आंध्र प्रदेश में 2 बच्चों वाली नीति बदली गई; बूढ़ी होती आबादी बन सकती है संकट?

आंध्र प्रदेश में 2 से अधिक बच्चों वाले लोगों को भी स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने का अधिकार दिया गया

आंध्र प्रदेश समेत दक्षिण भारत के कई राज्यों में पिछले कुछ समय से बूढ़ी होती आबादी के संकट से जुड़े मुद्दे सामने आ रहे हैं। आंध्र प्रदेश विधानसभा ने उस विधेयक को मंजूरी दे दी है जिसमें 2 से अधिक बच्चों वाले लोगों को भी स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने का अधिकार दिया गया है। इससे पहले राज्य में दो से अधिक बच्चे वाले उम्मीदवार स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माने जाते थे। विधानसभा में सोमवार को आंध्र प्रदेश पंचायत राज (संशोधन) विधेयक 2024 और आंध्र प्रदेश नगरपालिका कानून (संशोधन) विधेयक 2024 पारित कर दिए हैं। नगर निगम मंत्री पी नारायण ने 4 दिन पहले विधानसभा में यह विधेयक पेश किया था और सोमवार को इसे बिना चर्चा के पारित कर दिया गया।

1994 में बनाई गई थी नीति

मई 1994 में तत्कालीन आंध्र प्रदेश विधानसभा ने एक संशोधन विधेयक पारित किया था, जिसने ग्राम पंचायत, मंडल प्रजा परिषद और जिला परिषद के चुनाव लड़ने वालों के लिए दो-बच्चों का नियम अनिवार्य कर दिया था। दो से अधिक बच्चे वाले उम्मीदवारों को निकाय चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माना जाता था। इस नियम का उद्देश्य जनसंख्या पर नियंत्रण रखना था।

CM चंद्रबाबू ने क्या कहा ?

मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि अब अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने का समय आ गया है। नायडू ने इसे आर्थिक आवश्यकता बताया है। इससे पहले भी नायडू राज्य में आबादी की बढ़ती उम्र को लेकर ज्यादा बच्चे पैदा करने की वकालत कर चुके हैं। नायडू ने कहा था कि राज्य के कई जिलों में गांवों में केवल बुजुर्ग लोग रह गए हैं क्योंकि युवा लोग देश के अन्य हिस्सों और विदेश में चले गए हैं।

विधेयक में क्या है?

विधेयक में कहा गया है कि घटती प्रजनन दर, जनसंख्या स्थिरीकरण और बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के कारण जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से बनाए गए नियम अब पुराने और प्रतिकूल साबित हो रहे हैं। बिल में कहा गया कि सरकार ने महसूस किया कि इन नीति को रद्द करने से समावेशी शासन को बढ़ावा मिलेगा और समकालीन सामाजिक मूल्यों को प्रतिबिंबित किया जा सकेगा।

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