केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार और तमाम एनजीओ तक लोगों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके खिलाफ कानून भी बना हुआ है। हालांकि इसके बाद भी कुछ क्षेत्रों में बाल-विवाह की घटनाएं सामने आ जाती हैं। लेकिन हैदराबाद से मासूम बच्चियों के निकाह की ऐसी घटनाएं सामने आईं हैं, जिन्हें जानकर दु:ख और हैरानी दोनों होते हैं।
यूं तो पीरियड आते ही मासूम लड़कियों का निकाह कर देना इस्लाम की पुरानी रिवायत रही है। लेकिन हैदराबाद के इस्लामवादी अरब मुल्कों से आने वाले शेखों से अपनी लड़कियों का निकाह करा रहे हैं। इसे ‘मुताह निकाह’ या ‘शेख निकाह’ कहा जाता है। इसमें शेख पैसे देकर बेहद कम उम्र की लड़कियों से निकाह करते हैं और कुछ दिन साथ रहते हैं। मन भर जाने के बाद शेख मासूम लड़कियों को छोड़कर चले जाते हैं। यह खुलासा आज तक की रिपोर्ट में हुआ है।
इस रिपोर्ट में सामने आया है कि सिर्फ पैसों के लिए मासूम लड़कियों को कुछ दिनों के लिए ‘सेक्स स्लैव’ बनाकर उनका रेप किया जाता है। यह सब लड़की की मर्जी के खिलाफ और रिश्तेदारों या घरवालों की इजाजत से होता है। शेख निकाह होने के बाद ज्यादातर लड़कियां गर्भवती हो जाति हैं और कम उम्र में ही उन्हें मां बनना पड़ता है। हैदराबाद में ‘शेख निकाह’ एक बिजनेस के तौर पर फल-फूल रहा है। इसके लिए ब्रोकर और एजेंटों की भरमार है। एजेंटों का दावा है कि लड़कियों की मां खुद ही चाहती हैं कि उनकी बेटियां बिकें, इसलिए इस ‘धंधे’ को बढ़ावा मिल रहा है।
आज तक की रिपोर्ट में शबाना नामक लड़की की दर्दनाक कहानी बताई गई है। शबाना के पीरियड शुरू ही हुए थे कि उसका निकाह बूढ़े शेख से करा दिया गया। शबाना छोटी बच्ची थी, उसके लिए शेख तो सिर्फ ‘शेख अंकल’ था। लेकिन शेख तो मासूम का का बलात्कार करने की मंशा पाले बैठा था। शबाना ने अपनी दास्तान सुनाते हुए कहा है कि शेख उसके घर आता था। उसे गोद में बिठाकर गुदगुदी करता था और फिर घूरकर चला जाता था। ये सब कुछ दिनों तक चला और फिर दोनों का निकाह हो गया। बड़ी से गाड़ी में विदाई के बाद शबाना को शेख एक होटल में ले गया। इस दौरान शबाना के साथ बुआ भी थीं।
शबाना का कहना है कि उसकी बुआ बगल के कमरे में थी। लेकिन उसे शेख के साथ छोड़ दिया था। अम्मी ने घर में ही बता दिया था कि उसे शेख के साथ रहना है। ऐसे में वह बेड में लेट गई और फिर शेख उसे छूने लगा। इससे शबाना ने आंख बंद कर ली। शेख का छूना लगातार बढ़ता जा रहा था। इससे डर कर शबाना ने आंख खोल दी और रोते हुए बुआ के पास चली गई। लेकिन बुआ ने उसे डांट कर वापस शेख के पास भेज दिया। इसके बाद शबाना रोती रही तो उसके अम्मी-अब्बू को बुलाया गया। दोनों ने समझाया और फिर उसे शेख के पास छोड़कर चले गए। इसके बाद शेख ने उसके साथ वो सब किया जो वह चाहता था। शबाना रोती तो शेख उसे अरबी में डांटता। यह सब 15 दिन तक चला और फिर शेख उसे छोड़कर चला गया।
घर लौटने के बाद शबाना की तबीयत खराब हो गई और फिर उसे उल्टियाँ होनी शुरू हो गईं। शुरू में तो घरवालों को लगा कि उसके पेट में कुछ प्रॉब्लम है। लेकिन फिर उसकी अम्मी को जल्द ही समझ आ गया कि उनकी बेटी प्रेग्नेंट है। इसके बाद उसका गर्भपात कराने की तैयारी शुरू हो गई। लेकिन डॉक्टर ने शबाना की जान को खतरा बताते हुए गर्भपात कराने से मना कर दिया। इसके बाद शबाना ने एक बच्ची को जन्म दिया। घरवालों ने सोचा कि वो इस बच्ची को अनाथालय भेज दिया जाए। लेकिन शबाना के भाई और भाई ने गोद लेने की बात कहते हुए अनाथालय भेजने से मना कर दिया।
अब वो बच्ची बड़ी हो गई है, लेकिन घर के अन्य बच्चों की तरह वह शबाना को ‘बाजी’ कहती है। शबाना अपनी बच्ची को अपनाना चाहती है, लेकिन उसके अब्बू मजहबी किस्म के हैं। इसलिए वह अपनी बेटी को अपना भी नहीं सकती। शेख ने उसके साथ जो किया था उसके बाद से शबाना को निकाह से डर लगने लग गया है। साथ ही उसके अब्बू कहते हैं कि न तो शबाना का तलाक हुआ और न ही खुला (इस्लाम में महिलाओं द्वारा तलाक दिए जाने को खुला कहते हैं), ऐसे में उसका किसी और से निकाह भी नहीं हो सकता। यह कहानी तो सिर्फ एक शबाना की है। लेकिन सच्चाई यह है कि ‘शेख निकाह’ के चलते हर साल सिर्फ हैदराबाद में ही हजारों की संख्या में मासूम बच्चियां बूढ़े शेखों की हवस का शिकार हो रहीं हैं। यदि सिर्फ हैदराबाद में ही यह संख्या हजार की तादात में है तो फिर पूरे देश के आँकड़े तो और भी भयावह और हैरान करने वाले होंगे।
गौरतलब है कि मुस्लिमों के बहुविवाह, निकाह हलाला, निकाह मुताह और निकाह मिस्यार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय, शायरा बानो और समीना बेगम ने याचिका दायर कर रखी है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक बेंच बनाकर सुनवाई भी शुरू कर दी है। साथ ही इस मामले में, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से जवाब भी मांगा है। इसके अलावा, ‘इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन’ रिसर्च टीम द्वारा जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि देश में हर दिन 4400 बाल विवाह होते हैं। लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में बीते 5 साल में सिर्फ 3800 बाल विवाह ही सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हुए हैं। इन आंकड़ों को सीधे तौर पर समझें तो हर साल कम से कम 16 लाख बाल विवाह हो रहे हैं। बेशक, ये आँकड़े मुताह निकाह के नहीं हैं लेकिन ऐसा माना जाता है कि बाल विवाह के आंकड़ों में से आधे से अधिक आंकड़े देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे शेख निकाह के हैं।