हंगर इंडेक्स के फर्जीवाड़े का विश्लेषण: GHI में हमसे आगे हैं ये देश लेकिन भारत ही इन्हें भेजता है पैसा और अनाज

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) के मापदंडों और इसकी डेटा को इकट्ठा करने की प्रणालियों की लगातार आलोचना होती रही है। केवल कुछ मेट्रिक्स जैसे कुपोषण, बच्चों की मृत्यु दर, बच्चों के वजन और लंबाई के आधार पर इसका स्कोर तय कर लिया जाता है। स्पष्ट है कि भूख के जटिल पहलुओं को समझने के लिए इससे अधिक विविध डेटा की जरूरत है। इसके डेटा में भूख को प्रभावित करने वाले कई प्रमुख आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक कारकों को ध्यान में नहीं रखा जाता है। दुनिया में संकट झेल रहे कई देशों को इसके सूचकांक में लगातार कई बेहतर प्रदर्शन करने वाले देशों से ऊपर रखा जाता रहा है जिसे लेकर यह इंडेक्स एक बड़े वर्ग के निशाने पर रहता है।

कुछ दिनों पहले ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024 की रिपोर्ट आई थी जिसमें 127 देशों की सूची में भारत को 105वें स्थान पर रखा गया था। इस रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत में भूख का स्तर गंभीर है। इस सूची में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों को भारत से ऊपर रखा गया है और हाथ में कटोरा लिए दुनिया में भीख मांगता घूम रहा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, भारत से कुछ ही नीचे 109वें नंबर पर है। पड़ोसियों के दूर हटकर भी देखें तो अफ्रीका में हिंसा की मार झेल रहा डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, जहां का खाद्य संकट लगातार गहराता जा रहा है उसे भी भारत से ऊपर 96वें स्थान पर रखा गया है। इस लेख में हम पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों की मदद से कुछ ऐसे देशों का विश्लेषण करेंगे जिनकी स्थिति ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ में लगातार भारत है बेहतर है लेकिन भारत उन्हें तमाम तरह की मदद भेज रहा है।

नेपाल

भारत से तीन ओर से घिरे पड़ोसी देश नेपाल को कोविड-19 महामारी के बाद से ही अलग-अलग वजहों से खाद्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024 में नेपाल को 14.7 के स्कोर के साथ 127 देशों में से 68वें स्थान पर रखा गया है। GHI को 10 अक्टूबर को रिलीज किया गया था और उससे ठीक एक दिन पहले यानि 9 अक्टूबर को भारत ने नेपाल को 20 टन से ज्यादा राहत सामग्री भेजी थी। इससे पहले जुलाई 2024 में बजट सत्र के दौरान नेपाल को मदद देने के लिए भारत ने 700 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था।

नेपाल को भारत द्वारा दी गई 20 टन से अधिक राहत सामग्री

2023 के आंकड़ों बात करें तो तब भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही थी, अक्टूबर 2023 में जारी किए गए ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 में भारत को 111वां स्थान दिया गया था जबकि नेपाल को 69वां स्थान मिला था। इससे कुछ ही महीने पहले यानि 2023 के अगस्त में नेपाल सरकार ने खाद्य संकट के मद्देनजर भारत से 10 लाख टन धान, 1 लाख टन चावल और 50,000 टन चीनी की मांग की थी। जिसके बाद भारत ने दिसंबर में नेपाल को 95,000 टन चावल भेजने की मंजूरी दे दी थी।

2022 में ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत को 121 देशों में 107वां स्थान मिला था और नेपाल को इतने ही देशों में से 81वां स्थान मिला था। GHI के आंकड़ों के हिसाब से नेपाल की स्थिति भारत की तुलना में काफी बेहतर थी लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर थी। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान नेपाल ने भारत से 1.4 मिलियन टन चावल (1.38 मिलियन टन गैर-बासमती और 19,000 टन बासमती चावल) का आयात किया था जो रिकॉर्ड था।

बांग्लादेश

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को कथित छात्र आंदोलन के बाद देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है और मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार फिलहाल बांग्लादेश की व्यवस्था देख रही है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि जलवायु परिवर्तन संबंधी समस्याओं और कम आय के स्रोतों के चलते बांग्लादेश में गरीब परिवारों पर दबाव बढ़ रहा है जिसके चलते खाद्य असुरक्षा तेजी से बढ़ रही है। फरवरी और मार्च 2024 के बीच लगभग 14.6 मिलियन लोगों (विश्लेषित आबादी का 20 प्रतिशत) ने खाद्य असुरक्षा के तीव्र उच्च स्तर का सामना किया था।

