जाएगी। अध्ययन में कहा गया था कि 2100 तक 204 देशों में से 198 में जनसंख्या कम हो जाएगी और सोमालिया, टोंगा, नाइजर, चाड, समोआ और ताजिकिस्तान ही अपनी आबादी को स्थिर बनाकर रख पाएंगे।

सोर्स – द लैंसेट

दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान लगाया था कि वैश्विक जनसंख्या 2024 के मध्य तक लगभग 8.2 अरब तक पहुंच जाएगी और अगले 60 वर्षों में इसमें 2 अरब की वृद्धि होने की उम्मीद है। इसके 2080 के दशक के मध्य तक लगभग 10.3 अरब तक पहुंचने का अनुमान है। दुनिया में आबादी कहीं बढ़ रही और कहीं कम होती जा रही है। दुनियाभर के हालिया आंकड़ों को देखें तो लंबे समय तक के लिए एलन मस्क के दावे में दम ज़रूर नजर आता है। हालांकि, यह समस्या क्या आने वाले समय में इतनी बड़ी हो जाएगी कि यह मानव सभ्यता की तबाही की वजह बनेगी यह तो अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है।

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