एक पत्रकार है। लाखों रुपए के लेनदेन करता है। भोग-विलास से परिपूर्ण जीवन जीता है। फाइव-स्टार होटलों में रुकता है। महंगे उपहारों का आदान-प्रदान करता है। UAE और हॉन्गकॉन्ग जैसे देशों की यात्राएँ करता है। GST फ्रॉड कर के सरकार को चूना भी लगाता है। कारोबारियों से वसूली भी करता है। और हाँ, The Hindu में काम करता है। यहां किसी स्टार एंकर या किसी मीडिया मुगल की नहीं, बल्कि एक साधारण पत्रकार की बात हो रही है।
इस देश में किस तरह की पत्रकारिता हो रही है, यह इसी से समझ लीजिए कि ‘द हिन्दू’ के पत्रकार महेश लांगा पर गुजरात में चौथी FIR दर्ज की गई है। यानी, एक पत्रकार और इतने सारे कारनामे। महेश लांगा को सबसे पहले GST फ्रॉड के मामले में गिरफ्तार किया गया था। अब मंगलवार (29 अक्टूबर, 2024) को उसके खिलाफ एक और केस दर्ज किया गया है। आरोप है कि एक कारोबारी के साथ उसने 28.68 लाख रुपये की ठगी को अंजाम दिया है। महेश लांगा The Hindu में सीनियर असिस्टेंट एडिटर के पद पर है। उसे हटाना तो दूर, मीडिया संस्थान उल्टा उसका समर्थन कर रहा है।
GMB अधिकारियों के साथ मिल कर सरकार को बदनाम करने की साजिश
अहमदाबाद के सिटी पुलिस कमिश्नर ज्ञानेंद्र सिंह मलिक ने बताया कि पुलिस ने पेशेवर तरीके से इस मामले की जाँच की है, उन्होंने ये बात उन सोशल मीडिया टिप्पणियों के जवाब में कही, जिनमें पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ जैसी संस्थाएँ तो इसे पत्रकारिता पर हमला बता रही हैं। महेश लांगा पहले से ही पुलिस की हिरासत में है और इस मामले में अब तक 17 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। पूरा का पूरा मामला इससे कहीं अधिक बड़ा है, 220 से भी अधिक कंपनियाँ बना कर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा था।
महेश लांगा के खिलाफ इससे पहले दर्ज FIR में बताया गया था कि वह ‘गुजरात मेरीटाइम बोर्ड’ (GMB) के कुछ अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर गोपनीय व संवेदनशील दस्तावेज लीक कर रहा था। साथ ही वह विपक्षी नेताओं के साथ मिल कर ये रणनीति भी बना रहा था कि इन दस्तावेजों को मीडिया के सामने कैसे पेश किया जाए और सरकार को बदनाम करने के लिए किस तरह के बयान दिए जाएँ। ये कोई हवा-हवाई बातें नहीं हैं, महेश लांगा के ठिकाने से ऐसे दस्तावेज क्राइम ब्रांच ने बरामद किए हैं।
GMB दस्तावेजों वाले मामले की जाँच गाँधीनगर पुलिस कर रही है, वहीं GST फ्रॉड वाले मामले में अहमदाबाद पुलिस कार्रवाई कर रही है। महेश लांगा की लक्ज़री लाइफस्टाइल से लेकर उस पर बेनामी लेनदेन के लगे आरोपों तक की भी चर्चा है। एक तरफ एडिटर्स गिल्ड कह रहा है कि पत्रकारों को रिपोर्टिंग के लिए दस्तावेजों तक पहुँच बनाना और इसे देखना ही पड़ता है, जबकि गुजरात पुलिस कह रही है कि महेश लांगा के व्हाट्सएप चैट्स से पता चला है कि उसकी इन करतूतों का इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म से कोई लेना-देना नहीं है। उसने कई भारतीय और यहां तक कि विदेशी लोगों के समक्ष भी खुद को फाइनेंशियल ब्रोकर, लैंड डीलर और लॉबीइस्ट बता कर पेश किया।
कारोबारी प्रणय शाह से महेश लांगा ने की वसूली
