देश के अलग-अलग हिस्सों में लव जिहाद के सैंकड़ों-हज़ारों मामले सामने आए लेकिन समाज के एक तबके द्वारा इसे केवल शिगूफा मानकर खारिज किया जाता रहा है। अब देश की एक अदालत ने भी लव जिहाद को एक सच्चाई के तौर पर स्वीकार कर लिया है। बीते दिनों यूपी के बरेली की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने हिंदू महिला को प्रेम जाल में फंसाकर धर्मांतरित करने के लव जिहाद से जुड़े एक मामले में एक मुस्लिम युवक को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
यह मामला 2023 का है जिसमें एक 22 युवती ने मोहम्मद आलिम अहमद नामक युवक के खिलाफ प्रताड़ना का केस दर्ज कराया था। पीड़िता की 2022 में एक कोचिंग सेंटर में आलिम अहमद से मुलाकात हुई थी और इस मुलाकात में युवक ने खुद को आनंद कुमार बताया था। दोनों ने मार्च 2022 में एक मंदिर में शादी की थी। शादी के बाद से आलिम महिला पर इस्लाम कबूलने का दबाव बना रहा था और मना करने पर उसे प्रताड़ित कर रहा था जिसके बाद महिला ने आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
‘लव जिहाद के हो सकते हैं गंभीर परिणाम’
बरेली फास्ट ट्रैक कोर्ट के एडीशनल डिस्ट्रिक्ट ऐंड सेशन्स जज रवि कुमार दिवाकर ने इस मामले में 42 पन्नों का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि लव जिहाद के जरिए किया जा रहे अवैध धर्मांतरण का एक मकसद है और अगर भारत सरकार समय रहते लव जिहाद के जरिए होने वाले अवैध धर्मांतरण को नहीं रोकती है, तो देश को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
कोर्ट ने इस मामले में कहा कि लव जिहाद का मेन एजेंडा भारत पर वर्चस्व स्थापित करना है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
कोर्ट ने पहली बार माना लव जिहाद
यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत की किसी कोर्ट ने पहली बार ऑन रिकॉर्ड स्वीकार किया है कि लव जिहाद नाम की कोई चीज है और इसके जरिए हिंदू महिलाओं को पूरी प्लानिंग के साथ निशाना बनाया जा रहा है जिससे भारत की डेमोग्राफी बदली जा सके।
कोर्ट ने माना कि लव जिहाद के मामले में मुस्लिम मर्द एक तय तरीके से हिंदू महिलाओं को निशाना बनाते हैं, उनके साथ प्यार का नाटक करते हैं ताकि धोखे से उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित किया जा सके। जज रवि कुमार दिवाकर ने इसके लिए अंतरराष्ट्रीय साजिश और फंडिंग किए जाने का भी जिक्र किया है।
‘भारत में पाक व बांग्लादेश जैसे हालात बनाने की कोशिश’
कोर्ट ने माना कि लव जिहाद के जरिए हिंदू लड़कियों को प्यार के जाल में फंसाकर उनका अवैध धर्मांतरण कराने का काम एक सिंडिकेट की ओर से अरेंज्ड तरीके से बड़े पैमाने पर किया जा रहा है और इसके लिए खासकर SC, ST और OBC समुदायों की महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा है।
कोर्ट ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति का जिक्र किया और कहा कि इस सिंडिकेट द्वारा शादी, नौकरी जैसे प्रलोभन देकर भारत में भी पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे हालात पैदा करने की कोशिश की जा रही है।
लव जिहाद से ‘जन्नत मिलती है’
उत्तर प्रदेश के बलिया में 2022 में मोहम्मद आलम नामक एक शख्स ने खुद को अनुज प्रताप सिंह बताकर एक नर्सिंग छात्रा को प्रेम जाल में फंसा लिया था और उससे कोर्ट मैरिज कर ली थी। छात्रा ने बताया था कि आरोपित उसे प्रेम जाल में फंसाने के लिए शादी से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर भी गया था और वह प्रसाद चढ़ाने, माथे पर टीका लगाने के साथ-साथ आरती भी किया करता था।
आरोपित ने राज खुलने के बाद कथित तौर पर महिला के ऊपर जानलेवा हमला भी कराया था। पीड़िता की शिकायत के बाद युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इस युवक ने इस सारे घटनाक्रम को लेकर अपने स्टेट्स पर लिखा था, “मैंने जो किया है, इससे जन्नत मिलती है।”
लव जिहाद के लिए ईनाम और ‘किस आफ लव’ कैंपेन
ऐसा नहीं है कि लव जिहाद की यह घटना कोई नई हो, देश में अलग-अलग जगहों पर ऐसी घटनाएं होती रही हैं। कुछ वर्ष पहले केरल एवं दक्षिण के कुछ राज्यों में ‘किस आफ लव’ कैंपेन हुआ था। इस आयोजन के पीछे पीएफआई का हाथ बताया गया था और इस कैंपेन में ‘भाईचारे’ के नाम पर ज्यादातर हिन्दू लड़कियों को बुलाया गया था जबकि आयोजन में शामिल होने वाले सभी युवक मुस्लिम थे। इसके अलावा 2016 में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था। जिसमें हिन्दू लड़कियों को लव जिहाद के जाल में फंसाने पर ‘ईनाम’ देने का ऐलान किया गया था।
स्टूडेंट्स ऑफ मुस्लिम यूथ फोर’ नाम के एक मुस्लिम संगठन की तरफ से पोस्टर के जरिए वॉट्सऐप समूहों में संदेश जारी किए गए थे। इस संदेश में ‘लव जिहाद मिशन फॉर यूनिवर्सल एंड ग्लोबल इस्लाम, लव इज नॉट अ क्राइम एंड जेहाद इज अल्लाज वर्क’ लिखा था और लव जिहाद में सफल हो जाने के बाद ‘ईनाम’ की रकम प्राप्त करने के लिए फोन नम्बर और पते दिए गए थे।
लव जिहादियों के निशाने पर सिर्फ हिंदू लड़कियां नहीं
ऐसा नहीं है कि लव जिहाद करने वाले लोगों के निशाने पर सिर्फ हिंदू लड़कियां ही हैं। इस सिंडीकेट ने ईसाई और सिख लड़कियों को भी लगातार निशाना बनाया है। 2009 में तो केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल ने इसे लेकर कहा था कि बीते कुछ वर्षों में साढ़े चार हजार ईसाई लड़कियों को लव जिहाद के जरिये निशाना बनाया गया है।
वहीं, 2021 में केरल के कोट्टायम में एक कैथोलिक बिशप मार जोसेफ कल्लारनगट्ट ने कहा था कि लव जिहाद के जरिए गैर मुस्लिम लड़कियों, विशेष रूप से ईसाई समुदाय की लड़कियों को प्रेम के जाल में फंसा कर उनका धर्मांतरण और शोषण किया जा रहा है तथा आतंकवाद जैसी विध्वंसक गतिविधियों में उनका इस्तेमाल किया जा रहा है।