कोलकाता में फिर से हड़ताल पर लौटे डॉक्टर्स: कहा – ममता बनर्जी की सरकार ने नहीं उठाया कोई कदम

राज्य भर में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित

पश्चिम बंगाल, ममता बनर्जी, डॉक्टरों की हड़ताल

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद काम पर लौटे थे जूनियर डॉक्टर्स, अब फिर हड़ताल पर गए

कोलकाता के RG Kar रेप कांड केस को लेकर जूनियर डॉक्टर फिर से विरोध मार्च निकालेंगे। डॉक्टर ने 1 अक्टूबर से फिर से हड़ताल शुरु कर दी है। इसके चलते राज्य के कई अस्पतालों में मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जूनियर डॉक्टर्स के इस आंदोलन में मुख्य मुद्दा ममता बनर्जी सरकार की नीतियों और प्रशासनिक रवैये को लेकर है, जिस पर वे गंभीर आरोप लगा रहे हैं।

इससे पहले जूनियर डॉक्टर ने 10 अगस्त से 42 दिन तक विरोध प्रदर्शन किया था और वो 21 सितंबर को ड्यूटी पर वापस आए थे।

जूनियर डॉक्टर्स की मांगें

जूनियर डॉक्टर्स की प्रमुख मांग यह है कि राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे। उनका कहना है कि अस्पतालों में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं, जिससे आए दिन हिंसक घटनाएं होती रहती हैं। डॉक्टर्स ने मांग की है कि सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में सुरक्षा के लिए सेना की तैनाती हो और डॉक्टरों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

इसके अलावा, जूनियर डॉक्टर्स ने सरकार से संवाद और उनके मुद्दों को गंभीरता से लेने की मांग की है। उनका आरोप है कि ममता सरकार ने उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया है और प्रशासन की तरफ से इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

ममता सरकार पर लगे गंभीर आरोप

जूनियर डॉक्टर्स ने ममता बनर्जी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा के प्रति कुछ नही कर रही है और लगातार हो रही घटनाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। डॉक्टर्स का आरोप है कि जब भी इस तरह की घटना होती है, सरकार केवल आश्वासन देती है, लेकिन कोई बदलाव नहीं होता।

उनका यह भी कहना है कि सरकार और प्रशासन के रवैये के कारण अस्पतालों में काम करना मुश्किल होता जा रहा है। सुरक्षा की कमी के कारण डॉक्टर्स खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं और इस स्थिति में वे अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहे है।

जूनियर डॉक्टर्स ने आज एक बड़े विरोध निकालेंगे, जिसमें सैकड़ों डॉक्टर शामिल होंगे। यह मार्च कॉलेज स्क्वायर से धर्मतला तक निकाला जाएगा, जिसमें डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। इस मार्च का उद्देश्य सरकार को यह बताना है कि यदि उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो वे अपने आंदोलन को जारी रखेंगे।

जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि वे इस बार तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। उनका कहना है कि डॉक्टरों की सुरक्षा से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता और यदि सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं लेती, तो लंबे समय तक हड़ताल पर जा सकते हैं।

जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल के कारण अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। कई अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं के अलावा सभी सेवाएं ठप हैं। कोलकाता के इस कांड के बाद जूनियर डॉक्टर्स और ममता बनर्जी सरकार के बीच तनाव बढ़ गया है। जहां एक ओर सरकार डॉक्टर्स को मनाने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर डॉक्टर्स अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार और डॉक्टर्स के बीच इस मुद्दे का समाधान कैसे निकलेगा।

यदि सरकार जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ठप हो सकती हैं, जिससे मरीजों की परेशानियां और भी बढ़ जाएंगी।

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