CM पिनराई विजयन, PR एजेंसी Kaizzen और The Hindu अख़बार… लेफ्ट के विरोधाभास की पूरी कहानी

चेहरा चमकाने में लगे वामपंथी नेता

केरल, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, The Hindu

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन PR एजेंसी हायर करने को लेकर विवादों में

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजय के एक इंटरव्यू को लेकर बवाल खड़ा हो गया। कारण ये कि The Hindu में उनके इंटरव्यू में प्रकाशित कुछ बयानों को मुख्यमंत्री कार्यालय ने नकार दिया। यानी, इंटरव्यू में कुछ ऐसे बयान थे, जिनके बारे में CMO द्वारा बताया गया कि ये मुख्यमंत्री के हैं ही नहीं। इसके बाद सीएम के प्रेस सेक्रेटरी ने The Hindu के संपादक को एक पत्र लिख कर कहा कि इंटरव्यू के कंटेंट को लेकर उन्हें गंभीर आपत्ति है। बताया गया कि उक्त बयान से सार्वजनिक विवाद पैदा हो गया है और ये मुख्यमंत्री के विचारों का विरोधाभासी बयान है।

असल में CMO को मुख्यमंत्री के नाम से छापे गए उस बयान से दिक्कत थी जिसमें उन्होंने कहा था कि पिछले 5 वर्षों में केरल पुलिस ने मल्ल्पुरम जिले में 150 किलोग्राम सोना और हवाला के 123 करोड़ रुपए जब्त किए हैं। बयान में आगे कहा गया कि ये रुपए केरल में राज्य विरोधी और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए भेजे जा रहे हैं। ये वो बयान था जो The Hindu में छपा। मुख्यमंत्री के प्रेस सचिव ने संपादक को भेजे गए पत्र में लिखा कि सीएम ने किसी भी जगह या स्थान का नाम नहीं लिया, और न ही उन्होंने ‘राज्य विरोधी’ या ‘राष्ट्र विरोधी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया।

बयान से पलट गए CM पिनराई विजयन

प्रेस सचिव का कहना है कि ये बयान मुख्यमंत्री पिनराइ विजयन या फिर केरल की CPI(M) सरकार के विचारों से मेल नहीं खाते। कहा गया कि इस तरह के गलत बयान प्रकाशित किए जाने से बेमतलब का विवाद पैदा हो गया। साथ ही The Hindu से निवेदन किया गया कि वो चीजों को स्पष्ट करे और पत्रकारिता के जिन उच्च आदर्शों को वो लेकर चलता है उसके अनुसार कार्य करे। साथ ही अख़बार से एक स्पष्टीकरण जारी करने के लिए भी कहा गया। ये इंटरव्यू सोमवार (30 सितंबर, 2024) को प्रकाशित किया गया था और अगले ही दिन CMO ने अख़बार को पत्र लिख दिया।

अगर भाजपा की सरकार होती तो मीडिया संस्थान कहते कि ये चिट्ठी पत्रकारिता की हत्या की कोशिश है, मीडिया को धमकाया जा रहा है, अपने इशारों पर चलने को कहा जा रहा है। इस तरह के बयान आते कि हम अपनी खबर पर अडिग हैं और किसी भी प्रकार के सरकारी दबाव को बर्दाश्त नहीं करेंगे। लेकिन, ये थी मेंटॉस ज़िन्दगी। अब आते हैं वास्तविक दुनिया पर। वास्तविक दुनिया में होता यूँ है कि केरल के मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से कहा जाता है कि स्पष्टीकरण दो, तो अख़बार को स्पष्टीकरण प्रकाशित करना ही पड़ता है।

The Hindu का नाटकीय स्पष्टीकरण

The Hindu का ये स्पष्टीकरण और भी नाटकीय निकला। इसमें कहा गया कि Kaizzen नाम की PR एजेंसी ने ‘द हिन्दू’ से संपर्क कर के केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का इंटरव्यू करने को कहा था। बताया गया कि मुख्यमंत्री आवास में सुबह के 9 बजे ‘द हिन्दू’ के पत्रकार ने सीएम का इंटरव्यू लिया, और वहाँ उक्त पीआर एजेंसी के 2 लोग भी मौजूद थे। मीडिया संस्थान का कहना है कि आधे घंटे के इंटरव्यू के दौरान पीआर से जुड़े एक व्यक्ति ने ही सलाह दी कि मलप्पुरम को लेकर सीएम का बयान जोड़ा जाए।

बकौल The Hindu, Kaizzen कंपनी के प्रतिनिधि ने कहा कि मुख्यमंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये बयान दिया था, इसे इंटरव्यू में भी जोड़ा जाए। इसके बाद गोल्ड स्मगलिंग और हवाला लेनदेन वाला बयान जोड़ा गया। The Hindu का कहना है कि उक्त प्रतिनिधि ने लिखित में ये बयान जोड़ने के लिए दिया, लेकिन अब इसे मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा नकारा जा चुका है। मीडिया संस्थान ने इसे पत्रकारिता के नियमों का उल्लंघन बताते हुए खेद जताया और कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। संपादक ने अंत में माफ़ी भी माँगी।