हालांकि, GHI पर इसका असर नहीं दिखा और 2024 में बांग्लादेश को भारत से करीब 20 पायदान ऊपर 84वें स्थान पर रखा गया था। भारत सरकार द्वारा पेश किए गए 2024-25 के बजट में बताया गया था कि वित्त वर्ष के दौरान भारत ने बांग्लादेश की मदद के लिए 120 करोड़ रुपए का आवंटन किया है। इसके अलावा बांग्लादेश में खाद्य संकट की स्थिति इस कदर बिगड़ी हुई है कि बीते दिनों ही भारत ने वहां 2.31 लाख अंडे भेजे थे। देश में महंगाई और मारामारी इस कदर बढ़ रही है कि बांग्लादेश की बड़ी आबादी अंडे के लिए भी मोहताज है।

अक्टूबर 2023 में जारी किए गए ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत को 111वां स्थान दिया गया था जबकि बांग्लादेश को 81वां स्थान मिला था। 2023 में भी भारत सरकार ने बजट में बांग्लादेश की मदद के लिए 200 करोड़ का आवंटन किया था। 2022 में ग्लोबल हंगर इंडेक्स में बांग्लादेश को 121 देशों में 84वां स्थान मिला था और भारत को इतने ही देशों में से 107वां स्थान मिला था। इस इंडेक्स के आने से करीब 2 महीने पहले भारत के खाद्य सचिव ने बताया था कि भारत ने बैन के बावजूद 1.8 बिलियन टन अनाज का निर्यात किया है और जिन देशों को यह अनाज भेजा गया था उनमें बांग्लादेश भी शामिल था। 2022 के बजट के दौरान भारत सरकार ने बांग्लादेश को 300 करोड़ की मदद देने का एलान किया था।

श्रीलंका

भारत के दक्षिण में स्थित द्वीपीय पड़ोसी देश श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझकर आगे बढ़ रहा है। श्रीलंका में खाने, पानी और दूसरे सामनों के लिए लगीं लंबी-लंबी लाइनों की तस्वीरें कुछ समय पहले की ही बात हैं लेकिन 2024 में GHI में श्रीलंका को 56वां स्थान दिया गया है। जिस भारत को GHI में 105वें स्थान पर रखा गया है उसने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान श्रीलंका को मदद देने के लिए 245 करोड़ का आवंटन किया है।

श्रीलंका को 2022 और 2023 में क्रमश: 64 और 60वें स्थान पर रखा गया था और यह स्थिति भारत के मुकाबले बहुत बेहतर थी। 2022-2023 का दौर वो था जब श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा था। श्रीलंका को 2022 के अंत तक 6.9 बिलियन डॉलर चुकाने थे और उसके पास केवल 1.6 बिलियन डॉलर का रिजर्व बचा था। ऐसे समय में जब दूसरे देश श्रीलंका को पैसे देने से बच रहे थे क्योंकि उन्हें श्रीलंका के डूबने का डर था तब भी भारत ने आगे आकर श्रीलंका की मदद की थी।

भारत ने अप्रैल 2022 से कर्ज तले डूबते जा रहे श्रीलंका को 40,000 टन चावल की आपूर्ति करनी शुरु कर दी थी। इसी अवधि के दौरान भारत ने श्रीलंका को तेल और फर्टिलाइजर खरीदने में भी मदद की थी। श्रीलंका को इस मदद की कितनी जरूरत थी इसकी अंदाजा जुलाई 2023 के श्रीलंका की संसद के स्पीकर के उस बयान से भी लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ने हमें बचा लिया वरना यहां एक और ‘ब्लड-बाथ’ होता।

श्रीलंका को भारत की मदद का यह मोटा विश्लेषण हैं बिंदुवार विश्लेषण या उसके प्रभाव का आंकलन किया जाए तो श्रीलंका की स्थिति और अधिक गंभीर दिखाई पड़ेगी। भारत एक सच्चे दोस्त की तरह अपने साथी के साथ संकट के समय खड़ा रहा था। लेकिन GHI के आंकड़ों के हिसाब से भारत की तब की स्थिति श्रीलंका के मुकाबले करीब 2 गुना ज्यादा खराब थी।

यूक्रेन

रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से युद्ध चल रहा है और यूक्रेन की खाद्य उत्पादन क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है। इंटरनैशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IFPRI) की अप्रैल 2024 की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि यूक्रेन की करीब 20% आबादी (रूस के कब्जे वाले क्षेत्र शामिल नहीं) मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है जिसमें करीब आधे बुजुर्ग या बच्चे हैं।

यूक्रेन का खाद्य संकट (Photo-IFPRI)

इन सबके बावजूद GHI में यूक्रेन की स्थिति लगातार भारत से बेहतर है। यूक्रेन को 2022, 2023, 2024 के GHI इंडेक्स में भारत के क्रमश: 107, 111 व 105 के मुकाबले क्रमश: 36, 44 व 46वां स्थान मिला है। इन आंकड़ों के हिसाब से बेहतर स्थिति वाले यूक्रेन को भारत ने बीते वर्षों में क्या-क्या मदद भेजी है ये समझ लेते हैं।

