ईरान ने बीते दिनों इज़राइल पर 180 से अधिक मिसाइलों से हमला किया था, जिसके बाद इज़राइल ने इस हमले का बदला लेने की बात कही थी। मध्य-पूर्व की स्थिति तनावपूर्ण है, और इज़राइल कब, कैसे और कहां से इसका बदला लेने के लिए ईरान पर हमला करेगा, यह किसी को पता नहीं है। लेकिन इस बीच एक ऐसा घटनाक्रम हुआ है जिसे लेकर अमेरिका भी टेंशन में आ गया है।
दरअसल, इज़राइल के टीवी ‘चैनल 14’ पर उन लोगों की कुछ तस्वीरें दिखाई गई थीं जो कथित तौर पर इज़राइल के निशाने पर हैं। इनमें हिजबुल्लाह के उप-प्रमुख नईम कासिम और हमास नेता याह्या सिनवार जैसे लोगों की तस्वीरें थीं। इनमें ही एक ऐसी तस्वीर थी जिसने अमेरिका की धड़कनें बढ़ा दी हैं। यह तस्वीर थी 94 वर्षीय शिया मौलवी ग्रैंड अयातुल्ला अली अल-सिस्तानी की, और इस तस्वीर में उनके सिर पर लाल रंग से बना हुआ टारगेट भी दिखाया गया था।
अमेरिका ने क्या कहा?
‘चैनल 14’ की इस तस्वीर के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शिया समुदाय के लोग भड़क गए, और अमेरिका भी इससे टेंशन में आ गया। इराक में अमेरिकी राजदूत एलिना रोमानोव्स्की ने अल-सिस्तानी की तस्वीर को हिट लिस्ट में शामिल किए जाने की निंदा की है। रोमानोव्स्की ने ‘X’ (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, “सिस्तानी अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एक प्रसिद्ध और सम्मानित धार्मिक नेता हैं। वह क्षेत्र में शांति स्थापित किए जाने को बढ़ावा देने के लिए एक अहम और प्रभावशाली आवाज़ हैं।”
उन्होंने आगे लिखा, “हम ग्रैंड अयातुल्ला सिस्तानी को निशाना बनाने के किसी भी सुझाव को अस्वीकार करते हैं। अमेरिका क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देने के प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा।”
कौन हैं अल-सिस्तानी?
1930 में ईरान में जन्मे अल-सिस्तानी शियाओं के सबसे प्रमुख धर्मगुरुओं में से एक हैं। धार्मिक विद्वानों के एक प्रसिद्ध परिवार के सदस्य अल-सिस्तानी ने इस्लामी कानून और जीवन पर कई किताबें लिखी हैं। सिस्तानी, सद्दाम हुसैन के शासन के दौरान कई वर्षों तक घर में नजरबंद रहे थे और वे बमुश्किल ही कभी सार्वजनिक रूप से नजर आते हैं। अल-सिस्तानी फिलहाल बगदाद से लगभग 160 किमी दक्षिण में स्थित नजफ में रहते हैं।
1952 में शिया मौलवियों के साथ अध्ययन करने के लिए इराक के पवित्र शहर नजफ में आए थे। सितंबर 2002 में उन्होंने अपना पहला राजनीतिक फतवा जारी करते हुए मुसलमानों से एकजुट होने और बाहरी हमलावरों के खिलाफ इराक की रक्षा करने का आग्रह किया था। वहीं, 2003 में सिस्तानी ने अपना दूसरा राजनीतिक फतवा जारी करते हुए इराकी लोगों से तटस्थ रहने और अमेरिकी सेना के साथ हस्तक्षेप न करने का आग्रह किया था। 2021 में अल-सिस्तानी ने ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के साथ मुलाकात की थी।