दलाली कौन सी इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म का हिस्सा है? अगर है, तब तो यह पत्रकारिता नहीं बल्कि कुछ और है। और हाँ, दलालों का बचाव करने वाले भी कुछ और ही हैं। कैश और लक्जरी सुविधाएँ लेकर कौन सी इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म होती है? महेश लांगा के खिलाफ ताजा मामला कारोबारी प्रणय शाह ने दर्ज कराया है। प्रणय शाह ने बताया है कि उन्होंने महेश लांगा से अपना काम करवाया था और इसके बदले पैसे दिए थे। इतना ही नहीं, उसकी बीवी कविता लांगा के लिए एक पार्टी आयोजित करने का जिम्मा भी उन्होंने ही उठाया था।
प्रणय शाह का कहना है कि कुछ बैठकों के जरिए उनका परिचय महेश लांगा से हुआ, जो खुद को सरकार और मीडिया में नेटवर्क रखने वाला एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में पेश करता था। प्रणय शाह की कंपनी को उसने विज्ञापनों और पॉजिटिव प्रमोशन का ऑफर दिया। एक कॉर्पोरेट दफ्तर खरीदने के लिए महेश लांगा ने प्रणय शाह से 23 लाख रुपए मँगवाए। इसके बाद उसकी बीवी कविता की बर्थडे पार्टी के लिए भी उनसे ही 5.68 लाख रुपए लिए गए। उनका आरोप है कि जब उन्होंने अपने पैसे वापस माँगे, तब महेश लांगा उन्हें धमकियाँ देने लगा। महेश लांगा कहने लगा कि वह नेगेटिव मीडिया कवरेज करा कर और राजनीति व मीडिया में अपने कनेक्शंस का इस्तेमाल कर के प्रणय शाह की कंपनी को बदनाम कर देगा।
अब जब प्रणय शाह को GST फ्रॉड के मामले में महेश लांगा की गिरफ्तारी की खबर मिली है तो उन्होंने पुलिस के पास जाकर FIR दर्ज कराने की हिम्मत जुटाई। एक तरफ महेश लांगा इतने बड़े-बड़े लेनदेन में संलिप्त था, वहीं दूसरी तरफ 2022-23 में भरे गए आयकर रिटर्न में उसने अपनी आय 9.48 लाख रुपए दिखाई थी। वहीं उसकी बीवी ने अपनी आय 6.04 लाख रुपये बताई थी। दोनों को मिला दें तो यह 15.52 लाख रुपए होता है, जबकि 20 लाख रुपए का कैश तो छापेमारी के दौरान ही उसके घर से जब्त किया गया था। ऊपर से प्रणय शाह से वसूली का मामला पति-पत्नी दोनों की आय से लगभग दोगुनी धनराशि की है।
GST फ्रॉड का ये जो मामला है, उसमें महेश लांगा का नाम 2 कंपनियों के कारण आया। इनमें से एक है ‘ध्रुवी एंटरप्राइज’। ये केस ED ने दर्ज किया है, जिसने इस कंपनी से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी भी की। ये एक फर्जी कंपनी थी। बोटाद के एक किसान हरेश मकवाना के नाम पर इसे रजिस्टर किया गया था। दूसरी कंपनी है महेश लांगा के परिवार की ‘DA एंटरप्राइजेज’, जिसने इस फर्जी कंपनी के साथ लेनदेन किया। पहली FIR इसी मामले को लेकर हुई थी, जिसे GST इंटेलिजेंस के डायरेक्टरेट जनरल (DGGI) ने दर्ज कराई थी। किसी उत्पाद या सर्विस की सप्लाई के बिना ही फर्जी रसीद बना कर 220 कंपनियाँ सरकार को चूना लगा रही थीं।
ऐसा नहीं है कि पुलिस ने एक कहानी बना दी और उपन्यास लिख दिया। 139 गवाहों से पूछताछ की गई, तब जाकर इस पूरे मामले की सतहें खुलीं। ‘DA एंटरप्राइज’ नाम की यह कंपनी महेश लांगा के कजिन मनोज लांगा और वीनू पटेल के नाम पर रजिस्टर्ड थी। इसे जुलाई 2020 में रजिस्टर किया गया था। 2020-21 में इसका टर्नओवर 21 लाख रुपए का था। 9 अक्टूबर, 2021 को अचानक से वीनू पटेल को हटा दिया जाता है और उनकी जगह महेश लांगा की पत्नी कविता लांगा को कंपनी के मालिकों में से एक बना दिया जाता है। फिर चमत्कार हो जाता है। अचानक से 2022-23 में महेश लांगा से जुड़ी इस कंपनी का टर्नओवर 6.70 करोड़ रुपए हो जाता है। यानी, जम कर बेनामी और हवाला वाले लेनदेन हो रहे थे।