फरवरी 2024 में भारत के विदेश मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया था कि मार्च 2022 के बाद से भारत ने यूक्रेन को मानवीय सहायता की 1-2 नहीं बल्कि 15 खेप भेजी हैं। कुल 117 मीट्रिक टन वजन वाली इन खेपों में दवाएं, चिकित्सा उपकरणों के साथ-साथ कंबल, टेंट, तिरपाल जैसी बुनियादी चीजें भी भेजी गई हैं। साथ ही भारत ने यूक्रेन की राजधानी कीव में एक स्कूल के पुनर्निमाण के लिए वित्तीय सहायता भी दी है। गौरतलब है कि भारत युद्ध की इस घड़ी में दोनों देशों से बातचीत कर रहा शायद एकमात्र बड़ा देश है और इसका शांतिपूर्ण समाधान निकाले जाने के पक्ष में है।

नामीबिया

नामीबिया 100 वर्षों के सबसे खराब सूखे की स्थिति का सामना कर रहा है और सरकार ने इसे राष्ट्रीय आपदा भी घोषित किया है। नामीबिया की करीब आधी आबादी के सामने खाद्य असुरक्षा का गंभीर संकट है। नामीबिया में खाद्य संकट किस कदर गहरा गया है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मीट के लिए नामीबिया ने हाथी, जेब्रा और हिप्पो समेत सैकड़ों जानवरों को मारने के आदेश जारी किए थे।

इन सबके बावजूद GHI में नामीबिया की स्थिति भारत से लगातार बेहतर बनी हुई है। 2024 के इंडेक्स में नामीबिया को भारत के 105वें स्थान के मुकाबले 86वें स्थान पर रखा गया है और 2022, 2023 में भी स्थिति कमोबेश वैसी ही थी। बीते सितंबर में मानवीय सहायता के तौर पर भारत ने 1000 मीट्रिक टन चावल की खेप नामीबिया भेजी थी।

भारत द्वारा नामीबिया को भेजी गई सहायता

म्यांमार

लंबे वक्त से गृह युद्ध जैसे हालातों का सामना कर रहे म्यांमार की आर्थिक हालत खस्ता है। 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद लगातार जुंटा और उनके विद्रोही गुटों के बीच लड़ाई चल रही है। विश्व खाद्य कार्यक्रम के मुताबिक, म्यांमार हालिया इतिहास में सबसे खराब मानवीय संकट से गुजर रहा है जिसके चलते खाद्य असुरक्षा तेजी से बढ़ी है और करीब 25% आबादी इससे प्रभावित हुई है। बीते मई के आखिरी में ब्रिटेन की सराकर ने भी म्यांमार में बढ़ते खाद्य संकट पर चिंता जाहिर की थी।

इन सभी के बावजूद GHI में म्यांमार की स्थिति भारत से बहुत बेहतर है। GHI 2024 में म्यांमार को 74वां स्थान मिला है। इस रिपोर्ट के जारी होने से करीब एक महीने पहले यानि सितंबर मध्य में भारत ने म्यांमार को मदद दी थी। भारत ने आपरेशन सद्भाव के तहत म्यांमार को अलग-अलग खेपों में 50 टन से अधिक राहत सामग्री भेजी थी।

इसके पहले 2022 और 2023 के GHI इंडेक्स में भी म्यांमार का स्थान भारत से उपर था उस दौरान में भारत ने वहां चावल व गेंहू भेजे और अन्य सहायता भी की थी। साथ ही वित्त वर्ष 2023-2024 के बजट में केंद्र सरकार ने म्यांमार की मदद के लिए 600 करोड़ रुपए का आवंटन किया था।

भारत के खिलाफ नैरेविट वॉर का हिस्सा है GHI?

इनके अलावा विएतनाम, केन्या और मलावी जैसे कई अन्य भी ऐसे देश हैं जिन्हें भारत पिछले वर्षों में सहायता भेजता रहा है और GHI के इंडेक्स में वे भारत से ऊपर ही रहते हैं। भारत जैसे देश में जहां वर्षों से मुफ्त राशन घरों में पहुंच रहा है, जहां समस्या अनाज की कमी नहीं है बल्कि अनाज की अधिकता व उसे संभालना है उससे साफ नजर आता है कि ऐसे इंडेक्स के जरिए सिर्फ भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। सिर्फ GHI ही नहीं बल्कि फ्रीडम इंडेक्स जैसे कई इंडेक्स अपने बनाए कुछ सवालों के आधार पर नैरेविट बना रहे हैं। अब समस्या GHI के डेटा में है या इसे जारी करने वाली एजेंसियां ही आंखें मूंदे हुए हैं और विश्व में भारत के खिलाफ एक नैरेविट बने इसके लिए अपना योगदान दे रही है इसकी भी झलक हमें दिखाई पड़ रही है। 

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