कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए करोड़ों रुपए के वाल्मीकि घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कई बड़े खुलासे किए हैं। ईडी ने चार्जशीट में कहा है कि कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे बी नागेंद्र ने बेल्लारी लोकसभा चुनाव 2024 में वोट लेने के लिए जनता को सरकार का पैसा बांट दिया था।
ईडी ने बेंगलुरू की विशेष अदालत में दाखिल की अपनी चार्जशीट में कहा है कि कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री बी नागेंद्र और उसके सहयोगियों ने कुल 187.33 करोड़ रुपए का वाल्मीकि घोटाला किया है। इसमें से 15 करोड़ रुपए का इस्तेमाल चुनाव प्रभावित करने के लिए किया गया था। ईडी ने चार्जशीट में साफ तौर पर कहा है कि चुनाव को प्रभावित करने के लिए बेल्लारी के 7 लाख वोटरों को लगभग 200-200 रुपए दिए गए थे। इसके अलावा प्रत्येक बूथ पर पार्टी कार्यकर्ताओं को 10 हजार रुपए दिए गए।
ईडी ने यह भी खुलासा किया है कि बी नागेंद्र ने सरकारी पैसे का उपयोग अपने निजी खर्चों को पूरा करने के लिए भी किया है। इसमें से नागेंद्र ने अपने व सहयोगियों के लिए फ्लाइट की बुकिंग, बिजली बिल, वाहन की रिपेयरिंग और अपने घर के नौकरों तक का वेतन भी घोटाले के पैसे से ही दिया था।
कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे बी नागेद्र के पर्सनल सेक्रेटरी बी विजय कुमार गौड़ा और नेक्केंटी नागराज व सहयोगी रुद्रय्या को लेकर ईडी ने दावा किया है कि इन सभी ने भारी भरकम राशि के मैनेजमेंट की बात स्वीकार की है। यही नहीं, बी. नागेंद्र के पर्सनल सेक्रेटरी विजय कुमार गौड़ा के मोबाइल फोन के स्क्रीनशॉट से भी यह बात सामने आई है कि घोटाले के पैसे का उपयोग बेल्लारी में लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए किया गया था।
ईडी का आरोप है कि नागेंद्र ने बेल्लारी लोकसभा सीट के विधायकों नारा भारत रेड्डी (बेल्लारी शहर), विधायक गणेश (काम्पली) और कुडलिगी विधायक डॉ. एनटी श्रीनिवास से बातचीत कर उन्हें भी घोटाले का पैसा दिया था।
क्या है वाल्मीकि घोटाला?
कर्नाटक सरकार जनजातीय समाज के कल्याण के लिए कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम के नाम से एक योजना चलाती है। इस योजना में रोजगार समेत कई अन्य तरह के जनहित के कार्यक्रम शामिल हैं। इस निगम में ही घोटाला हुआ है। करोड़ों का यह घोटाला महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन पी की आत्महत्या के बाद सामने आया।
आत्महत्या के बाद चंद्रशेखरन के पास से एक सुसाइड नोट मिला था। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उच्चाधिकारियों ने उन पर निगम का पैसा विभिन्न खातों से ट्रांसफर करने का दबाव बनाया था। चंद्रशेखरन का आरोप था कि सरकारी पैसे का गबन करने का लिए उनसे यह सब करवाया गया था। इस पूरे घोटाले में ₹187 करोड़ का लेनदेन हुआ था। जब यह मामला सामने आया तो चंद्रशेखर पी डर गए और उन्होंने आत्महत्या कर ली। बाद में जांच हुई तो मंत्री बी नागेन्द्र को इस्तीफा देना पड़ा था। ईडी ने इस मामले में बी नागेन्द्र समेत 25 लोगों को आरोपित बनाया है।