पत्नी और भाई-भाभी के नाम का इस्तेमाल कर रहा था The Hindu का पत्रकार
मनोज लांगा ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया कि इस कंपनी को महेश लांगा द्वारा चलाया जा रहा है। वहीं महेश लांगा की पत्नी का कहना है कि इस कंपनी के बारे में उन्हें कुछ नहीं पता। क्या ऐसा हो सकता है कि आप किसी कंपनी के मालिक हों और आपको ही उस कंपनी के बारे में कुछ नहीं पता हो? उनका कहना है कि वह एक हाउसवाइफ हैं। कागज पर महेश लांगा के कजिन मनोज और पत्नी कविता का नाम होने के बावजूद अहमदाबाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया, क्योंकि पुलिस को पता है कि इनके तो सिर्फ नामों का इस्तेमाल किया जा रहा था। असली खेल जिसने किया, उसे पुलिस ने दबोचा तो पत्रकारिता पर हमले की बातें होने लगीं।
लब्बोलुआब यह है कि ‘DA एंटरप्राइज’ फर्जी बिलिंग करती थी और बदले में उसे कैश मिलता था। फिर इस पैसे को ‘ध्रुवी एंटरप्राइजेज’ को ट्रांसफर किया जाता था। फिर यह कालाधन हवाला के जरिए महेश लांगा के पास पहुँचता था। इससे महेश लांगा 18% GST देने से बच जाता था। इतना ही नहीं, 3 अन्य संदिग्ध कंपनियों ने भी ‘DA एंटरप्राइज’ के साथ 15.52 लाख रुपए का लेनदेन किया है। अनुमान है कि ये कंपनियां भी फर्जी ही हैं। ‘DA एंटरप्राइज’ और ‘ध्रुवी एंटरप्राइजेज’ के अलावा एक और कंपनी से महेश लांगा का नाम जुड़ा है। 2023 में उसने अपनी भाभी नैना लांगा के नाम पर भी एक कंपनी शुरू की थी। ‘निसर्ग एंटरप्राइजेज’ नामक उस कंपनी के भी कई संदिग्ध लेनदेन घेरे में हैं।
गुजरात पुलिस ने छापेमारी में 29 कम्प्यूटर, 38 मोबाइल फोन, 7 लैपटॉप और बड़ी मात्रा में दस्तावेज जब्त किए हैं। 220+ कंपनियों में कइयों के रजिस्ट्रेशन के लिए एक ही पैन कार्ड का इस्तेमाल किया गया। इन सबको फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है। महेश लांगा 2 कंपनियों को पूरी तरह से नियंत्रित कर रहा था, ऐसा केंद्रीय जाँच एजेंसी ED का कहना है। फिर भी पत्रकारों के संगठन कह रहे हैं कि बिना किसी जाँच के उसे सारे आरोपों से मुक्त कर दिया जाए। क्या वो कानून से ऊपर है?
Threatening to use his editorial freedom to run negative stories.
Please note DELHI MEDIA GOSSIP (DMG) has no branches or affiliates. pic.twitter.com/AJR41OK78O
— Abhijit Iyer-Mitra (@Iyervval) October 29, 2024
फिर भी एडिटर्स गिल्ड से लेकर प्रेस क्लब तक महेश लांगा की गिरफ़्तारी को पत्रकारिता पर हमले से जोड़ कर देख रहे हैं। कोई विदेशी एजेंसी भारत को प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में नीचे कर देगी, सिर्फ इसी डर से अपराधियों को छोड़ दिया जाए तब तो कल को हर अपराधी किसी न किसी मीडिया संस्थान से जुड़ कर पत्रकार बन जाएगा। क्या ‘द हिन्दू’ को महेश लांगा जैसे पत्रकारों के दम पर ही UPSC के अभ्यर्थियों के लिए पढ़ने वाला अख़बार का खिताब मिला हुआ है?