कर्नाटक में हुए’ मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA)’ यानी मुडा घोटाले को लेकर सिद्धारमैया सरकार भाजपा के निशाने पर है। भाजपा सांसद संबित पात्रा ने कहा है कि मुडा घोटले में सीएम सिद्धारमैया सिर से पांव तक संलिप्त हैं। इसलिए उन्हें आज शाम से पहले इस्तीफा दे देना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने 15 करोड़ रुपए के वाल्मीकि घोटाले को लेकर भी कांग्रेस पर निशाना साधा।
भाजपा सांसद संबित पात्रा ने 16 अक्टूबर 2024 को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मुडा के चेयरमैन ने इस्तीफा दे दिया है अब सीएम सिद्धारमैया को भी इस्तीफे दे देना चाहिए। पात्रा ने आगे कहा कि मुडा के चेयरमैन का इस्तीफा और सिद्धारमैया ने घोटाले की जमीन वापस करने की पेशकश से यह साफ है कि इस घोटाले में सिद्धारमैया भी सर से पांव तक संलिप्त हैं।
MUDA स्कैम को लेकर भाजपा का पलटवार
संबित पात्रा ने यह भी कहा कि सिद्धारमैया ने मुडा घोटाले की जमीन वापस करने के लिए कहना और वाल्मीकि घोटाले में फंड डायवर्ट होने की बात स्वीकार की है। यह अपराध को स्वीकार करना नहीं है तो और क्या है? अब किस सबूत की आवश्यकता है। सिद्धारमैया को सूर्यास्त का इंतजार नहीं करना चाहिए सूर्यास्त से पहले ही उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। सिद्धारमैया इस मामले में हाई कोर्ट भी गए थे जहां उन्हें करारा तमाचा खाना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि सिद्धारमैया को इस पूरे घोटाले की सीख सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने दी होगी। ये दोनों मां-बेटे 5000 करोड़ के नेशनल हेराल्ड घोटाले में जमानत पर हैं, इन दोनों ने ही ट्यूशन दिया होगा कि घोटाला कैसे करना है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले में घिरे हुए हैं। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने सिद्धारमैया समेत कई लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। इससे पहले बेंगलुरु की एक कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस जांच का आदेश दिया था। लोकायुक्त पुलिस ने सिद्धारमैया के खिलाफ 27 सितंबर 2024 को एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर में सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती और साले मल्लिकार्जुन स्वामी का नाम शामिल है।
अब इस मामले में नया मोड़ आया है। अब सिद्धारमैया की पत्नी ने MUDA को खत लिखकर उन 14 प्लॉट को लौटाने की पेशकश की है, जिनको लेकर घोटाले का आरोप है। तो क्या सिद्धारमैया और उनके परिवार ने गड़बड़ी की बात मान ली है? इस सवाल का जवाब तलाशने से पहले आपको बताते हैं कि MUDA जमीन घोटाला है क्या:
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण यानी मुडा कर्नाटक की एक विकास एजेंसी है। शहरी विकास को बढ़ावा, किफायती आवास मुहैया कराना और आवास का निर्माण जैसे काम यह एजेंसी करती है। विकास प्रोजेक्ट के लिए कई बार यह एजेंसी जमीन का अधिग्रहण करती है। ऐसे में मुडा ने जमीन खोने वाले लोगों के लिए 50:50 नाम की स्कीम शुरू की थी। इसमें जमीन खोने वाले लोग विकसित जमीन के 50 प्रतिशत के हकदार होते थे। यानी अगर किसी की दो एकड़ जमीन अधिग्रहित की जाती है, तो उसे दूसरी विकसित जगह पर एक एकड़ जमीन दी जाती है। साल 2009 में शुरू हुई इस योजना को 2020 में बीजेपी सरकार ने बंद कर दिया था। हालांकि मुडा की ओर से जमीन अधिग्रहण और आवंटन जारी रहा।
अब सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया क्यों कठघरे में हैं? आरोपों के मुताबिक मुख्यमंत्री की पत्नी बीएम पार्वती के नाम दर्ज तीन एकड़ 16 गुंटा जमीन को मुडा ने अधिग्रहित किया। इसके बदले में उन्हें 50:50 स्कीम के तहत बेशकीमती 14 साइटें आवंटित की गईं। मैसूर के बाहरी इलाके केसारे में स्थित यह जमीन बीएम पार्वती के नाम पर दर्ज थी। इसे उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में गिफ्ट के तौर पर दिया था। आरोप है मुडा ने बिना इस जमीन का अधिग्रहण किए देवनूर थर्ड फेज प्रोजेक्ट को डेवलप कर दिया। सिद्धारमैया की पत्नी ने मुआवजे के लिए आवेदन किया और इसके बाद उन्हें मुडा ने विजयनगर 3 और 4 फेज में 14 साइटें आवंटित कीं। 50:50 स्कीम के तहत कुल 38,284 वर्गफीट जमीन के आवंटन को लेकर घोटाले के आरोप हैं।
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 17 अगस्त 2024 को भ्रष्टाचार निवारण कानून और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धाराओं के तहत सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की इजाजत दी थी। सीएम ने राज्यपाल के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 24 सितंबर को सिद्धारमैया की अर्जी को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
क्या प्लॉट लौटाने से बच जाएंगे सिद्धारमैया?
एक सवाल यह भी है कि क्या प्लॉट लौटाने से सिद्धारमैया और उनका परिवार इस मामले में बच जाएगा? फिलहाल तो इसके आसार नहीं हैं। अगर नियमों को ताक पर रखकर कोई अनियमितता होती है, तो प्रक्रिया रद्द करना काफी नहीं होता है। इससे अपराध रद्द नहीं होता है। ईडी का काम आर्थिक अपराध की जांच करना है। ईडी ने सिद्धारमैया और उनके परिवार के खिलाफ जो ईसीआईआर लगाई है, वह पुलिस एफआईआर के बराबर है।
PMLA के मामलों में आरोपी को कोर्ट में बेगुनाही साबित करनी होती है। ईडी इस केस में आगे ऐक्शन ले सकती है, मसलन समन के जरिए पूछताछ के लिए बुलाना। जांच के दौरान संपत्ति की कुर्की का भी ED के पास अधिकार है।