प्रियंका के नामांकन में खरगे ‘आउट’: रोते हुए बाथरूम में बंद किया, धोती खिंची… सीताराम केसरी की वो बेइज्जती

सीताराम केसरी 1996 से 1998 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे थे।

सीताराम केसरी को हटाकर सोनिया गांधी को बनाया गया था अध्यक्ष

प्रियंका गांधी ने बुधवार को केरल की वायनाड लोकसभा सीट से पर्चा भरा। इस दौरान चर्चा उनके नामांकन से ज्यादा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की हो रही है। प्रियंका का नामांकन करते एक वीडियो सामने आया है, जिसमें खरगे गेट के बाहर से झांकते दिख रहे हैं। कहा जा रहा है कि उनको एंट्री ही नहीं मिली। बीजेपी ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि खरगे को इसलिए बाहर रखा गया, क्योंकि वह दलित समाज से आते हैं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिख रहा है कि गांधी परिवार (सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी) तो जिलाधिकारी के कार्यालय में मौजूद हैं लेकिन खरगे नहीं नजर आ रहे हैं। वह जरा से खुले दरवाजे से अंदर झांकने की कोशिश कर रहे हैं। इस घटनाक्रम ने 26 साल पुरानी घटना की याद दिला दी, जब सीताराम केसरी का कांग्रेस दफ्तर के अंदर अपमान हुआ था।

सोनिया के सक्रिय होने पर किनारे लगे केसरी

सीताराम केसरी का किस्सा बताने से पहले उस समय की राजनीतिक स्थिति के बारे में बताते हैं। 1996 के आम चुनाव में पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व में कांग्रेस को शिकस्त मिली थी। 13 दिन की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार गिर गई। इस बीच राव की अनदेखी करते हुए सोनिया गांधी को पर्दे से हटाकर राजनीति में सक्रिय किया जा रहा था। कांग्रेस के समर्थन से संयुक्त मोर्चा की सरकार बन चुकी थी और एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री थे। कहा जाता है कि सोनिया के ही निर्देश पर नरसिंह राव को कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। सितंबर 1996 में बुजुर्ग सीताराम केसरी की एआईसीसी (ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी) अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी हुई। कांग्रेस के वह लंबे अरसे तक कोषाध्यक्ष भी रह चुके थे।

जबरन इस्तीफा लिया गया, कांग्रेस मुख्यालय में अपमान

केसरी की सक्रियता से माधव राव सिंधिया की मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस और नारायण दत्त तिवारी की तिवारी कांग्रेस का विलय फिर से कांग्रेस में हो गया। इन सबके बीच केसरी के बढ़ते कद को देखते हुए पार्टी के अंदर ही खेल शुरू गया। उन्होंने एक सवाल कर दिया कि जब मेरे रहते 10 जनपथ की सारी बात मानी जा रही है, तो फिर उनको कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने की चर्चाएं क्यों चल रही हैं? इसी के बाद जबरन उनसे इस्तीफा ले लिया गया। लेकिन इस्तीफे से पहले उनका जिस तरह से कांग्रेस दफ्तर में अपमान हुआ, वह भी इतिहास है।

रोते हुए भागे, दफ्तर छोड़ते वक्त खींची गई धोती

तारीख- 5 मार्च 1998। सीताराम केसरी को हटाने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। केसरी को भी नहीं पता था कि उनके साथ इतना बुरा सलूक होने वाला है? कांग्रेस कार्य समिति की 24 अकबर रोड पर बैठक बुलाई गई। इसी दौरान अचानक सीताराम केसरी को इस्तीफा देने का फरमान आ गया। बताया जाता है कि उस दौरान केसरी की इस कदर बेइज्जती हुई कि वह रोते हुए भागे। इसके बाद उन्होंने खुद को बाथरुम में बंद कर लिया। उनको बाथरूम से निकालने के लिए युवक कांग्रेस के दबंग बुला लिए गए। इन सबके बीच केसरी से जबरन इस्तीफा ले लिया गया। इतने अपमान पर भी जब जी नहीं भरा तो दफ्तर छोड़कर जाते वक्त उनकी धोती तक खींच ली गई। उनको बेइज्जत करके कार्यालय से बाहर निकाला गया। सीताराम केसरी ने खुद मीडिया को दिए साक्षात्कार में यह बात कही थी।

प्रणब मुखर्जी की किताब में जिक्र

दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब द कोअलिशन इयर्स 1996-2012 में घटना का जिक्र है। प्रणब मुखर्जी लिखते हैं, ‘5 मार्च 1998 को सीताराम केसरी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई। इस बैठक में गुलाम नबी आजाद, शरद पवार और जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाने की पेशकश की। लेकिन केसरी ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। प्रणब मुखर्जी समेत कई नेताओं पर साजिश का आरोप लगाते हुए वह मीटिंग से उठकर चले गए।‘ 2019 में उनका मरणोपरांत भी केसरी का अपमान हुआ। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कार्यालय 24, अकबर रोड पर शिलापट्ट से भी बतौर कांग्रेस अध्यक्ष उनका नाम मिटा दिया गया।

आहत केसरी ने ले लिया था राजनीति से संन्यास

पत्रकार रशीद किदवई ने अपनी किताब ए शॉर्ट स्टोरी ऑफ द पीपल बिहाइंड द फॉल एंड राइज ऑफ कांग्रेस में लिखा है, ‘दिल्ली के 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय से सीताराम केसरी को बेइज्जत करके बाहर निकाला गया। इस काम में सोनिया गांधी को प्रणब मुखर्जी, शरद पवार, जितेंद्र प्रसाद और एके एंटनी का पूरा साथ मिला।‘ सीताराम केसरी कांग्रेस के एक पुराने राजनेता थे। 35 साल तक सांसद (एक बार लोकसभा, 5 बार राज्यसभा) और तीन बार मंत्री रहने के बावजूद उनका दिल्ली में अपना निजी घर नहीं था। इस बेइज्जती से आहत सीताराम केसरी ने राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया था। जीवन के आखिरी दिन उन्होंने बिहार के अपने गृहक्षेत्र दानापुर में बिताए।

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