हिमंत बिस्वा सरमा: ‘ये जो साहिबगंज में… हम वचन देते हैं झारखंड से घुसपैठियों को चुन-चुनकर बाहर निकालेंगे’

झारखंड में 13 नवंबर को 43 और 20 नवंबर को 38 विधानसभा सीटों पर मतदान है। चुनाव का नतीजा 23 नवंबर को घोषित होगा।

हिमंत बिस्वा सरमा ने झारखंड की रैलियों में घुसपैठ का मुद्दा उठाया (फोटो: झारखंड बीजेपी X हैंडल)

रांची: झारखंड में बांग्लादेशियों की घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा है। संथाल परगना में यह समस्या विकराल रूप ले चुकी है। इलाके में डेमोग्राफी बदलती जा रही है। यहां तक कि हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को बांग्लादेशी घुसपैठियों की गिनती का आदेश दिया था। अब यह मुद्दा झारखंड विधानसभा चुनाव में भी उठा है। असम के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने रांची की रैली में हेमंत सोरेन की सरकार पर घुसपैठियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया। हिमंत ने ऐलान किया कि अगर राज्य में बीजेपी की सरकार आती है, तो बांग्लादेशी घुसपैठियों को चुन-चुनकर बाहर निकाला जाएगा।

वोट के लिए घुसपैठियों को नहीं हटा रही सोरेन सरकार

असम के मुख्यमंत्री और झारखंड बीजेपी के सह-प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘हम झारखंड सरकार से पूछते हैं कि आप लोग क्या घुसपैठियों को बाहर निकालेंगे? हेमंत सोरेन जी बोलते हैं कि झारखंड में घुसपैठिए नहीं हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि ये लोग जो पाकुड़ में बैठ गए, साहिबगंज में और अन्य जगहों पर बैठ गए, वो लोग कौन हैं? क्या उन लोगों का नाम 1951 में है? क्या उनका नाम 1971 में है? आज ये लोग जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) का वोट बैंक हैं। ये लोग वोट के लालच में घुसपैठियों को यहां से नहीं हटा रहे हैं। हम आपको वचन देते हैं कि इस बार बीजेपी की सरकार बनेगी और हम घुसपैठियों को चुन-चुनकर बाहर निकालेंगे। ये हमारा संकल्प है।‘

संथाल परगना में घुसपैठ बड़ी समस्या

झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशियों की घुसपैठ बड़ी समस्या बन चुकी है। जमशेदपुर के दानियाल दानिश ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। इसमें कहा गया कि संथाल परगना में बड़ी संख्या में घुसपैठिए आ गए हैं। यही नहीं इससे वहां की डेमोग्राफी बदल रही है और आदिवासियों की संख्या में कमी आ रही है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिए आदिवासी महिलाओं से पहले शादी करते हैं और फिर उनका धर्म परिवर्तन करा देते हैं। इसके बाद आदिवासियों की जमीनों को गिफ्ट डीड के जरिए हड़पा जा रहा है।

घुसपैठियों ने बनवाए मस्जिद-मदरसे: PIL

जनहित याचिका में दानियाल ने कहा कि बंगाल की सीमा से लगने वाले झारखंड के जिलों में घुसपैठियों ने मदरसे और मस्जिदें भी बनवा ली हैं। दरअसल संथाल परगना की भौगोलिक स्थिति भी घुसपैठ के लिए आसान है। बांग्लादेश की सीमा यहां से सिर्फ 15 किलोमीटर है। ऐसे में यहां हमेशा बांग्लादेश से घुसपैठ का खतरा बना रहता है। संथाल परगना के लोग भी इस मुद्दे पर आवाज उठाते रहे हैं। आदिवासियों की घटती आबादी और लगातार बदलती डेमोग्राफी पर सामाजिक कार्यकर्ता अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं।

हाई कोर्ट का आदेश- घुसपैठियों की गिनती हो   

दानियाल की याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। इस साल जुलाई में कोर्ट ने राज्य की जेएमएम सरकार को आदेश दिया कि संथाल परगना में रहने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करके गिनती की जाए। हाई कोर्ट के जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार की बेंच ने साहेबगंज, दुमका, पाकुड़, देवघर, गोड्डा और जामताड़ा के डीएम को आदेश दिया है। इन सभी डीएम को जिलावार घुसपैठियों की संख्या बताने के निर्देश दिए गए हैं। अदालत ने साथ ही इन घुसपैठियों को डिपोर्ट करने का एक्शन प्लान भी राज्य सरकार से बताने को कहा है। अब झारखंड विधानसभा चुनाव में हिमंत के बयान से बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा फिर से चर्चा में है।

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