सोचिए, ‘दुनिया के मजदूरों एक हो’ का नारा देने वाले भी अब अपना चेहरा चमकाने के लिए PR एजेंसी हायर कर रहे हैं। ‘आज़ादी-आज़ादी’ का नारा लगाने वालों को अब अपनी छवि की चिंता हो रही है। ये बताने की विशेष आवश्यकता नहीं है कि ये PR एजेंसियाँ फ्री में काम नहीं करती हैं, इन्हें नेताओं और उद्योगपतियों के लिए काम करने की एवज में लाखों-करोड़ों रुपए मिलते हैं। संपत्ति के बँटवारे और अमीरों से छीन कर गरीबों को देने की बात करने वाले जब लाखों-करोड़ों रुपए चमक-धमक के लिए खर्च करें तो सवाल उठना तो लाजिमी है।

ये वही लोग हैं जिन्होंने पिछले 10 वर्षों से अपना पूरा राजनीतिक करियर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना पर ही केंद्रित रखा है और इनका सबसे अधिक रटा-रटाया आरोप यही रहता है कि पीएम मोदी ने PR एजेंसियों को हायर कर-कर के अपना चेहरा चमकाया है। ये मीडिया में पीएम मोदी को मिल रही कवरेज से चिढ़ते हैं, सोशल मीडिया में उनसे जुड़े ट्रेंड्स से चिढ़ते हैं। अब ये खुद वही तौर-तरीके आजमा रहे हैं, जिसे ये अपनी विचारधारा के विरुद्ध बताते रहे हैं।

मलप्पुरम की 71% जनसंख्या को करना है तुष्ट?

अब खबर आ रही है कि CPI(M) इस प्रकरण के कारण अपने ही नेता पिनराई विजयन से नाराज़ है। लेकिन, सवाल ये है कि वो कार्रवाई क्या करेंगे? शायद वो कुछ कार्रवाई कर ही नहीं सकते हैं, क्योंकि 2021 में केरल में हुए विधानसभा चुनावों में ही साफ़ हो गया था कि केरल में ये लेफ्ट का ‘पिनराई विजयन युग’ चल रहा है, क्योंकि टिकटों का बँटवारा उनके ही इशारों पर हुआ था। कहा जाता था कि लेफ्ट के बड़े-बड़े नेता भी केरल में उनके फैसलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। उनकी ताकत इसी से समझ लीजिए कि उनके दामाद PA मोहम्मद रियास भी उनकी सरकार में मंत्री हैं और साथ ही पिछले 7 वर्षों से वामपंथी छात्र संगठन DYSI के अध्यक्ष भी हैं। उन्हें केरल में PWD जैसा मलाईदार मंत्रालय दिया गया है, साथ ही पर्यटन और युवा मामलों का मंत्रालय भी उनके ही पास है।

अब पिनराई विजयन को बैकफुट पर इसीलिए आना पड़ा है क्योंकि मामला उस मलप्पुरम का है, जहाँ की 71% जनसंख्या मुस्लिम है और हिन्दू वहाँ अल्पसंख्यक हैं। मुस्लिमों को तुष्ट करने की राजनीति करने वाले और सबरीमाला मंदिर के श्रद्धालुओं पर लाठियाँ बरसवाने वाले नेता से अपेक्षा भी नहीं की जाती है कि वो राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों पर आवाज़ उठाएँ। कोरोना का दौर याद कीजिए। जनसंख्या के मामले में भले ही केरल शीर्ष के एक दर्जन राज्यों में भी नहीं आता हो, लेकिन कोरोना वायरस के मामले में महाराष्ट्र के बाद इसका ही नंबर था। इसके बावजूद तथाकथित पत्रकारों और बुद्धिजीवियों का एक समूह लगातार ‘केरला मॉडल’ की चर्चा करते हुए पूरे देश को इससे सीख लेने की नसीहत देता था। जबकि आँकड़े कहते हैं कि कोविड-19 के 70 लाख मामले केरल से ही आए। इससे ऊपर महाराष्ट्र था। जबकि महाराष्ट्र की जनसंख्या केरल से 4 गुना अधिक है।

शायद इसी तरह के किसी PR अभियान का कमाल था कि जो छात्र कक्षा में हर साल फेल हो रहा था टॉपरों को भी उससे ही सीखने की सलाह दी जा रही थी। ये PR का ही कमाल था। हमने जब Kaizzen की वेबसाइट को खंगला तो उसने लिख रखा है कि वो दुनिया भर में 80+ क्षेत्रों में ब्रांड बिल्डिंग का कार्य कर रहा है। पिछले 12 वर्षों से ब्रांड कम्युनिकेशन के लिए काम करने वाली kaizzen ऑनलाइन वीडियो मार्केटिंग, कंटेंट स्ट्रेटजी और नीति-निर्माण में भी अपने क्लाइंट्स का सहयोग करती है। अब केरल की 27% मुस्लिम और 19% ईसाई जनसंख्या को तुष्ट करना है तो ऐसी पीआर एजेंसियों की सेवा वामपंथियों को लेनी ही पड़ेगी।

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