आज से ठीक 21 साल पहले की बात है, टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी और दिसंबर की उस सर्द सुबह राहुल द्रविड़ का नंबर जल्दी ही आ गया था। ऑस्ट्रेलिया के 556 रनों के जवाब में भारत अपने 4 विकेट 85 रनों पर खो चुका था और टीम इंडिया पर फ़ॉलोऑन का ख़तरा मंडरा रहा था। हालाँकि द्रविड़ कुछ और तय कर के आए थे और उन्होंने वही किया जिसके लिए वो जाने जाते रहे हैं।
द्रविड़ ऑस्ट्रेलिया और उसकी जीत के बीच दीवार बन कर खड़े हो गए, उन्होने उस दिन वो पारी नहीं, विदेशी धरती पर भारत की जीत की पटकथा लिखी थी, ऐसी स्क्रिप्ट जो करोड़ों खेलप्रेमियों के ज़ेहन में हमेशा के लिए दर्ज हो गई। उस बेमिसाल पारी का आज जिक्र इसलिए, क्योंकि 21 साल पहले खेली गई 233 रनों की उस पारी को बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ पारी का खिताब मिला है।खेलप्रेमियों ने उनकी इस पारी को वर्ष 2021 में गाबा में खेली गई ऋषभ पंत की पारी पर ज़्यादा तरजीह दी।
वैसे तो BGT यानी बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफ़ी में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अब तक 56 टेस्ट खेले गए, जिसमें भारत का ही पलड़ा भारी रहा, जहां भारत ने 24 मैचों में बाज़ी मारी तो वहीं ऑस्ट्रेलिया ने 20 मैचों में जीत दर्ज की, जबकि बाक़ी मैच ड्रॉ साबित हुए। हालांकि एक जीत ऐसी रही, जो हर किसी के लिए यादगार बन गई। इस जीत के हीरो थे ‘श्रीमान भरोसेमंद’ यानी राहुल द्रविड़।
वर्ष 2003 की सर्दियों की बात है, टीम इंडिया बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी के लिए ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी और दिसंबर की उस सुबह एडिलेड में मौसम वैसे तो खिला हुआ था, लेकिन टीम इंडिया की जीत की उम्मीदों पर कोहरा छा चुका था। एडिलेड में पहले बल्लेबाज़ी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने रिकी पोंटिंग के दोहरे शतक के दम पर 556 रनों का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा कर दिया था। डेढ़ दिन के बाद लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया शुरुआत में ही लड़खड़ा गई।
ओपनिंग करने आए सहवाग, सचिन, और गांगुली जैसे बैट्समैन पवैलियन लौट चुके थे और आम तौर पर चौथे नंबर पर बैटिंग के लिए उतरने वाले द्रविड़ का नंबर उस दिन जरा जल्दी आ गया था। लेकिन क्रीज़ आते ही उनसे एक बड़ी गलती हुई। उनकी एक ग़लत कॉल पर दूसरे छोर पर मौजूद गांगुली दौड़ पड़े, लेकिन क्रीज़ तक नहीं पहुँच सके और रन आउट हो गए। अब स्कोर बोर्ड पर दर्ज था 85 रन पर 4 विकेट।
अब द्रविड़ के सामने दोहरी चुनौती थीं, पहली तो ये कि वो बीते चार मैचों में उनकी फ़ॉर्म कुछ ख़ास रही नहीं थी और ऊपर से गांगुली उनकी वजह से रन आउट हो चुके थे। ऐसे में द्रविड़ उतरे और वीवीएस लक्ष्मण के साथ मिलकर पारी को धीरे धीरे आगे बढ़ाना शुरू किया। हालात मुश्किल थे और जीत कोसों दूर खड़ी थी, लेकिन दोनों ने मिलकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्हीं की सरजमीं पर जीत की कहानी बुननी शुरू कर दी।
इससे पहले ये दोनों भारत में वर्ष 2021 में ही ये कारनामा दोहरा चुके थे, जब ईडेन गार्डन में टीम इंडिया ने फ़ॉलोऑन झेलने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को हरा कर इतिहास रच दिया था, लेकिन अब चुनौती ऑस्ट्रेलिया में उसी की धरती पर इतिहास रचने की थी। दोनों के बीच 5वें विकेट के लिए रिकॉर्ड 303 रन की साझेदारी हुई और टीम इंडिया मैच में वापस आ गई।
लक्ष्मण तो 148 रन बनाकर पवेलियन लौट गए, लेकिन राहुल जमे रहे।लक्ष्मण का साथ छूटा तो राहुल ने अजित अगरकर, पार्थिव पटेल, इरफान पठान और अनिल कुंबले के साथ छोटी-छोटी लेकिन अहम साझेदारियां की और भारतीय टीम पहली पारी में 523 रन बनाने में कामयाब रही, जबकि जब दसवें और आख़िरी विकेट के रूप में द्रविड़ पवेलियन लौटे तब तक उनके खाते में 233 रन जमा हो चुके थे।
अपनी इस मैराथन पारी के दौरान राहुल ने 594 मिनट तक बल्लेबाजी की और कुल 446 गेंदों का सामना किया, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि आम तौर पर शांत रहने वाले राहुल ने अपना शतक एक खूबसूरत छक्के के साथ पूरा किया। इस पूरी पारी के दौरान उन्होंने 23 चौके और 1 छक्का लगाया, जबकि उन्होंने क़रीब 140 रन सिंगल और डबल्स के ज़रिए पूरे किए। ये स्कोर बोर्ड बताता है कि द्रविड़ क्या हैं, और उस दिन उन्होंने क्या किया था?
द्रविड़ के बाद बारी गेंदबाज़ों की थी। भारत ने ऑस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में सिर्फ़ 196 रनों पर ही समेट दिया। भारत को चौथी पारी में जीत के लिए 230 रन का लक्ष्य मिला, स्कोर छोटा ज़रूर था, लेकिन चुनौतीपूर्ण था, ऐसे में द्रविड़ एक बार फिर बाज़ीगर के रोल में आए और दूसरी इनिंग में भी नाबाद 70 रन बना कर उन्होंने टीम इंडिया के लिए हारी हुई बाज़ी जीत ली। अब खेल प्रेमियों ने 21 वर्ष पुरानी उनकी उस पारी को ऋषभ पंत की गाबा में खेली गई 89 रनों की पारी पर तरजीह दी है, जहां उन्होंने प्रतिकूल स्थितियों में खेलते हुए टीम को ट्रॉफ़ी तक पहुँचाया था।