सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर लद्दाख पर सवाल उठाने वाले नेता इजरायल के विपक्ष से सीखें!

ईरान ने इजरायल पर 181 बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया था। इसके बाद इजरायल के पूर्व पीएम नफ्ताली बेनेट का बयान चर्चा में है।

इजरायल के पूर्व पीएम बेनेट का बयान चर्चा में

आज की रात ही सर्जिकल स्ट्राइक जैसा बड़ा कदम उठाया गया था और दुनिया को सूचित कर दिया गया था कि ये नया भारत है। ये घर में घुसकर मारता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 सितंबर को जम्मू की रैली में सर्जिकल स्ट्राइक की याद दिलाते हुए यह बयान दिया था। आठ साल पहले की बात है। उरी आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था। सीमा पार करते हुए सर्जिकल स्ट्राइक में 6 आतंकी लॉन्च पैड और तकरीबन 45 आतंकियों का काम तमाम कर दिया था। इस अदम्य साहस और शौर्य से पाकिस्तान सन्न था। हमारे देश में वीर जवानों का जयकारा लग रहा था। लेकिन इन सबके बीच देश के अंदर कुछ आवाजें ऐसी थीं, जो इस सेना की वीरता को सलाम न करते हुए मीन-मेख निकालने में लगी थीं। सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए जा रहे थे। सबूत मांगे जा रहे थे। खैर आठ साल बीत गए। सोमवार को जब ईरान ने इजरायल पर मिसाइलों की बारिश की, तो वहां के पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट का बयान चर्चा में है।

इजरायल से सीखिए विपक्ष का काम सिर्फ आलोचना नहीं

पूर्व पीएम बेनेट ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, ‘इजरायल के पास 50 वर्षों में मध्य पूर्व का चेहरा बदलने का महानतम मौका है। शतरंज की चाल चलने में माहिर ईरान के नेतृत्व ने आज शाम एक भयानक गलती की है। हमें ईरान के परमाणु कार्यक्रम, इसकी केंद्रीय ऊर्जा सुविधाओं को नष्ट करने और इस आतंकवादी शासन को घातक रूप से पंगु बनाने के लिए फौरन कार्रवाई करनी चाहिए।‘ बेनेट ने आगे कहा, ‘आतंक के ऑक्टोपस के सिर पर हमला करने की जरूरत है। उसने कायरता से हमें मारने के लिए अपने तंतुओं हमास, हिज्बुल्ला, हूती आदि को भेजा। ऑक्टोपस के तंतु लकवाग्रस्त हो गए हैं। अब सिर की बारी है। हमें अपने बच्चों के भविष्य के लिए इस भयानक खतरे को दूर करना चाहिए।‘

एक हमारे देश का विपक्ष है…

इजरायल के विपक्षी नेताओं से हमारे देश के विपक्ष को सीख लेने की जरूरत है। एक तरफ इजरायल के पूर्व पीएम हैं, जो संकट के इस वक्त कंधे के कंधा मिलाकर राष्ट्र के लिए खड़े हैं और दूसरी ओर हमारे देश का विपक्ष भारतीय सुरक्षाबलों से जुड़े रणनीतिक मसलों में सवाल उठाने से नहीं चूकता है। चाहे उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक हो, पुलवामा के बाद पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक या लद्दाख में चीन से संघर्ष, हर बार हमारे विपक्ष को इसमें सियासत नजर आती है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह कहते हैं, ‘सर्जिकल स्ट्राइक किया गया लेकिन सबूत नहीं दिखाया गया। पुलवामा आतंकी हमले में 300 किलो आरडीएक्स कहां से आई?’ पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने दिग्विजय के बयान पर कहा था- भारत के सुरक्षा मामलों पर कुछ नेताओं को अपराधी बनते देखकर दुख हो रहा है। ये लोग बार-बार हमारे सशस्त्र बलों के अभियान पर सवाल उठाते हैं। वहीं राहुल गांधी लद्दाख पर कुछ भी बोल जाते हैं। राहुल ने भारत और चीन की सेनाओं के बीच डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया को लेकर हुए समझौते पर सवाल उठाए थे। राहुल ने कहा था, ‘चीन के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मत्था टेक दिया है। लद्दाख में पैंगोंग झील पर भारतीय ज़मीन फ़िंगर-4 तक है, जबकि चीन को अब फ़िंगर 4 से 3 तक का हिस्सा दे दिया गया है।’ हैरानी यह है कि रक्षा मंत्रालय की तरफ से राहुल के दावे को गलत बताए जाने के बावजूद वह मौके-मौके पर बयान दोहराते नजर आते हैं।

इजरायल ने यूएन महासचिव पर भी लगाया बैन

उधर इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की अपने देश में एंट्री बैन कर दी है। इजरायल के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘जो कोई भी इजरायल पर ईरान के जघन्य हमले की साफ तौर पर निंदा नहीं कर सकता, जैसा कि दुनिया के तकरीबन हर देश ने किया है, वह इजरायल की धरती पर कदम रखने के काबिल नहीं है।‘ पोस्ट में आगे कहा गया है, ‘हमास, हिज्बुल्लाह, हूती और अब आतंक की जननी ईरान के आतंकवादियों, बलात्कारियों और हत्यारों को समर्थन देने वाले महासचिव को संयुक्त राष्ट्र के इतिहास पर एक दाग के रूप में याद किया जाएगा। एंटोनियो गुटेरेस के साथ या उनके बिना, इजरायल अपने नागरिकों की रक्षा करना और अपनी राष्ट्रीय गरिमा को बरकरार रखना जारी रखेगा।’

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